

Half of Visas Canceled : जिनका अमेरिकी वीजा निरस्त, उनमें 50% भारतीय छात्र, पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठे!
‘मीडियावाला’ के स्टेट हेड विक्रम सेन का विश्लेषण
New Delhi : अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन की ताजा रिपोर्ट ने अमेरिकी वीजा सिस्टम की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल के दौरान जिन 327 अमेरिकी छात्रों के वीजा रद्द किए गए, उनमें से 50% भारतीय छात्र थे। इसके बाद चीन दूसरे नंबर पर रहा, जहां 14% छात्रों के वीजा रद्द किए गए। कांग्रेस ने अमेरिकी आव्रजन वकीलों के संघ के इस दावे पर चिंता व्यक्त की! जानकारी के अनुसार जिन छात्रों के वीजा रद्द किए गए, उनमें से ज़्यादातर ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) पर थे, यानी वे पढ़ाई पूरी कर अमेरिका में काम कर रहे थे।
इस कार्रवाई से प्रभावित छात्रों में से आधे से अधिक को न तो कोई आरोप पत्र मिला, न कोई केस चला। कई मामलों में पुलिस से मामूली पूछताछ के बाद ही उनके वीजा रद्द कर दिए। इस बारे में ट्रंप प्रशासन की दलील थी कि वीजा रद्दीकरण के पीछे ‘वाजिब कारण’ होते हैं, जैसे किसी राजनीतिक विरोध प्रदर्शन में भाग लेना। लेकिन, रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन मामलों की जांच की गई, उनमें से केवल दो छात्रों के खिलाफ ऐसा कोई राजनीतिक जुड़ाव मिला।
एसोसिएशन की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि 86% छात्रों का किसी न किसी तरह से पुलिस से संपर्क हुआ था, लेकिन उनमें से 33% मामलों को बाद में खारिज कर दिया गया। इनमें से दो छात्र खुद घरेलू हिंसा के पीड़ित थे, जबकि अन्य पर तेज गाड़ी चलाने या पार्किंग नियमों के उल्लंघन जैसे मामूली आरोप थे।
वकीलों के एसोसिएशन ने कहा कि इन मामलों से साफ पता चलता है कि आगे चलकर बिना ठोस कारण वीजा रद्द करने और एसीवीआईएस (छात्र और विनिमय आगंतुक सूचना प्रणाली) रिकॉर्ड खत्म करने से रोकने के लिए पारदर्शिता, निगरानी और जिम्मेदारी जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों को एसीवीआईएस समाप्त होने के खिलाफ अपील करने का एक आसान तरीका मिलना चाहिए, ताकि वे नौकरी खोए बिना या यूनिवर्सिटी को बीच में लाए बिना अपनी बात रख सकें। ऐसे मामलों की संख्या बहुत ज़्यादा है, इसलिए यह और भी जरूरी हो जाता है।
न कोई नोटिस, न कोई आरोप
रिपोर्ट में बताया गया है कि एक भरोसेमंद स्रोत के अनुसार, 20 जनवरी 2025 से अब तक आईसीई (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट) ने 4,736 एसीवीआईएस रिकॉर्ड खत्म कर दिए हैं। इनमें से ज्यादा छात्र एफ-1 वीजा स्टेटस पर थे। सिर्फ 14% छात्रों ने कहा कि उन्हें आईसीई की तरफ से कोई नोटिस मिला था और ये सभी छात्र ओपीटी पर थे। उन्हें एक चिट्ठी मिली जिसमें लिखा था कि उनका ओपीटी अब खत्म कर दिया गया है। लगभग 7% छात्रों ने बताया कि उन्हें न तो आईसीई की तरफ से कोई जानकारी मिली और न उनके कॉलेजों से कोई नोटिस मिला।
छात्रों के लिए एसीवीआईएस समाप्ति के खिलाफ अपील करने का एक तरीका भी होना चाहिए, जो प्रभावित लोगों की विशाल संख्या को देखते हुए उनके रोजगार में अंतराल का सामना किए बिना या विश्वविद्यालय को शामिल किए बिना गलत है।
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने चिंता व्यक्त की
कांग्रेस ने शुक्रवार को अमेरिकी आव्रजन वकीलों के संघ के इस दावे पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उसके द्वारा अब तक एकत्र किए गए अंतरराष्ट्रीय छात्रों के 327 वीजा निरस्तीकरण मामलों में से 50% भारतीय हैं। पूछा गया कि क्या विदेश मंत्री एस जयशंकर इस मुद्दे को अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ उठाएंगे! कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने अमेरिकी आव्रजन वकील संघ द्वारा गुरुवार को जारी एक प्रेस बयान को ‘एक्स’ पर साझा किया और कहा कि यह ‘भारत में हमारे लिए चिंता का कारण है!’
कानूनी आव्रजन स्थिति का प्रमाण साथ रखना जरूरी
उधर, डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के एक नए निर्देश ₹ जो 11 अप्रैल से प्रभावी हो गया है, संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले गैर-नागरिकों को, चाहे वे एच-1बी कार्य वीजा, एफ-1 छात्र वीजा या अन्य कानूनी परमिट पर हों, अब हर समय अपनी कानूनी आव्रजन स्थिति का प्रमाण साथ रखना आवश्यक है। यह निर्देश आक्रमण के खिलाफ अमेरिकी लोगों की सुरक्षा’ नामक एक व्यापक कार्यकारी आदेश का हिस्सा है। इसका उद्देश्य आव्रजन प्रवर्तन प्रयासों को तेज करना है, जिसमें कानूनी स्थिति से वंचित व्यक्तियों को निर्वासित करने की संभावना है।
यह नया कदम अनिवार्य रूप से पहले से मौजूद कानून का एक सख्त अनुप्रयोग है। नीति की नींव 1940 के एलियन पंजीकरण अधिनियम में निहित है। एक ऐसा कानून जिसके तहत अप्रवासियों को अमेरिकी सरकार के साथ पंजीकरण कराना आवश्यक था। हालांकि, यह दशकों से अस्तित्व में था, लेकिन इस नियम को लगातार लागू नहीं किया गया। नए निर्देश ने इस पुरानी आवश्यकता को पुनर्जीवित किया है जिसे अब एलियन पंजीकरण आवश्यकता (ईआरपी) कहा जा रहा है, जो स्पष्ट समय सीमा और गैर-अनुपालन के लिए कठोर दंड लागू करता है।