Haryana Government in Minority : हरियाणा की भाजपा सरकार अल्पमत में, 3 निर्दलीयों ने समर्थन वापस लिया, फिर भी गिरेगी नहीं!
Chandigarh : तीन निर्दलीय विधायकों के हरियाणा की नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने से राज्य सरकार अल्पमत में आ गई। इन तीनों विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन का एलान कर दिया। लेकिन, उन्होंने विधानसभा स्पीकर को सरकार से समर्थन वापसी का अपना लिखित पत्र नहीं दिया। इस घोषणा से सरकार पर दबाव जरूर बढ़ गया है। सरकार विधायकों के संख्या बल के हिसाब से अल्पमत में आ गई। किंतु, संवैधानिक तौर पर सरकार को अगले चार महीने तक किसी तरह का खतरा नहीं है।
मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद सरकार अल्पमत में आ गई। इस समर्थन वापसी के साथ ही प्रदेश सरकार के राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा गए। अब विधानसभा चुनाव तक हरियाणा में अल्पमत की सरकार चलेगी। बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले विधायकों की संख्या मंगलवार सुबह तक चार थी। लेकिन, शाम को इसकी संख्या तीन हो गई। मंगलवार सुबह से अटकलें थीं कि पूंडरी के निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान, नीलोखेड़ी के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर और बादशाहपुर से विधायक राकेश दौलताबाद समर्थन वापस लेंगे। मंगलवार शाम राकेश दौलताबाद को छोड़कर अन्य तीन विधायकों ने रोहतक पहुंचकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी। तीनों ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करने और बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान भी कर दिया।
यह है विधायकों की संख्या
● मौजूदा विधानसभा : 88 सदस्य
● बहुमत का आंकड़ा : 45 सदस्य
● सरकार के साथ : 43 MLA
● बहुमत के लिए कमी : 2 MLA
(बीजेपी के अपने विधायक 40 हैं। दो निर्दलीय और HLP का एक विधायक बीजेपी के साथ हैं)
(जेजेपी के बागी विधायकों से सरकार को उम्मीद)
नहीं आएगा अविश्वास प्रस्ताव
पूर्व मुख्मयंत्री मनोहर लाल के इस्तीफा देने से पहले 22 फरवरी 2024 को कांग्रेस बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। 22 फरवरी के बाद से अगले छह महीने तक नायब सिंह सैनी की सरकार के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। इस हिसाब से अल्पमत में होने के बावजूद सरकार को 22 अगस्त तक कोई खतरा नहीं है। सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सरकार अगस्त में भी विधानसभा भंग करके चुनाव की घोषणा कर सकती है। अगर सरकार चुनाव की घोषणा नहीं करती और कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाती है, तो भी बीजेपी 88 सदस्यीय विधानसभा में 45 विधायकों का आंकड़ा पेश कर सकती है। तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी के 40 विधायकों के साथ दो निर्दलीय और एक एचएलपी विधायक गोपाल कांडा का समर्थन रह गया है, जो कि बहुमत के आंकड़े से दो विधायक कम है। जेजेपी के 10 विधायकों में से सात असंतुष्ट हैं। इनसे ये कमी पूरी की जा सकती है।
समर्थन वापसी का पत्र स्पीकर को देना होगा
88 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए अब 45 विधायकों की जरूरत है। जबकि, बीजेपी के पास फिलहाल यह आंकड़ा पूरा नहीं हो रहा। जिन तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की है, उन्होंने अभी विधानसभा स्पीकर को लिखकर नहीं दिया है। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में वह लिखित में भाजपा से अपना समर्थन वापस लेने संबंधी पत्र स्पीकर को सौंप सकते हैं।