Haryana Next CM : हरियाणा में चुनाव जीतकर भी कांग्रेस की मुश्किल कम नहीं होगी!
Chandigarh : शनिवार को विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद एग्जिट पोल के नतीजे सामने आए। सभी चुनावी सर्वे एजेंसियों ने हरियाणा में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत आने के संकेत दिए। कांग्रेस के लिए सर्वे के आंकड़े संजीवनी की तरह हैं। लेकिन, लोकसभा चुनाव में बहुमत से पिछड़ने के बाद ये बड़ा झटका माना जा रहा है। लेकिन, बहुमत पाने के बाद भी कांग्रेस के लिए एक बड़ी मुश्किल होगी की हरियाणा में सरकार की कमान किसी से सोपी जाए। क्योंकि, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला में आपसी तनातनी पार्टी के लिए मुश्किल बन सकती है।
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए एग्जिट पोल में यहां कांग्रेस की सरकार बनती नजर आ रही है। यदि ये अनुमान परिणाम में बदलते हैं, तो भी कांग्रेस की टेंशन कम नहीं होगी। क्योंकि, उसके लिए सरकार के मुखिया का चयन आसान नहीं होगा। प्रदेश के तीन दिग्गज नेताओं में से किसी एक का चयन कांग्रेस के लिए परेशानी साबित होने वाली है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला रेस में सबसे आगे हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक सुर में कहा कि उनकी पार्टी अगली सरकार बनाएगी और पार्टी के चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस आला कमान अगले मुख्यमंत्री पर फैसला करेगा। यानी दिल्ली में बैठे कांग्रेस के नेता ही तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन होगा।
उम्मीद रखने का हक सभी को
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद किसे मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? यह सवाल जब हुड्डा ने किया गया तो उन्होंने बहुत ही सहजता ये बात दोहरायी कि पार्टी में एक निर्धारित प्रक्रिया है। इसके अनुसार पार्टी विधायकों की राय ली जाएगी। इसके बाद आलाकमान फैसला करेगा। यह पूछे जाने पर कि कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं, तो इसके जवाब में हुड्डा ने कहा कि राजनीति ऐसी चीज है कि कोई भी आकांक्षा रख सकता है। लेकिन, एक प्रक्रिया है कि विधायक अपनी राय देंगे, जिसके बाद आलाकमान फैसला करेगा।
नेताओं में खटास नजर आ चुकी
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस की टेंशन बढ़ती नजर आई। प्रदेश से गुटबाजी की खबरें सुर्खियों में थीं। एक ओर जहां कांग्रेस महासचिव कुमारी शैलजा पदयात्रा की तैयारी में जुटी थीं वहीं, इसके कुछ दिन बाद ही प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी ‘हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा’ की घोषणा कर दी। दोनों ही यात्राओं के बीच केवल 3 दिनों का अंतर रहा। ऐसा पहली बार नहीं था कि इस तरह की गुटबाजी देखने को मिली। जनवरी में भी हरियाणा कांग्रेस में यही सब देखने को मिल चुका है जब दो अलग-अलग कार्यक्रम किए गए थे, जिसकी अगुवाई शैलजा और हुड्डा करते नजर आए।