IAS को भारी पड़ गई भ्रष्टाचार की जांच
मप्र में 2011 बैच की आईएएस नेहा मारव्या बीते 9 महीने से प्रशासनिक प्रताड़ना के दौर से गुजर रही हैं। मंत्रालय में उन्हें छह माह बाद पानी पिलाने चपरासी मिला है। उन्हें राजस्व विभाग का डिप्टी सेकेट्ररी बनाकर लगभग बिना काम के बिठा रखा है। नेहा मारव्या का सबसे बड़ा अपराध यह है कि उन्होंने रोजगार गारंटी परिषद का सीईओ रहते सरकार के सबसे चहेते अफसर ललित बेलवाल के भ्रष्टाचार की जांच कर उन्हें भ्रष्टाचारी सिद्ध कर दिया था। बेलवाल का तो कुछ नहीं बिगड़ा, नेहा मारव्या को लूप लाईन भेज दिया गया है। फिलहाल यह तेजतर्रार आईएएस प्रशासनिक प्रताड़ना के दिन काटने को मजबूर हैं।
नरोत्तम मिश्रा की घेराबंदी
जिस तरह भाजपा के निशाने पर कमलनाथ की छिंदवाड़ा सीट है उसी तरह कांग्रेस के निशाने पर नरोत्तम मिश्रा की दतिया सीट है। अन्तर यह है कि भाजपा छिंदवाड़ा को लेकर हल्ला ज्यादा कर रही है। इसके उलट कांग्रेस ने नरोत्तम मिश्रा को दतिया में हराने की रणनीति पर गंभीरता से काम शुरु कर दिया है। नरोत्तम के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रशिक्षित भाजपा नेता को कांग्रेस के टिकट पर उतारना तय हो गया है। चर्चा है कि भाजपा के इस नेता की नरोत्तम से तगड़ी अदावत हो गई है। इस नेता ने अपने सोशल मीडिया पर दतिया के कथित विकास की पोल खोलना शुरु कर दिया है। दतिया में नरोत्तम की जड़ें बहुत मजबूत हैं। कौन जीतेगा यह तो नहीं पता, लेकिन इस बार दतिया का चुनाव रोचक और तीखा हो सकता है।
चुनाव से कमलनाथ के घर खुशी
मप्र में चुनाव से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के घर खुशियां छाई हुई हैं। परिवार के साथ खुशी मनाने कमलनाथ इस सप्ताह दुबई भी पहुंचे थे। दरअसल कमलनाथ के छोटे बेटे बकुलनाथ दुबई में रहते हैं। बकुल की पत्नी ने दुबई में बेटे को जन्म दिया है। यह खबर सुनते ही कमलनाथ पोते को खिलाने दुबई रवाना हो गये। राहुल गांधी की संसद सदस्यता को लेकर भोपाल से दिल्ली तक हुए प्रदर्शन में कमलनाथ दिखाई नहीं दिये। बताया जाता हो कि इस दौरान कमलनाथ दुबई में अपने घर आए नये मेहमान को खिलाने में व्यस्त थे।
उज्जैन जेल भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा
उज्जैन जेल अधीक्षक उषाराज की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह यहां भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं उसे देखकर लगता है कि मप्र में शासन प्रशासन नाम की कोई चीज ही नहीं है। जेल में कैद रहे बलात्कार के आरोपी ने एक लाख रुपए रोज पर जेल को ठेके पर ले रखा था। जेल अधीक्षक और उनके इस दलाल ने जेल के कुछ प्रहरियों के साथ मिलकर वसूली गिरोह बना लिया था। इस गिरोह द्वारा कैदियों के परिजनों से जमकर अवैध वसूली के प्रमाण अब सामने आ गये हैं। जेल अधीक्षक के इस गिरोह ने 68 जेल कर्मचारियों के भविष्य निधि के 14 करोड़ रुपए बैंक से निकालकर डकार लिये। चर्चा है कि जेल मंत्री और जेल मुख्यालय को यह ठेंगे पर रखते थे। इतनी बड़ी घटना के बाद भी जेल विभाग गहरी नींद में है।
बाल आयोग को बड़े स्कूल ने लौटाया!
मप्र बाल संरक्षण आयोग इन दिनों “विशेष” स्कूलों की पड़ताल और उन पर कार्रवाई को लेकर चर्चा में है। हाल ही में बाल आयोग के कुछ पदाधिकारी राजधानी से सटे जंगल क्षेत्र में बने बड़े समूह के स्कूल में जांच करने पहुंचा था। स्कूल प्रबंधन ने आयोग की टीम को दरवाजे के बाहर से ही उल्टे पांव लौटा दिया था। हालांकि बाल आयोग के पदाधिकारियों ने शिक्षा विभाग के ब्लॉक स्तर के अधिकारी को भी अपने साथ चलने को कहा था, लेकिन इस अधिकारी ने अपने अधीनस्थ अधिकारी को भेज दिया। मजेदार बात यह है कि बाल आयोग ने इस अपमान के बाद भी इस बड़े स्कूल की ओर देखा तक नहीं है।
मंत्री के सबसे बड़े दलाल पर एफआईआर
वैसे तो यह सहकारिता विभाग का सबसे विवादस्पद अफसर रहा है। इसे सहकारिता विभाग की रेत से तेल निकालना आता है। पिछले लंबे समय से सहकारिता विभाग में मंत्री कोई भी हो उसे चलाता यही अफसर है। चर्चा है कि सहकारिता विभाग के मनमाने ढंग से चुनाव कराने और काले को सफेद करने में माहिर इस अफसर ने मंत्रियों को बोरे भर भरकर नोट कमवाये हैं। रिटायरमेंट के बाद भी अफसर की हवस शांत नहीं हुई तो सहकारिता के अफसर एकजुट हुए। इस दलालनुमा अफसर के खिलाफ भोपाल में पहली एफआईआर दर्ज हो गई है। इसके घपले घोटालों का चिठ्ठा तैयार हो चुका है। यानि इस अफसरनुमा दलाल के बुरे दिन शुरु हो चुके हैं।
और अंत में…!
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के एक फैसले का मप्र में तीखा विरोध शुरु हो गया है। इस फैसले से भाजपा के तमाम नेताओं को अपने भविष्य की आर्थिक चिन्ता सताने लगी है। दरअसल भाजपा शासित राज्यों में आपातकाल के दौरान जेल गये भाजपा नेताओं को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया गया है। इन्हें आजीवन सम्मान निधि पाने की पात्रता भी है। मप्र में आपातकाल के दौरान यदि एक दिन भी जेल गये हैं तो ऐसे सैकड़ों भाजपा नेताओं को लगभग 25 हजार रुपये महीने मिल रहे हैं। हिमाचल में कांग्रेस सरकार आते ही यह खैरात बंद कर दी गई है। मजेदार बात यह है कि हिमाचल के फैसले का तीखा विरोध मप्र से शुरु हो गया है। वैसे मप्र में कमलनाथ सरकार ने भी असली नकली लोकतंत्र सेनानियों की जांच के नाम पर यह खैरात बंद कर दी थी।