Hans Editor Vivek Mishra: सुप्रसिद्ध कथाकार विवेक मिश्र बने देश की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली साहित्यिक पत्रिका हंस के कार्यकारी सम्पादक .

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Hans Editor Vivek Mishra

 

Hans Editor Vivek Mishra:सुप्रसिद्ध कथाकार विवेक मिश्र बने देश की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली साहित्यिक पत्रिका हंस के कार्यकारी सम्पादक .

नई दिल्ली: सुप्रसिद्ध कथाकार विवेक मिश्र  देश की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली साहित्यिक पत्रिका हंस के कार्यकारी सम्पादक बनाए गए हैं .
हंस’ वर्तमान में हिन्दी की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कथा-मासिक पत्रिका हैसाहित्यिक पत्रिका ‘हंस’ की स्थापना मुंशी प्रेमचंद ने 1930 में की थी, जो हिंदी के सबसे प्रभावशाली साहित्यिक मासिकों में से एक है और आज भी प्रकाशित होती हैपत्रिका ने 1933 में प्रेमचंद स्मृति अंक, 1938 में एकांकी नाटक अंक जैसे विभिन्न विशेषांक निकाले और महात्मा गांधी भी कुछ समय के लिए इसके संपादक मंडल में रहे। 1986 में राजेंद्र यादव ने इसका पुन: प्रकाशन शुरू किया, जिससे यह हिंदी की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पत्रिकाओं में से एक बन गई। सन् 2013 में राजेन्द्र यादव की मृत्यु के बाद से ‘हंस’ का सम्पादन संजय सहाय कर रहे हैं।कार्यकारी सम्पादक के रूप में कथाकार विवेक मिश्र के नाम  का चयन किया गया है
Hans Editor Vivek Mishra
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vivek mishra Author

 विवेक मिश्र का परिचय –15 अगस्त 1970 को झांसी, बुन्देलखण्ड में जन्मे, विवेक मिश्र हिन्दी के समकालीन कथाकार हैं। उनके तीन कहानी संग्रह-‘हनियाँ तथा अन्य कहानियाँ’, ‘पार उतरना धीरे से’ एवं ‘ऐ गंगा तुम बहती हो क्यूँ ?’ तथा दो उपन्यास ‘डॉमनिक की वापसी’ एवं ‘जन्म-जन्मान्तर’ प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी कहानियों का बांग्ला और अँग्रेज्ती में भी अनुवाद हुआ है। उन्हें कहानी ‘कारा’ के लिए’ सुर्ननोस कथादेश पुरस्कार’, कहानी-संग्रह ‘पार उतरना धीरे से’ के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘यशपाल पुरस्कार’, ‘हंस’ में प्रकाशित कहानी’ और गिलहरियाँ बैठ गयीं’ के लिए रमाकान्त स्मृति पुरस्कार 2016 और उपन्यास ‘डॉमनिक की वापसी’ के लिए किताबघर प्रकाशन का ‘जगत राम आर्य स्मृति सम्मान’ और कथा यू.के. का ‘इन्दु शर्मा कथा सम्मान’ मिला है। उनके दूसरे उपन्यास ‘जन्म-जन्मान्तर’ को वर्ष 2025 में स्पन्दन कृति सम्मान के लिए चुना गया है। वह इस समय एक पूर्णकालिक लेखक हैं और दिल्ली में रहते हैं।

मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा प्रादेशिक कहानी- लघुकथा गोष्ठी: गोष्ठियों के माध्यम से हम अपने सृजन को सर्वग्राही,रोचक और सार्थक बना सकते हैं