Heavy Clutter : अभी जारी है रुद्राक्ष पुराण, अव्यवस्था, जाम और बेकाबू भीड़!

जिला प्रशासन अभी भी असहाय ही नजर आ रहा, कोई सख्ती दिखाई नहीं दी!

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Heavy Clutter : अभी जारी है रुद्राक्ष पुराण, अव्यवस्था, जाम और बेकाबू भीड़!

Sehore : रुद्राक्ष पुराण अभी ख़त्म नहीं हुआ। गुरुवार को रुद्राक्ष वितरण बंद करने की घोषणा के बाद शुक्रवार सुबह फिर कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव शुरू हो गया। सुबह से रुद्राक्ष पाने ली चाह में लोगों की लाइन लग गई। उधर, इंदौर-भोपाल हाईवे पर वाहन चल नहीं रहे, रेंगते नजर आ रहे हैं। पं प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में फिर लाखों की संख्या में श्रद्धालु सुबह से ही रुद्राक्ष के लिए लाइन में खड़े हैं। जिला प्रशासन की व्यवस्थाएं घुटने टेकती नजर आईं।

सीहोर के मार्ग पर जहां नजर दौड़ाओ भीड़ ही भीड़ दिखाई दे रही है। सड़क किनारे लोग थके हारे बैठे हैं। बच्चे, बुजुर्ग सब बेहाल हैं। लाखों जानें मुसीबत में है, हजारों गाड़ियां जाम में फंसी गई। ये हालात कुबेरेश्वर धाम से भोपाल की ओर आने वाले 20 किमी लंबे रास्ते पर कहीं भी दिख जाएंगे। फोरलेन पर सीहोर के चौपाल सागर चौराहे से आष्टा के पहले तक आठ घंटे जाम लगा रहा। चितावलिया हेमा गांव में बने कुबेरेश्वर धाम में गुरुवार से शुरू हुए रुद्राक्ष महोत्सव में 20 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे। बेकाबू भीड़ के कारण हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि यहां एक महिला की मौत हो गई, कई लापता हैं। सीहोर एसपी मयंक अवस्थी का कहना है कि 1500 का फोर्स लगा हुआ है। इनमें 500 जवान सीहोर के हैं, जबकि 1000 पीएचक्यू से बुलाए हैं। लेकिन, सड़क पर पैदल चलने वाले लाखों हैं, इसलिए जाम लगा।

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गुरुवार को लोग घंटों रुद्राक्ष पाने की उम्मीद में लाइन में खड़े रहे, लेकिन रुद्राक्ष नहीं मिला। पूरी रात भक्तों आवाजाही करते रहे। शुक्रवार सुबह से फिर रुद्राक्ष लेने वाले लाइन में लग गए। इतनी भीड़ है कि पैर रखने तक की जगह नहीं। 5 से 6 लाख लोग आयोजन स्थल पर मौजूद हैं। कई लोग इस भीड़ में गुम गए, जिनके परिजन उन्हें ढूंढ रहे हैं। रातभर से अव्यवस्था का यही आलम है।

बाहर से आई एक महिला को भीड़ देखकर आश्चर्य है और पंडित प्रदीप मिश्रा के दावे पर भी। इतनी अव्यवस्था होगी उन्होंने सोचा नहीं था। पीने का पानी तक नहीं है। बाथरूम में लॉक लगे थे। ऑटो वाले एक-एक व्यक्ति से 500-500 रुपए ले रहे हैं। हर चीज महंगी है। रुद्राक्ष फेंक कर दिए तो कई लोग दब गए। कोई पूजा वाले रुद्राक्षों को ऐसा फेंकता है क्या। लोग परेशान है। उनका कि जब 16 से रुद्राक्ष बांटने की बात कही थी, तो 15 तारीख को क्यों बांटना शुरू किया। पिछले साल भी यही हुआ था। पंडित जी ने कहा था कि एक महीने का बच्चा आए, तो उसे भी रुद्राक्ष देंगे, कहां गया उनका यह वादा। पानी तक के लिए भटकते रहे। रुद्राक्ष तो छोड़िए पानी, खाने तक की व्यवस्था नहीं कर पाए।

प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल उठे 

प्रशासन ने पिछली बार हुई घटना से कोई सबक नहीं लिया। इस साल भी इंदौर-भोपाल हाईवे पर जाम के हालात बने हैं। वाहनों की कतार लग गई। लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। इस जाम से हर कोई परेशान है। इस मार्ग से निकल रही कई एम्बुलेंस भी फंस गईं। जबकि, प्रशासन का कहना है कि पुराण कथा के नाम पर अनुमति ली गई थी। समिति ने 5 से 6 लाख लोगों के आने का अनुमान बताया था, फिर भी हमने 10 लाख लोगों के लिए धाम में जाने और बाहर आने के इंतजाम किए थे। सुबह से भीड़ बढ़ती गई और दोपहर 12 बजे तक करीब 20 लाख लोग पहुंच गए।

ये अनुमान से दोगुना है। इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो गया है। 5 पार्किंग रात में फुल हो गईं थीं। सुबह जो लोग पहुंचे उन्होंने सड़क पर गाड़ियां लगा दीं। 95% लोग चार पहिया वाहन से पहुंचे। महोत्सव के लिए समिति ने सोशल मीडिया के जरिए आमंत्रण दिया। जिसे जो जानकारी मिली, वो पहुंच गया। लेकिन, फिर भी ये सवाल उठता है कि इतनी अव्यवस्था होने, एक महिला की मौत होने पर भी आयोजन को रोका क्यों नहीं गया! आज भी भीड़ क्यों इकट्ठा है!

 

वे गलतियां जो समिति से हुईं, प्रशासन ने उसकी अनदेखी की 

रुद्राक्ष महोत्सव के लिए समिति ने सोशल मीडिया, अखबार आदि के जरिए आमंत्रण दिया। जहां जिसे जो जानकारी मिली, वो पहुंच गया। पार्किंग कम थी, इसलिए वाहन जमा होते गए। पार्किंग रात में फुल हो गईं थीं। सुबह जो लोग पहुंचे उन्होंने सड़क पर गाड़ियां लगा दीं। 95% लोग दो और चार पहिया वाहन से पहुंचे। रुद्राक्ष के लिए भीड़ न बढे, इसलिए बुधवार से ही रुद्राक्ष बांटना शुरू कर दिया गया। गुरुवार सुबह इतनी भीड़ आई कि 10 काउंटर्स पर घंटों लाइन में लगे लोग बेकाबू हो गए। वे चढ़ते, कुचलते हुए सभी जल्द रुद्राक्ष लेना चाहते थे। माहौल बिगड़ता देख दोपहर में पं. प्रदीप मिश्रा ने रुद्राक्ष वितरण बंद कर दिया।