इधर ‘बाबा की कथा’ और उधर ‘बाबा को राहत’…

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इधर ‘बाबा की कथा’ और उधर ‘बाबा को राहत’…

हनुमान भक्त कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में सनातन धर्म के प्रतीक बन चुके बाबा बागेश्वर धाम की कथा की शुरुआत हो रही है। कथा से पहले जब छिंदवाड़ा में कलश यात्रा निकली, उसी समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल बाबा को मानहानि के मामले में हुई दो साल की सजा से राहत दे दी गई। यह भले ही महज संयोग हो, लेकिन इधर कमलनाथ के गढ़ में बाबा बागेश्वर सरकार की कथा की तैयारी और उधर राहुल बाबा को मिली सबसे बड़ी खुशी। मतलब वही खुशी जो राहुल बाबा के दिल में नहीं समा रही होगी। अब फैसला कुछ भी आए, पर फैसला आने तक तो राहुल बाबा समर्थकों के मन में न्यायपालिका के प्रति भरोसा जाग गया है। कभी केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री रहे कमलनाथ ने यह साफ कर दिया है कि जिस तरह राहुल बाबा की सदस्यता खत्म करने में जल्दबाजी की गई थी, अब उसी तरह लोकसभा अध्यक्ष को राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने की अधिसूचना भी उतनी ही जल्दी निकालने का काम करना पड़ेगा। नाथ के मुताबिक संसदीय प्रावधान यही कहता है। हालांकि इस एपीसोड का दूसरा पक्ष और सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि क्या राहुल बाबा की सदस्यता बहाल करने में लोकसभा अध्यक्ष इतनी जल्दबाजी में फैसला लेंगे? शायद जवाब यही अपेक्षित है कि इतनी भी जल्दी क्या है? पर यह बात साफ है कि ‘बाबा की कथा’ और ‘बाबा को राहत’ का कुछ अजब-गजब संयोग तो बन ही गया है।
आगामी तीन दिन छिंदवाड़ा में राम और रामभक्त हनुमान का नाम आकाश में गूंजेगा, तो सबकी नजर चुनाव के ऐन वक्त पर कथा के जरिए नाथ द्वारा हिंदुत्व कार्ड खेलने पर भी है। हालांकि नाथ पलटवार करने में भी कंजूसी नहीं करते हैं और अब भी वही बात दोहरा रहे हैं कि क्या भाजपा ने धर्म की एजेंसी ले रखी है। तो छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री और नाथ के धुर विरोधी कमल पटेल उन्हें चुनावी हिंदू बताते हैं। वह नाथ पर तमाम आरोप लगाते हैं और किसानों के साथ कर्जमाफी के नाम पर हुई धोखाधड़ी के लिए उन्हें जिम्मेदार मानते हैं। और बाबा की कथा को वोटर्स को लुभाने की चाल बता रहे हैं। तो शिवराज की राय भी यही है। शिवराज अपनी चुनावी सभाओं में तो नाथ का काला चिट्ठा मतदाताओं के सामने परोसते भी हैं। एक बानगी शिवराज की एक सभा से। कमलनाथ जी मैंने अभी गरीबों के पांव में जूते पहनाए बहनों को चप्पल पहनाई क्योंकि वह तेंदूपत्ता तोड़ने जाती थी। तो कमलनाथ जी कह रहे थे, शिवराज को यह जूते लौटा देना। कमलनाथ जी तुम तो जूते का महत्व क्या जानो। तुम तो सोने की चम्मच लेकर पैदा हुए हो। मैं तो गरीब घर में पैदा हुआ हूं।
बिना जूते के पांव में कांटा गड़ जाता है तो गरीब के दिल में कितनी तकलीफ होती है। ये शिवराज सिंह चौहान जानता है, कमलनाथ जैसे लोग नहीं जान सकते।किसान भाइयों ये वही कमलनाथ और वही कांग्रेस है जिन्होंने कर्जा माफ करने का वचन दिया था लेकिन किसी का कर्जा माफ नहीं किया। उसका ब्याज मैंने भरा जिसके कारण किसान डिफाल्टर हो गए थे। एक नहीं अनेकों योजनाएं कांग्रेस ने बंद कर दी थी। सवा साल के लिए कांग्रेस आई थी। मैं पहले बैगा,भारिया और सहरिया हेलो के खाते में ₹1000 महीना डालता था। कांग्रेस ने वो 1 हजार रुपए बंद कर दिए। और फिर जब तक मामा है, भैया है, तभी तक लाडली बहना है। कांग्रेस आ गई तो ना लाडली होगी, ना बहना होगी। यह तो सब बंद करने वाले लोग हैं। इन्होंने बच्चों के लैपटॉप छीन लिए थे। मै बच्चों को लैपटॉप देता था। जिन्होंने 75% लाए मामा ने 25 हजार रूपए डलवाए, कांग्रेस ने बंद कर दिए थे। इन्होंने तीर्थ यात्राएं बंद कर दी कन्याओं के विवाह की योजनाएं बंद कर दी, क्योंकि शादी हो गई कमलनाथ जी ने पैसे ही नहीं किए। ये योजनाएं बंद करने वाले हैं प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने पीएम आवास भेजें, इन्होंने वापस लौटा दिया।किसान सम्मान निधि की इन्होंने लिस्ट ही नहीं भेजी ताकि किसी का नाम न जुड़ जाए, इन्होंने जल जीवन मिशन की योजनाएं शुरू ही नहीं की। तो शिवराज सिंह चौहान का सीधा निशाना कमलनाथ पर है। मामला चाहे नाथ के हिंदुत्व चेहरे का हो या फिर उनके मुख्यमंत्री बतौर जनहित की योजनाओं को बंद करने के कामकाज का।
तो लोकतंत्र में कथाओं और धार्मिक कार्यक्रमों का महत्व अब राजनेताओं ने जान लिया है। कथावाचकों की नजर राजनैतिक दलों से परे है। इससे पहले तक कांग्रेस बाबा बागेश्वर पर कमल का पक्का रंग देखते रहे हैं। पर नाथ के आंगन में पहुंचते ही यह आरोप असत्य व निराधार हो गए हैं। बात बस इतनी सी है कि बाबा बागेश्वर धाम सरकार के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की दिव्य कथा 5, 6 एवं 7 अगस्त 2023 को सिमरिया हनुमान मंदिर के समीप बनाए गए विशाल पंडाल के कथा स्थल में होने जा रही है। कथा के पूर्व 4 अगस्त 2023 को एक विशाल कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें लगभग ग्यारह हजार महिलाएं शामिल हुईं, यह कलश यात्रा दोपहर 3.00 बजे छिंदवाड़ा के सांवली स्थित हनुमान मंदिर से निकलकर सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर सिमरिया पहुंची। इस भव्य कथा कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, सांसद नकुल नाथ सहित पूरा नाथ परिवार सम्मिलित होगा। तो दूसरी तरफ राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है, सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। मोदी’ उपनाम टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोर्ट जानना चाहता है कि अधिकतम सज़ा क्यों दी गई? अगर 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी लोकसभा सदस्यता से अयोग्य नहीं ठहराए जाते। राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की नसीहत भी मिली है कि सार्वजनिक जीवन में भाषा को लेकर सतर्क रहें। फिलहाल यही कि अजब-गजब संयोग कि नाथ के गढ़ में ‘बाबा की कथा’ और सुप्रीम कोर्ट से मिली ‘बाबा को राहत’…।