इधर मुख्यमंत्री कर रहे थे रोड शो उधर रसाल सिंह ने भाजपा को कह दिया अलविदा, अब लड़ेंगे बसपा से चुनाव!

983

इधर मुख्यमंत्री कर रहे थे रोड शो उधर रसाल सिंह ने भाजपा को कह दिया अलविदा, अब लड़ेंगे बसपा से चुनाव!

 

भिण्ड से परानिधेश भारद्वाज की रिपोर्ट

 

भिण्ड। राजनीति में कब कौन कहाँ नाराज हो जाये और किसके साथ हो जाये इसके कयास लगाना बेहद ही मुश्किल रहता है। इस बार चुनाव में भी रूठने मनाने का कार्य चल रहा है। अबकी बार लहार विधानसभा से एक बार फिर से टिकिट की बांट जोह रहे रसाल सिंह ने भाजपा को अलविदा कह दिया और बसपा से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। सोमवार दोपहर 2 बजे लहार में बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने की बात सामने आ रही है।

 

दरअसल ग्वालियर-चम्बल अंचल की सियासत में भारतीय जनता पार्टी का चर्चित चेहरा चार बार विधायक और एक बार नगर पालिका अध्यक्ष रहे कद्दावर नेता रसाल सिंह ने अंततः रविवार को भाजपा को अलविदा कह दिया। रसाल सिंह ने भाजपा से त्यागपत्र देते हुए कहा कि वे भारी मन से अपनी पितृ संस्था भाजपा को अलविदा कह रहे हैं। अपने त्यागपत्र में उन्होंने भाजपा द्वारा विधान सभा चुनावी रण में उतारे जा रहे प्रत्याशी को लेकर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि पिछली बार जिस नेता ने दूसरी पार्टी से चुनाव लड़कर भाजपा की हराने के काम किया उसी को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में उसका प्रचार करना मेरे स्वाभिमान के साथ न्याय नहीं होगा।

IMG 20231015 WA0113

पूर्व विधायक रसाल सिंह ने भाजपा जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह नरवरिया को लिखे इस्तीफे में लिखा है कि भाजपा ने लहार विधान सभा सीट से जिस अम्बरीश शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है उसने दो बार साल 2013 और साल 2018 में मुझे चुनाव हराने के लिए भाजपा संगठन के खिलाफ जाकर काम किया। मैंने संगठन के नीति निर्धारकों को अपनी बात विस्तार से बताई। मैंने कहा कि वर्तमान प्रत्याशी की जगह पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाएगी वह सहर्ष उसकी जीत सुनिश्चत करने के लिए प्राणपण से जुट जाएंगे। लेकिन संगठन ने अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी। तब मुझे अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए उस संस्था से त्यागपत्र देने का कठोर निर्णय लेना पड़ा, जिसके लिए मैंने सारी जिन्दगी संघर्ष किया।

आपको बता दें कि पूर्व विधायक रसाल सिंह तत्कालीन रौन विधानसभा सीट से चार बार विधायक और भिण्ड नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं। साल 2013 और 2018 में वह भाजपा प्रत्याशी के रुप में लहार विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे। लेकिन अपनी पार्टी के लोगों द्वारा गद्दारी के चलते वह चुनाव हार गए। उनका लहार के अलावा भिण्ड जिले की गोहद, मेंहगांव और भिण्ड विधान सभा सीटों पर भी अच्छा खासा प्रभाव है। उनके भाजपा छोड़ने से राजपूत वोटर भी भाजपा से दूरी बना सकता है। ऐसे में चुनाव में भाजपा के लिए वह खतरा पैदा कर सकते हैं।