Indore : कपड़ा बनाने वाली 30 साल से बंद पड़ी हुकुमचंद मिल की करीब साढ़े 42 एकड़ जमीन की लीज निरस्त करने का नगर निगम का प्रस्ताव हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने मिल के मजदूरों की करीब 21 साल पुरानी याचिका से जुड़े दो आवेदन स्वीकार करते हुए शासन, डीआरटी और परिसमापक को आदेश दिए कि वे जल्द से जल्द मिल की जमीन नीलामी कर मजदूरों को उनके करीब 179 करोड़ रुपए चुकाएं। पिछले महीेने आवेदनों पर सुनवाई के बाद जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने आदेश सुरक्षित रखा था, जो सुनाया गया। कोर्ट ने नीलामी की समय-सीमा तय नहीं की है।
सुनवाई के दौरान मजदूरों के वकील धीरज सिंह पंवार ने कहा कि मजदूरों को उनके हक के 179 करोड़ रुपए नहीं मिलने तक जमीन की लीज निरस्त नहीं की जानी चाहिए। लीज निरस्त होने से एक बार फिर मजदूरों को राशि मिलने में दिक्कत होगी। इससे पहले हाईकोर्ट लीज निरस्त नहीं करने को लेकर निर्देश जारी कर चुका है। कोर्ट की सख्ती के बाद भी सरकार पैसा देने के लिए सार्थक प्रयास नहीं कर रही है। कोरोना काल में भी 350 से अधिक मजदूरों की मौत हो चुकी है। हमारी मांग है कि जल्द से जल्द मिल की जमीन नीलाम हो और मजदूरों को उनका पैसा मिले।
नगर निगम के वकील का तर्क था कि मजदूरों को उनका बकाया पैसा चुकाने की जिम्मेदारी नगर निगम की नहीं है। जमीन उद्योग चलाने के लिए लीज पर दी थी, जब मिल बंद हो गई है तो निगम को अधिकार है कि वह जमीन पर कब्जा लेकर लीज निरस्त कर सकता है। मजदूरों को उनका पैसा देने को लेकर शासन के पास प्रस्ताव है और उस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। सभी पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने लीज निरस्ती के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
बंद मिल के मजदूरों के 179 करोड़ रुपए बाकी
मिल मजदूरों के वकील धीरज पालीवाल ने बताया कि करीब 30 साल पहले मिल बंद हुई थी। मिल के 5800 मजदूरों का 229 करोड़ रुपए बकाया था। कोर्ट की सख्ती के बाद सिर्फ 50 करोड़ रुपए मिले। 179 करोड़ रुपए बाकी है। इस दौरान 2200 मजदूरों की मौत हो चुकी है और उनके वारिस पैसों के लिए परेशान हो रहे हैं।