लो फिर आ गया 370 की सियासी जिन्न…
राजनीति में एक बार फिर अनुच्छेद 370 की बहार आ गई है। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन सरकार ने मुद्दे को हवा दी है, तो भाजपा-एनडीए गठबंधन ने 370 को झारखंड-महाराष्ट्र के चुनावी मैदान में फेंककर सियासी संग्राम को तेज कर दिया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तीन दिनों के हंगामे के बाद धारा 370 की बहाली को लेकर 8 नवंबर को प्रस्ताव पारित हो गया। जम्मू-कश्मीर से सुलगी यह सियासी आग आनन-फानन में पूरे देश की राजनीति को अपनी चपेट में ले चुकी है।पीएम नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र की चुनावी सभा में इसे उठाकर साफ कर दिया है कि बीजेपी विधानसभा चुनाव में धारा 370 की बहाली के प्रस्ताव को मुद्दा बनाने जा रही है। अब महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में 370 का मंतर क्या असर दिखाने वाला है, यह जल्दी ही सबके सामने आने वाला है।
दरअसल 8 नवंबर 2024 यानि शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने आर्टिकल 370 की बहाली को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया है। प्रस्ताव के विरोध में भाजपा विधायकों ने विधानसभा के अंदर जमकर हंगामा मचाया और इस प्रस्ताव का विरोध किया। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 पर हुए बवाल को अब राष्ट्रहित और राष्ट्रविरोधी विचारधारा से जोड़कर तूल दिया जा रहा है। और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हों या अन्य राजनेता, सबको यह खूब मालूम था कि वह क्या करने जा रहे हैं। पर सियासत की यही तस्वीर तो आम इंसान और राजनीतिक चेहरों में अंतर बताती है। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की बहाली के प्रस्ताव को लेकर महाराष्ट्र की चुनावी रैलियों में पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कहा कि न तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी और न ही उनकी आने वाली पीढ़ियां जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को वापस ला पाएंगी। अब महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव हैं और दोनों ही राज्यों में एनडीए और इंडिया गठबंधन का मुकाबला है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति और उसकी बहाली का प्रस्ताव अब महाराष्ट्र-झारखंड में सियासी लाभ-हानि के खेमे में बंटने को तैयार हैं।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बाद उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बनी। नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट में जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव को मुहर लगा दी, जिसे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंजूरी भी दे दी। इसे लेकर पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और एआईपी जैसी राजनीतिक पार्टियों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।बवाल तब शुरू हुआ जब नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू कश्मीर विधानसभा में धारा 370 की बहाली का प्रस्ताव पेश किया, जो कि होना ही था। और जिसे इस वक्त पेश किए जाने का मतलब ही महाराष्ट्र-झारखंड में अपने फायदे की तलाश करना था। तीन दिनों तक मचे बवाल के बाद अब यह मुद्दा पहले की तरह जिंदा होकर सियासी गलियारे में दौड़ लगा रहा है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष को 12 विपक्षी विधायकों और लंगेट विधायक शेख खुर्शीद को सदन से बाहर निकालना पड़ा। तो भाजपा विधायकों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर ‘पाकिस्तानी एजेंडा’ चलाने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। मामला पूरी तरह से तुष्टीकरण और गैर तुष्टीकरण में भी बंट चुका है। जैसा तय था, बीजेपी के आला नेताओं ने अनुच्छेद 370 की बहाली के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर जमकर हमला बोलना शुरू कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है, हालांकि कांग्रेस सीएम उमर अब्दुल्ला की सरकार को बाहर से समर्थन कर रही है, लेकिन दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा है। जम्मू कश्मीर विधानसभा ने केंद्र शासित प्रदेश में अनुच्छेद 370 को वापस लाने के लिए प्रस्ताव पारित किया तो बीजेपी ने इसको लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 की वापसी के प्रस्ताव को मुद्दे को उठाया और उसे कांग्रेस की साजिश करार दिया। प्रधानमंत्री ने चुनावी रैली में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता को जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की साजिशों को समझना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि देश की जनता कभी भी अनुच्छेद 370 पर इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा। जब तक मोदी है, कांग्रेस कश्मीर में कुछ नहीं कर पाएगी। जम्मू-कश्मीर में केवल भीम राव अंबेडकर का संविधान चलेगा, कोई भी ताकत 370 को फिर से वापस नहीं ला सकती है। तो भाजपा में नंबर दो पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली में विधानसभा चुनाव के लिए एक प्रचार रैली में बोलते हुए अनुच्छेद 370 की वापसी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला। अमित शाह ने कहा कि न तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी और न ही उनकी आने वाली पीढ़ियां जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को वापस ला पाएंगी।
हालांकि जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस सहित शिवसेना के सांसद संजय राउत लगातार हमला बोल रहे हैं। राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में बिगड़ते हालात पर चिंता व्यक्त की। तो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाकर भारतीय जनता पार्टी के संकल्प को पूरा किया। धारा-370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन है, घाटी विकास के पथ पर आगे बढ़ चुकी है। लेकिन जब से कांग्रेस के समर्थन से जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बनी है, तब से वहां देश विरोधी गतिविधियां शुरू हो गई हैं। उमर अब्दुल्ला सरकार ने असंवैधानिक तरीके से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाली का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कर राष्ट्र, संविधान और दलित विरोधी मानसिकता को उजागर किया है। कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन नहीं दहशतगर्दी चाहती है, नौजवानों को रोजगार नहीं पत्थरबाज और उपद्रवी बनाना चाहती है। कांग्रेस फिर से यह बताना चाहती है कि वह वाल्मीकियों, गोरखा समाज, पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी, पहाड़ी और गुर्जर समाज के खिलाफ है। आज पूरा देश जम्मू-कश्मीर सरकार के इस असंवैधानिक निर्णय और षड्यंत्र के खिलाफ है, इसे देश कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि संविधान विरोधी इस प्रस्ताव का समर्थन करके क्या आप हमारे उन सफाईकर्मियों को जिंदगी भर वहीं सफाईकर्मी रखना चाहते हैं।
खैर अब अनुच्छेद 370 का महाभारत फिर सियासी मैदान में है। नया कुछ नहीं है। जम्मू-कश्मीर में जितना समय अनुच्छेद 370 और 35-ए को खत्म करने में लगा, उससे अधिक बहाल करने में लगा है। और राहुल गांधी की चार पुश्तों को चुनौती देकर शाह ने शाही चुटकी ही ली है। पर सियासत में जम्मू-कश्मीर से निकला यह जिन्न एक बार फिर अपना जलवा दिखा रहा है…।