

यात्रा वृतांत -विश्व धरोहर दिवस
Hampi is- a historic temple of South India: हमारी विश्व धरोहर हम्पी
साधना शर्मा की विशेष रिपोर्ट
जब हम बैंगलोर में अपने बेटे घर गए थे तब हम लोग हम्पी जाने का प्रोग्राम बनायें तब हमें पता नहीं था कि हम्पी हमारे ४३ विश्व धरोहर में से एक है ।हम्पी एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो कर्नाटक के बल्लारी (बेल्लारी) जिले में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है। यह होसपेट से सिर्फ 13 किमी की दूरी पर स्थित है और बैंगलोर से हम्पी की दूरी मुश्किल से 350 किमी है। प्राचीन स्थल विजयनगर साम्राज्य के विभिन्न खंडहरों से युक्त है. हम्पी के लिए निकटतम हवाई अड्डा, बेल्लारी मंदिर शहर से 60 किमी दूर है। हुबली हवाई अड्डा एक अन्य हवाई अड्डा है जो हम्पी से 143 किमी दूर है। इसके अलावा, तोरणगल्लू में जेएसडब्ल्यू विद्यानगर हवाई अड्डा हम्पी से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है। लेकिन हम बैंगलौर में थे तो ट्रेन से जाना सस्ता और सुविधाजनक लगा।
हम मार्च 2017 के प्रथम सप्ताह में यशवंतपुर स्टेशन से 6:30 घंटे ट्रेन से होसपेट स्टेशन पर उतरे वहॉ से हम्पी की दूरी 13.8 किमी थी। पहले से होटल बुक कर लिये थे।
यू तो हम बहुत सारे विश्व धरोहर स्थल गये जैसे अजंता एलोरा सॉची का स्तूप आगरा का ताजमहल आगरा का क़िला खजुराहो कोणार्क मंदिर गोवा का चर्च आदि आदि। परंतु हम्पी नाम भी पहले बार सुनी थी और हमें अपने विश्व धरोहर के इतिहास को जानने का मौक़ा मिला, ख़ास कर वहॉ बड़े बड़े चट्टानों पर नक्काशी सोच और उसे बहुत ही कम औजारों के साथ ख़ूबसूरती से तराशना अपने आप में अद्भुत आलौकिक और ऐतिहासिक धरोहर को हमारे देश में पा कर हम धन्य हुए।हम्पी स्कूल के पाठ्यक्रम में भी शामिल है ।
जब हम हम्पी के दर्शन स्थल पर पहुँचे तो काफ़ी बड़े क्षेत्र में 45-50 वर्ग किमी में फैला हुआ है। बहुत सारे स्मारक लगभग 1600 के साथ फैला हुआ है । यहाँ मंदिर राजसी खंडहर, जलीय संरचनाएं, और पुराने बाज़ार के साथ ही साथ ग्रेनाइट पहाड़ियों की गिनती दुनिया के सबसे पुराने पत्थरों में की जाती है । हम्पी में घाटियों और टीलों के बीच कई स्मारक चिह्न भी दिखाई दिए। साधारण, भव्य स्थल” के रूप में वर्णित किया गया है जिसमें “किले, नदी के किनारे की विशेषताएँ, शाही और पवित्र परिसर, मंदिर, तीर्थस्थल, स्तंभित हॉल, मंडप, स्मारक संरचनाएँ, जल संरचनाएँ और अन्य” शामिल हैं।
हम्पी, रामायण काल में किष्किंधा के नाम से जाना जाता है।यहां पर स्थित एक स्मारक हमें अनायास ही एथेंस का एक्रोपालिस की यादें दिला दिया ।हम्पी या हम्पे जिसे हम्पी के स्मारक समूह के रूप में भी जाना जाता है ।यह भारत के तीन प्रसिद्ध पत्थर के रथों में से एक है, अन्य दो कोणार्क (ओडिशा) और महाबलीपुरम (तमिलनाडु) में हैं। · इसे 16वीं शताब्दी में विजयनगर के शासक राजा कृष्णदेवराय के आदेश पर बनाया गयाथा।
यहाँ भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ को समर्पित एक रथ जो सबसे प्रसिद्ध रथ है वैसे भारत के तीन प्रसिद्ध पत्थर के रथों में से एक है. अन्य दो रथ ओडिशा के कोणार्क और तमिलनाडु के महाबलीपुरम में हैं. रथ की नक्काशी देखते ही बनता है ।
घूमते घूमते आप थक जायेंगें पर पूरा क्षेत्र को देखना एक दिन में संभव नही हो पायेगा। लगभग 500 मंदिर हो सकते हैं गणेश जी शिव जी पंपा मॉ (पार्वती) का मंदिर आदि बहुत सारे मंदिर हैं ।विरुपाक्ष मन्दिर, विजय विट्ठल मंदिर, श्री कृष्ण मंदिर, राम मंदिर, विष्णु के अवतार, नरसिंह की प्रतिमा, बौद्ध की प्रतिमाबड़े बड़े हॉल जिसमें हज़ारों लोगों की बैठने की व्यवस्था । 100 स्तंभ वाला मंडप और रानी के लिए स्नानागार, हाथी को रखने के लिए जगह, घोड़ों के लिए अस्तबल, रसोई घर असंख्य खिड़कियों के साथ।एक सीढ़ी नुमा चौकोर पानी का टंकी भी है ।
याने की हम्पी अपने आप में एक खूबसूरत छोटा शहर है ।मुझे यहाँ घूमने के बाद लगा कि मैंने एक बहुमूल्य धरोहर को देखा ।हम्पी ही एक ऐसा धरोहर है जहॉ सारे धर्म की आस्था दिखाई देती है ।विश्व के धरोहर जो हमारे भारत में हैं उसे अपने यात्रा में जरूर शामिल करें, ताकि हम अपने जीवन को धन्य महसूस करें कि हम उस भारत के नागरिक हैं जहॉ कि संस्कृति सभ्यता और धर्म आदि अनादि काल की देन है । हम अपनी धरोहर और सभ्यता को संरक्षित रखें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचायें ।
साधना शर्मा , कोरबा
Thirunelli-Dedicated Sites for all Life-Cycle Rituals within Hinduism: दक्षिण का काशी है थिरुनेल्ली /