High Court Said Appointment of IPS Illegal : अपर महानिदेशक अभियोजन की नियुक्ति को अवैध करार दिया!

नियुक्त अधिकारी इस पद के लिए निर्धारित योग्यता नहीं रखते!

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High Court Said Appointment of IPS Illegal : अपर महानिदेशक अभियोजन की नियुक्ति को अवैध करार दिया!

Prayagraj : उत्तरप्रदेश के अभियोजन निदेशालय में प्रमुख के तौर पर नियुक्त आईपीएस अधिकारी आशुतोष पांडेय की नियुक्ति को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कानून के विपरीत और अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। आईपीएस आशुतोष पांडेय निदेशालय में अपर महानिदेशक (ADG) अभियोजन के पद पर तैनात थे।
हाईकोर्ट ने कहा कि आशुतोष की ADG के पद पर नियुक्ति CRPC की धारा 25 ए (2) के विरुद्ध है। ऐसे में वह इस पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं। इसी के साथ कोर्ट ने अभियोजन निदेशालय को 6 माह में नए निदेशक की नियुक्ति करने का निर्देश दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ADG अभियोजन की नियुक्ति रद्द करते हुए अपने आदेश में कहा कि नियुक्त अधिकारी इस पद पर नियुक्ति की निर्धारित योग्यता नहीं रखते। जस्टिस एसपी केशरवानी और जस्टिस जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने किशन कुमार पाठक की याचिका को स्वीकार करते हुए याचिका की पोषणीयता पर राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल की प्रारंभिक आपत्ति अस्वीकार कर निरस्त कर दी। जस्टिस बनर्जी ने जस्टिस केशरवानी के फैसले पर सहमत होते हुए अपने अलग से दिए फैसले में कानूनी उपबंधों की चर्चा की है।
अपर महाधिवक्ता का कहना था कि धारा-25ए उत्तर प्रदेश में लागू नहीं है। इसका पालन बाध्यकारी नहीं है। संसद द्वारा पारित इस कानून को राज्य विधायिका ने स्वीकृति नहीं दी। धारा 25-ए के तहत महानिदेशक सहित अन्य पदों पर नियुक्ति के लिए 10 साल की वकालत का अनुभव होना चाहिए और नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की सहमति जरूरी है।
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने 14वें विधि आयोग की संस्तुति पर 27 नवंबर 1980 को प्रदेश में अभियोजन निदेशालय की स्थापना की। संसद ने धारा-25ए पारित की। राज्य सरकार ने इसमें संशोधन की कोशिश की। लेकिन, महाधिवक्ता की राय नहीं मिली, इसलिए कोई निर्णय नहीं लिया गया। केंद्र सरकार द्वारा पारित कानून राज्य पर बाध्यकारी होगा। धारा 25-ए दंड प्रक्रिया संहिता में निर्विवाद रूप से जोड़ी गई है। राज्य सरकार ने साधना शर्मा केस में सुप्रीम कोर्ट को इस धारा को लागू करने का आश्वासन भी दिया था। राज्य सरकार कानून और फैसले का सम्मान नहीं कर रही है। धारा-25ए, 23 जून 2006 से लागू है। इसके साथ ही कोर्ट ने अपर महानिदेशक अभियोजन की नियुक्ति को अवैध करार दिया है।