HC’s strictness on disobedience of order: रिटायर्ड जजों को सुविधाएं न देने पर CS और ACS के विरुद्ध वारंट!

सचिव व विशेष सचिव को न्यायिक अभिरक्षा में लेने के आदेश!

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HC’s strictness on disobedience of order: रिटायर्ड जजों को सुविधाएं न देने पर CS और ACS के विरुद्ध वारंट!

सुप्रिमकोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों को सुविधाएं देने संबंधी आदेश की अवहेलना होने पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव वित्त के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को वारंट जारी किया। कोर्ट ने बुधवार को सचिव (वित्त) एसएमए रिजवी व विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्र को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दे दिया। दोनों को अवमानना के आरोप में गुरुवार को 11 बजे कोर्ट में पेश होने को कहा है।

जस्टिस सुनीत कुमार व जस्टिस राजेंद्र प्रसाद की पीठ ने मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा व अपर मुख्य सचिव वित्त प्रशांत त्रिवेदी को सीजेएम लखनऊ के जरिए जमानती वारंट जारी कर गुरुवार को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है।

जमानत पर रिहा करने का अनुरोध
इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित किया जाए। आदेश के बाद अपर महाधिवक्ता ने अधिकारियों को जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया। कोर्ट ने इस मामले में गुरुवार को सुनवाई के समय विचार करने की बात कही है।

रिटायर्ड जजेज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि दोनों अफसरों ने झूठा हलफनामा दाखिल कर गुमराह किया है। आदेश का पालन न करने पर अधिकारी बिना किसी वैध वजह के अड़े हैं, जो प्रथमदृष्टया अवमानना है। अफसरों ने कोर्ट से अपना पिछला आदेश वापस लेने की अर्जी दी है। आदेश का कौन सा हिस्सा वापस लेना है यह स्पष्ट नहीं है। पूरा आदेश ही वापस लेने की मांग की है।

कोर्ट के अनुसार अफसरों ने कहा कि 2018 के शासनादेश को संशोधित करने पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने अनुच्छेद 229 का मुद्दा उठाया। जो याचिका में नहीं है। यह भी कहा कि मुख्य सचिव ने 13 अप्रैल को बैठक की थी। महाधिवक्ता ने भी आदेश का पालन करने की राय दी है। विधि विभाग ने अनुच्छेद 229 में 6 अप्रैल 23 के संशोधन का प्रस्ताव भेजा है। जिसका अनुमोदन नहीं किया गया है। यह कोर्ट की अवमानना है।

हाईकोर्ट ने पहले भी निर्देश दिया था कि रिटायर्ड जजों के घरेलू नौकर समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाने के मामले में चीफ जस्टिस के प्रस्तावित नियम को तत्काल अमल में लाएं। इस प्रस्ताव पर विभाग हफ्तेभर में अनुमोदन आदेश पर का पालन नहीं किया। बुधवार काे प्रमुख सचिव वित्त एवं न्याय सहित दोनों अधिकारी हाजिर नहीं हुए । उनकी जगह एलपी मिश्रा ने प्रतिवाद किया। इस पर तल्खी और बढ़ गई। कोर्ट ने 3 बजे वित्त विभाग के तीनों शीर्ष अधिकारियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने का आदेश दिया।

सरकार सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेगी
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने की तैयारी है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अनुमोदित-नियमावली को अधिसूचित करने का आदेश 4 अप्रैल को राज्य सरकार को दिया था। राज्य सरकार ने इस नियमावली को अधिसूचित नहीं किया है। वित्त विभाग इस नियमावली को अधिसूचित करने के पक्ष में नहीं है। विभागीय जानकारों का कहना है कि हाई कोर्ट की ओर से भेजी गई यह नियमावली मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसके पीछे वजह यह है कि उसकी विषयवस्तु सेवानिवृत्त जजों से संबंधित है। साथ ही मामला संविधान के अनुच्छेद-229 के दायरे में नहीं आता है।

हाई कोर्ट की ओर से 4 अप्रैल को पारित आदेश को लेकर शासन ने कोर्ट के समक्ष रीकाल एप्लीकेशन दी थी, जिसमें उक्त आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने इसे अपने आदेश की अवहेलना मानते हुए दोनों अधिकारियों को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दे दिया।