HC Order in Matter of Compassionate Appointment : अनुकंपा नियुक्ति मामले में मनमानी,उच्च न्यायालय के विभागीय जांच के आदेश!

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High Court's Order

HC Order in Matter of Compassionate Appointment : अनुकंपा नियुक्ति मामले में मनमानी,उच्च न्यायालय के विभागीय जांच के आदेश!

Ratlam : सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग कार्यालय को अनुकंपा नियुक्ति के मामले में मनमानी भारी पड़ गई। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय इंदौर के न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने सख्त आदेश पारित करते हुए शासन के विरुद्ध 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाकर याचिका को स्वीकार कर 3 माह में याचिका कर्ता दीप्ती सोलंकी को अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं।उन्होंने दोनों की माता सरोज सोलंकी के मरणोपरांत सेवा संबंधी लाभों का भुगतान 1 माह में कर उच्च न्यायालय को पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए।प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन को इस पूरे मामले में जो भी दोषी अधिकारी हैं,उनके विरुद्ध विभागीय जांच प्रारंभ कर अनुशासनात्मक कार्यवाहीं करने के आदेश भी दिए गए हैं।

मामले में अभिभाषक प्रवीण भट्ट ने मीडियावाला को बताया कि दिप्ती सोलंकी और यश्विनी सोलंकी की माता के मृत्यु के बाद उच्च न्यायालय ने याचिका क्रमांक 5316/2016 में 21-फरवरी-2018 को मध्यप्रदेश शासन के परिपत्र29-सितम्बर-2014 के तहत शैक्षणिक योग्यता अनुसार रिक्त पद पर अनुकंपा नियुक्ति हेतु विचार कर मरणोपरांत दिए जाने वाले सेवा संबंधी लाभ देने के आदेश दिए थे,परंतु तत्कालीन सहायक आयुक्त ने 19-सितम्बर-2019 को 50 प्रतिशत अंक के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन निरस्त कर मरणोपरांत सेवा संबंधी भुगतान नहीं किए।इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में पुनः याचिका प्रस्तुत की थी।

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इसमें बताया गया था कि दीप्ती सोलंकी व यश्विनी सोलंकी की माताजी सरोज सोलंकी शिक्षाकर्मी के पद पर वर्ष 1998 से नियुक्त थी।वर्ष 2001 में उनका अध्यापक संवर्ग में संविलियन कर उन्हें नियमित किया गया था। दिनांक 21-फरवरी-2013 को सरोज सोलंकी की उसके पति विक्रम सिंह सोलंकी द्वारा हत्या कर दी गई एवं बाद में विक्रम सिंह की मृत्यु जेल में रहते हुए हो गई।दीप्ती सोलंकी ने इसके बाद अनुकंपा नियुक्ति हेतु आवेदन प्रस्तुत किया,जिसे तत्कालीन सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग ने 12 कक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक होने के आधार पर05-अगस्त-2017 को निरस्त कर दिया।इससे व्यथित होकर दीप्ती सोलंकी व उसकी बहन ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की।उच्च न्यायालय ने 21-फरवरी-2018 को इस याचिका को स्वीकार कर शासन को आदेश दिए थे कि दीप्ती सोलंकी को मध्यप्रदेश शासन के परिपत्र29-सितम्बर-2014 के चरण संख्या 5.1 में दिए गए प्रावधान अनुसार शैक्षणिक योग्यता अनुसार अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। सरोज सोलंकी के मृत्यु उपरांत उसके सभी लाभ दोनो पुत्रियों को भुगतान किये जाएं।तत्कालीन सहायक आयुक्त ने न्यायालय के आदेश के विपरीत पुनः आदेश क्रमांक 3042 दिनांक 29-मार्च-2019 जारी कर 50 प्रतिशत से कम अंक होने के आधार पर दीप्ती सोलंकी का अनुकंपा नियुक्ति आवेदन निरस्त कर दिया।उन्होंने मरणोपरांत लाभ के संबध में 19-मार्च- 2019 को आदेश क्रमांक 3014 जारी कर कहा कि मृतक की पुत्रियों द्वारा सहयोग नहीं किया जा रहा हैं।इन आदेशों के विरुद्ध पुनः उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की गई।इस याचिका को स्वीकार कर न्यायालय ने सख्त आदेश दिए हैं।प्रकरण में याचिका कर्ता की पैरवी एडवोकेट प्रवीण कुमार भट्ट ने की।