High Court Orders : तीन शहरों में फ़ूड टेस्टिंग लैब एक साल में बनाने के निर्देश

MP शासन को चार महीने में प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए

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Indore : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Coart) की इंदौर खंडपीठ ने इंदौर, जबलपुर तथा ग्वालियर कलेक्टर को निर्देशित किया है कि एक साल में सभी तीनों शहरों में फ़ूड टेस्टिंग लैब (Food Testing Lab) की स्थापना कर उन्हें सुचारू रूप से चालू किया जाए। इसके लिए सभी उचित कार्यवाही की जाए। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया तथा न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार वर्मा की पीठ ने आदेशित किया कि शासन लैब के निर्माण के लिए सजग है। न्यायालय ने प्रदेश शासन को 4 माह में एक और प्रोग्रेस रिपोर्ट (Progress Report) प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के समक्ष दायर करने के आदेश दिए हैं।

इस मामले में याचिकाकर्ता महेश गर्ग ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 (Food Safety and Standards Act, 2006) के ठीक से पालन होने, फ़ूड टेस्टिंग लैब की स्थापना प्रदेश के विभिन्न शहरों करने तथा खाद्य पदार्थों की त्वरित जाँच हेतु उपकरण उपलब्ध करवाने के लिए 2017 में वरिष्ठ अधिवक्ता विनय झेलावत और प्रत्यूष मिश्र द्वारा याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ता का कथन था कि मध्य प्रदेश में केवल एक ही शासकीय फ़ूड टेस्टिंग लैब है, जो भोपाल में संचालित हो रही है। इंदौर और उज्जैन में लैब स्थापित करने की स्वीकृति होने के बावजूद स्थापित नहीं की गई। इस कारण 50% से अधिक नमूनों (सैंपल) का परीक्षण ही नहीं हो पाता। भोपाल में स्थापित लैब की इतनी क्षमता नहीं है, कि वह प्रदेश के सभी सैंपलों का परीक्षण कर सके। सैंपल के परीक्षण नहीं होने तथा परिक्षण में देरी के कारण मिलावट से सम्बंधित कई प्रकरणों में सज़ा नहीं हो पा रही है।

यह याचिका दो मुख्य मुद्दों के साथ दायर की गई थी। एक, ऑन द स्पॉट खाद्य सामग्री के परीक्षण के लिए उपकरण उपलब्ध करवाना तथा दूसरा इंदौर तथा उज्जैन में स्वीकृत लैब को चालू करवाने के लिए दिशा निर्देश देना, साथ ही प्रदेश के प्रत्येक संभाग और जिले में फ़ूड टेस्टिंग लैब की स्थापना करना। इस प्रकरण में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, भारत शासन द्वारा जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रकरण में वर्णित कानूनी प्रावधानों पर कोई आपत्ति नहीं लेते हुए स्पष्ट किया गया कि यह मध्य प्रदेश राज्य शासन की ज़िम्मेदारी है, कि वह प्रदेश में पर्याप्त फ़ूड टेस्टिंग लैब स्थापित करे। उनके द्वारा कुछ निजी लैब को भी परीक्षण के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है।

मध्य प्रदेश शासन ने मामले में यह व्यक्त किया कि राज्य शासन नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए सजग है। सिंहस्थ 2016 में मोबाइल टेस्टिंग लैब (Mobile Testing Lab) का उपयोग भी किया गया था। भोपाल में स्थापित लैब पूरे प्रदेश से प्राप्त सैंपल का परीक्षण करने में समर्थ है। इंदौर में लैब स्थापित करने के लिए 30 जनवरी 2016 को जमीन की स्वीकृति को प्राप्त हो गई! परन्तु जो जमीन आवंटित की गई, उस पर सिविल न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश दिया गया है। बाद में प्रदेश शासन ने बताया कि 15 अक्टूबर 2019 को फ़ूड टेस्टिंग लैब के इंदौर में निर्माण कार्य को स्वीकृति प्राप्त हो गई।

कलेक्टर ग्वालियर द्वारा भी 16 सितम्बर 2019 को और कलेक्टर जबलपुर द्वारा 4 अक्टूबर 2019 को फ़ूड टेस्टिंग लैब के लिए जमीन आवंटित कर दी गई। 14 नवंबर 2020 को न्यायालय ने प्रदेश शासन को प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया था। इसके परिपालन में शासन ने 6 जनवरी 2020 को प्रोग्रेस रिपोर्ट में जानकारी दी कि इंदौर में स्वीकृत लैब के निर्माण के नक़्शे की स्वीकृति प्राप्त की जा चुकी है तथा 80% कार्य भी पूरा हो गया।

सभी तथ्यों तथा भारत शासन और मध्यप्रदेश शासन द्वारा पारित आदेशों को दृष्टिगत रखते हुए न्यायमूर्ति विवेक रूसिया तथा न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार वर्मा की पीठ (A Bench of Justice Vivek Rusia and Justice Ravindra Kumar Verma) ने आदेशित किया कि शासन लैब के निर्माण के लिए सजग है। इंदौर में लैब का कार्य 80% पूरा भी हो चुका है। इस कारण शासन से उम्मीद है कि इंदौर की लैब वर्ष 2022 में स्थापित होकर चालू हो जाएगी। जबलपुर और ग्वालियर में भी एक साल में लैब की स्थापना होकर लैब चालू हो जाएगी।

न्यायालय ने इंदौर, जबलपुर तथा ग्वालियर कलेक्टर को निर्देशित किया कि आदेश दिनांक से एक वर्ष के में सभी तीनों शहरों में लैब की स्थापना हो और सुचारू रूप से कार्यरत भी हो। इसके लिए सभी उचित कार्यवाही जाए।

न्यायालय ने मध्य प्रदेश शासन को 4 माह में एक और प्रोग्रेस रिपोर्ट उच्च न्यायालय के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार की इंदौर खंडपीठ के समक्ष दायर करने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को प्रकाश में लाने के लिए याचिकाकर्ता की सराहना भी की। याचिकाकर्ता की और से वरिष्ठ अधिवक्ता विनय झेलावत तथा प्रत्युष मिश्र ने समय-समय पर पैरवी की। फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी, भारत सरकार की और से अधिवक्ता कीर्ति पटवर्धन और मध्य प्रदेश शासन की और से अतिरिक्त अधिवक्ता विवेक दलाल ने पैरवी की।