ओये येजी सब छोड़ो,अब चेहरा मनु की तरफ मोड़ो…
पेरिस ओलंपिक की बात करें तो 10 मीटर एयर पिस्टल महिला स्पर्धा में 28 जुलाई 2024 को तीन नाम ही विश्व फलक पर चमक बिखेर पाए। यह तीन नाम हैं ओ ये जिन, किम येजी और मनु भाकर। ओ ये जिन और किम येजी दोनों ही दक्षिण कोरिया की शूटर हैं। ओ ये का पहला और येजी का दूसरे स्थान पर रहना ठीक है। उनको हम सबकी तरफ से बधाई। पर हम सबके लिए सबसे अहम है तीसरा नाम, वह है मनु भाकर का। उसके कांस में हमारे लिए हीरे से भी ज्यादा चमक है। ओ ये, येजी को छोड़ो, उनकी जगह पर काबिज होने का सपना हम फिर पूरा कर लेंगे। अभी तो हमारी मनु भाकर ने कांस्य पदक जीतकर पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ा दिया है। मनु ने 140 करोड़ भारतवासियों का दिल जीत लिया है। 1857 में एक मनु ने अंग्रेजों पर निशाना साधकर पूरे भारत का दिल जीता था और हर भारतवासी के दिल में अपनी जगह बना ली थी। वह मनु थी, हम सबकी रानी लक्ष्मीबाई। और अब 167 साल बाद पेरिस में निशाना साधकर हरियाणा के झज्जर ज़िले के गोरिया गांव की छोरी ‘मनु’ ने हम सबके मन को गर्व से भर दिया है। मनु ने हम सबका दिल जीत लिया है। मनु हरियाणा की नहीं, झज्जर की नहीं, गोरिया गांव की नहीं, पूरे भारत की बेटी है।
और अगर कोई भारतीय है तो रामायण और गीता उसके मन में बसी रहती है। मनु के ‘मन की बात’ सुनकर तो मानो कोई भी बिना भावविभोर हुए नहीं रह सकता। मनु भाकर ने ‘भगवद गीता’ को याद कर आखिरी निशाना लगाया। और पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। भारत का परचम लहराने के बाद भारतीय महिला शूटर ने दिल जीतने वाला बयान दिया है। फाइनल मैच के बाद ब्रॉडकास्टर से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आखिरी मौके पर मेरे दिमाग में भगवद गीता का वो संदेश चल रही था जब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को ज्ञान दे रहे थे। मनु भाकर ने कहा, ईमानदारी से कहूं तो मैं ज्यादातर समय भगवद गीता पढ़ती हूं और आज भी मैच के आखिरी क्षणों में मेरे दिमाग में श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश की बातें चल रही थीं। मैं सोच रही थी कि यहां जो मेरा लक्ष्य है बस उसपर ध्यान दूं, बाकी चीजों के बारे में ना सोचूं क्योंकि किस्मत को हम बदल नहीं सकते लेकिन अपने कर्म पर कंट्रोल कर सकते हैं।’
और फिर भारत की महिला शूटर मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। 22 वर्षीय खिलाड़ी ने शूटिंग के 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम कर भारत के शूटिंग में पदक के 12 साल के वनवास पर भी निशाना साध दिया। और इसके साथ ही पेरिस ओलंपिक में भारत की झोली में पहला मेडल आ गया।उन्हें मुकाबले में 221.7 प्वाइंट हासिल हुए हैं। तो इस मुक़ाबले में पहला और दूसरा स्थान दक्षिण कोरिया की खिलाड़ियों को मिला। 243.2 अंकों के साथ पहले स्थान पर रहीं ओ ये जिन और 241.3 अंकों के साथ दूसरा स्थान किम येजी को मिला। मनु भाकर की मां सुमेधा भाकर ने कहा, “मेरी मनु से कभी कोई उम्मीद नहीं रही। मैं बस इतना चाहती हूं कि मेरी बेटी जहां जाए खुश होकर आए, उसका दिल न टूटे।” वास्तव में सही बात यह है कि बेटी मनु ने 140 करोड़ भारतवासियों का दिल नहीं टूटने दिया।उनके पिता राम किशन भाकर ने कहा, “मुझसे ज़्यादा यहां पड़ोसी खुश हैं। मनु ने पेरिस ओलंपिक में मेडल की शुरुआत की है और पूरा देश खुश है। इसके लिए मैं सभी देश वासियों का धन्यवाद करता हूं।” वास्तव में सभी देशवासी राम किशन और सुमेधा के आभारी हैं कि ऐसी बेटी मनु को जन्म दिया, जिसने सभी को गर्व से भरने के लिए दिन-रात मेहनत की और हर भारतवासी की झोली में खुशियां भर दीं।
मनु भाकर के पिता राम किशन ने कहा, “मनु 2016 में जब 10वीं में थीं तबसे ही वो शूटिंग की प्रैक्टिस कर रही हैं। बीच में मनु इस खेल से हट कर कुछ और करने की सोचने लगी थी। कराटे में उसने नेशनल में सिल्वर मेडल जीता था। इसके अलावा स्केटिंग और बॉक्सिंग भी किया है। यह मनु की पुरानी आदत है जैसा उसने कराटे में नेशनल जीतने के बाद बताया कि मैं अब ये गेम नहीं खेलूंगी उसी तरह हमने इस मामले को भी सामान्य तौर पर लिया था।” रामकिशन बोले कि “शूटिंग के लिए मनु की यह सफलता लक्ष्य हासिल करने के लिए अभ्यास कर रहे करीब 20 हजार बच्चों को प्रेरित करेगी। इससे खिलाड़ियों को बहुत अधिक बूस्ट मिलेगा और यह गेम अपनी नई उचाईयों पर जाएगा।”
मनु की मां स्कूल में पढ़ाती हैं, जबकि पिता मरीन इंजीनियर रहे हैं। साल 2018 में मेक्सिको में इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन में भारत के लिए मनु भाकर ने दो गोल्ड मेडल जीते थे। पहला गोल्ड मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल (महिला) कैटेगरी में जीता और दूसरा गोल्ड 10 मीटर एयर पिस्टल (मिक्स इवेंट) में हासिल किया था। एक दिन में शूटिंग में दो गोल्ड जीत कर 16 साल की मनु ने नया रिकॉर्ड बनाया था। ऐसा करने वाली वो सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी थीं। तो अब छह साल बाद मनु ने ओलंपिक में कांस्य पर निशाना साधकर फिर रिकॉर्ड बना दिया है। राम किशन भाकर ने बताया था कि वो मरीन इंजीनियर थे और उन्होंने बेटी मनु के सपनों को साकार करने के लिए नौकरी छोड़ दी थी। तो अब मनु ने सपना साकार कर पिता के नौकरी छोड़ने के त्याग की भरपाई कर दी है। आज पूरा देश राम किशन-सुमेधा का आभारी है। उनकी बेटी की उपलब्धि सारे त्याग और समर्पण पर भारी है। इसीलिए तो यही बात सही है कि ओये येजी छोड़ो, मनु ने देश के भरोसे पर खरा उतरकर हर भारतवासी का दिल जीत लिया है। अब हर भारतवासी और दुनिया की निगाहें मनु भाकर की तरफ मुड़ गई हैं
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