सुनी सुनाई: बेटे की गुंडागर्दी से पिता का टिकट कटना तय!

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सुनी सुनाई: बेटे की गुंडागर्दी से पिता का टिकट कटना तय!

बेटे की गुंडागर्दी से पिता का टिकट कटना तय!

मप्र भाजपा का यह पहला उदाहरण होगा जब बेटे की गुंडागर्दी के कारण भाजपा विधायक का टिकट कटना तय माना जा रहा है। सिंगरौली के विधायक रामलल्लू वैश्य का बेटा विवेकानंद वैश्य की वसूली और गुंडागर्दी से विधानसभा क्षेत्र के अधिकारी डरे हुए हैं। विवेकानंद पर आरोप है कि उसने कुछ वर्ष पहले वन चौकी पर हमला कर एक सरकारी कर्मचारी को अधमरा कर दिया था। दहशत फैलाने फायर भी किए थे। एफआईआर भी दर्ज हुई थी, पिता के संरक्षण के चलते पुलिस ने लंबे समय तक उसे गिरफ्तार नहीं किया। वह पूरे क्षेत्र में घूम घूमकर वसूली करता व दहशत फैलाता रहा। चुनाव नजदीक आए तो विधायक ने उसे सरेंडर कराया। हाईकोर्ट से जमानत होने तक वह जेल के बजाय अस्पताल के एसी रूम में रहा। जेल से छूटते ही उसने फिर एक आदिवासी पर फायरिंग कर दी है। इस बार सिंगरौली के एसपी सख्त हैं। उन्होंने विधायक के बेटे पर 10 हजार का ईनाम घोषित कर दिया है।

कमल पटेल ने कराई फजीहत!

इस सप्ताह मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अंधेरे में रखकर सीएम हाऊस में देह व्यापार के एक सजायाफ्ता आरोपी को भाजपा ज्वाइन करा कर पार्टी की जमकर फजीहत करा दी है। कमल पटेल हरदा से चुनाव जीतने के लिए सभी जतन कर रहे हैं। पूर्व विधायक के बेटे रामकृष्ण पटेल पर देह व्यापार का गंभीर आरोप है।

कृषि मंत्री कमल पटेल

उसे भोपाल कोर्ट से सजा भी हो चुकी है। लेकिन वह हाईकोर्ट से जमानत पर बाहर है। कमल पटेल ने उन्हें हरदा का सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति बताते हुए सीएम के सामने भाजपा ज्वाइन कराई तो देश भर के मीडिया ने सजा के सबूतों के साथ खबर छापकर भाजपा और कमल पटेल पर सवाल खड़े कर दिए। सूत्रों के अनुसार इस घटना से भाजपा संगठन नाराज है। कमल पटेल को खरी खोटी भी सुनाई गई हैं।

सर्वे कमलनाथ का, उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के!

मप्र कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में जीतने वाले उम्मीदवारों की खोज के लिए जो सर्वे कराया है उसे देखकर मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी हैरान हैं। प्रदेश की आधे से अधिक सीटों पर चुनाव जीतने वालों में पहले नम्बर पर दिग्विजय सिंह समर्थकों के नाम आ रहे हैं।

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पार्टी के दूसरे और अब तीसरे सर्वे में भी दिग्विजय सिंह समर्थकों का पलड़ा भारी दिख रहा है। कमलनाथ ने यदि सर्वे के आधार पर टिकट दी तो दिग्विजय सिंह खेमे को सबसे अधिक टिकट मिलना तय है। चुनाव के बाद यदि कांग्रेस को बहुमत मिला तो यह तय है कि सीएम की शपथ बेशक कमलनाथ लेंगे लेकिन सुपर सीएम दिग्विजय सिंह ही रहेंगे।

शोभा ओझा ने अपनी ताकत दिखा दी

दिल्ली से आई एक चिठ्ठी ने मप्र कांग्रेस में हडकंप मचा रखा है। इसे कांग्रेस की पूर्व मीडिया अध्यक्ष शोभा ओझा की ताकत के रूप में भी देखा जा रहा है। शोभा ओझा लंबी खामोशी के बाद सक्रिय हो गई हैं। वे पार्टी के सभी कार्यक्रमों में सक्रिय दिखाई दे रही हैं। उम्मीद की जा रही थी कि शोभा ओझा को कांग्रेस के मीडिया विभाग में कोई जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन कमलनाथ ने साफ कर दिया कि मीडिया विभाग की कमान केके मिश्रा, पीयूष बबेले ही संभालेंगे। इसी बीच दिल्ली से एक फरमान जारी हो गया जिसमें मप्र में चार मीडिया समन्वयकों की नियुक्ति कर दी गई। यह सभी मीडिया समन्वयक शोभा ओझा को रिपोर्ट करेंगे। यानि मप्र में शोभा ओझा के लिए दिल्ली ने समानांतर मीडिया विभाग बना दिया है। कमलनाथ इस पत्र से खासे नाराज बताये जा रहे हैं। फिलहाल इतना तय है कि शोभा ओझा ने संदेश दे दिया है कि वे दिल्ली में अभी भी ताकतवर हैं।

संकट में यशोधरा राजे सिंधिया का टिकट!

खबर थोड़ी चौंकाने वाली है। ग्वालियर महल और राजमाता के नाम पर राजनीति करने वाली मप्र की वरिष्ठ मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की टिकट खतरे में बताई जा रही है। पहली बार शिवपुरी में उनका खासा विरोध साफ दिखाई दे रहा है। मप्र भाजपा चुनाव की कमान अमित शाह के हाथ आने के बाद यशोधरा राजे के लिए खतरा और बढ़ गया है। क्योंकि अमित शाह एक एक सीट पर माइक्रो सर्वे कराकर ही टिकट देने वाले हैं। अमित शाह बड़े से बड़े नेता का टिकट काटने की क्षमता रखते हैं। यशोधरा राजे ने शिवपुरी में पर्याप्त विकास कराया है। लेकिन उनके तीखे स्वभाव और कुछ समर्थकों की मनमानी के कारण शिवपुरी में यशोधरा राजे का विरोध इस बार ज्यादा ही बढ़ गया है। पीढ़ियों से महल का समर्थन करने वालों में कुछ ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है तो अनेक लोगों ने पहली बार यशोधरा राजे से दूरी बना ली है।

कांग्रेस में उठने लगी आदिवासी सीएम की मांग

मप्र में कांग्रेस बहुमत मिला तो मुख्यमंत्री कौन होगा? इसे लेकर फिर से मामला गरमाने लगा है। मप्र कांग्रेस के प्रथम पंक्ति के 12 नेता लिखकर तय कर चुके हैं कि कमलनाथ हमारे निर्विवाद नेता हैं। कांग्रेस को बहुमत मिला तो सीएम की शपथ कमलनाथ ही लेंगे। लेकिन इसी बीच कांग्रेस का ही कोई न कोई जिम्मेदार नेता रोज नया रायता फैला देता है।

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इस बार कांग्रेस के ही वरिष्ठ विधायक उमंग सिंघार ने अपनी बुआ स्व. जमुनादेवी के पदचिन्हों पर चलते हुए चुनाव से पहले आदिवासी सीएम का मुद्दा उछाल दिया है। फिलहाल उमंग के पक्ष में कांग्रेस के किसी भी आदिवासी विधायक या नेता का बयान नहीं आया है। सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने जरूर उमंग की बात का समर्थन किया है। लेकिन वे भी कांग्रेस से आदिवासी सीएम का समर्थन कर रहे हैं, भाजपा से नहीं।

और अंत में…!

मप्र कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं में आजकल बोलचाल तक बंद है। मामला एक जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर है। जिले में लंबे समय से एक नेताजी का संगठन पर कब्जा रहा है। इस बार दूसरे नेताजी ने बीटो पावर लगाकर अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनवा लिया। इस नियुक्ति से पहले नेता खासे नाराज हैं। भोपाल से दिल्ली तक वे अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। अब खबर आ रही है कि इस नियुक्ति के बाद दोनों दिग्गज नेताओं में फिलहाल बोलचाल व दुआ सलाम भी बंद है। ऐन चुनाव के वक्त इस तरह के माहौल ने कमलनाथ को भी परेशान कर रखा है। कमलनाथ पहले नेता को मनाने और दोनों नेताओं के बीच समन्वय के लिए प्रयासरत बताये जा रहे हैं।