Herbal Medicine Ambadi :अनाड़ी बनने से अच्छा है, अंबाडी बनाइये विटामिन सी सहित कई अन्य विटामिन्स का भंडार है यह !
डॉ. विकास शर्मा
अनाड़ी बनने से अच्छा है अमाड़ी बनाइये। क्योंकि इसका स्वाद आपके दाँत खट्टे कर देगा। पोषण आपको तंदुरुस्त कर देगा साथ ही महालक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।कुछ लोग इसे ‘रोजले’ पौधे के नाम से भी जानते हैं. इसमें हरे पत्ते और लंबे लाल तने होते हैं और यह अन्य सागों की तुलना में लंबे होते हैं और अधिक अम्लीय भी होते हैं.
अमाड़ी की पत्तियों की भाजी खट्टी होती है व विटामिन सी सहित कई अन्य विटामिन्स का भंडार है। इसी की एक अन्य जाति जिसे अम्बाडी कहते हैं के फलों के माँसल गूदे की चटनी भी लाजबाब होती है। इसका रंग चटख लाल- गुलाबी सा होता है, जिससे यह स्वादिष्ट होने के साथ साथ सुंदर भी हो जाती है।
तो चलिए अमाड़ी के भाजी और अम्बाडी की चटनी का स्वाद चखते हैं। अम्बाड़ी का पौधा एक शाकीय पौधा है, जो किसानो के द्वारा रस्सी उत्पादन हेतु लगाया जाता है। इसकी पत्तियां साग – भाजी की तरह खायी जाती हैं, जिनका स्वाद खट्टा होता है। बनाने की विधि चौलाई साग बनाने की तरह ही है। भाजी छिंदवाड़ा जिले के मराठी भाषी क्षेत्र सौसर तथा पांढुर्ना में तो अम्बाड़ी की भाजी का महालक्ष्मी पूजा में विशेष स्थान है। इस पूजन का विशेष प्रसाद जिसे आम्बिल कहा जाता है, वो तो इस साग के बिना बनाया ही नहीं जा सकता। आम्बिल में छाछ, कूटी हुयी ज्वार का आटा या टुकड़े तथा अमाड़ी की कोमल पत्तियां शामिल होती हैं।
इसके बीज भी महत्वपूर्ण होते हैं, जिनसे तेल निकाला जाता है और सबसे महत्वपूर्ण है छाल जिसका प्रयोग रस्सी बनाने के लिए किया जाता है। पुराने समय में हर किसान रस्सियों के लिए इसे थोडा बहुत अपने खेत में लगाया करते थे, किन्तु प्लास्टिक युग के आगमन से इसकी खेती अब समाप्त सी हो चुकी है, और कुछ क्षेत्रो में तो यह ढूँढने से भी नहीं मिलता है।
वैसे अगर आपके आसपास Hibiscus radiatus, H.acetosella व H.cannabinus हो तो इनमें से किसी एक को पहचान पाना बहुत मुश्किल है। पत्तियों में 3 से 7 तक पत्रक गहराई तक धसे हुये हो तो यह H.cannabinoid है, क्योंकि तीनो के फूल देखने मे हूबहू एक जैसे दिखाई देते हैं। जबकि H. sabdarifa देखने मे एकदम अलग से ही पहचान आ जाते हैं।
पहली तीनों जातियाँ अपने सुंदर फूलों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बाग- बगीचे की सुंदरता के लिए भी खूब लगाए जाते हैं। लेकिन इसके फूलों से छेड़छाड़ करते समय सावधान रहें, क्योंकि इसमें चुभने वाले कटीले बालों के सामान संरचनाएं होती हैं जो हल्की चुभन पैदा करती हैं।
रस्सियो के लिए फाइबर वाले तीन पौधे जिनके के बारे में अक्सर भ्रम हो जाता है, इनके बारे में भी जानना आवश्यक है।
1. सन (Crotolaria juncea) सहित इस जीनस के अन्य सभी पौधे, (Family- Fabaceae)
2. पटसन (Hibiscus cannabinus) सहित इस जीनस के अन्य के पौधे, (Family- Malvaceae)
3. जूट (Corchorus capsularis) सहित इस जीनस के अन्य सभी पौधे, (Family-Malvaceae)
डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला – छिन्दवाड़ा (म.प्र.)