High Court’s Strictness : जमीन का किराया 45 साल तक नहीं चुकाने पर हाई कोर्ट ने रेलवे पर भुगतान के साथ जुर्माना लगाया! 

मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि जमीन के किराए का ब्याज भी दिया जाए!

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High Court’s Strictness : जमीन का किराया 45 साल तक नहीं चुकाने पर हाई कोर्ट ने रेलवे पर भुगतान के साथ जुर्माना लगाया! 

Jabalpur : भूमि अधिग्रहण मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेलवे के खिलाफ कठोर रुख अपनाया। 45 साल तक मुआवजा नहीं देने पर एक लाख जुर्माना भी लगाया। जस्टिस जीएस आहलूवालिया की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने रेलवे पर एक लाख रुपये का जुर्माना (कॉस्ट) लगाई है। साथ ही कोर्ट ने यह निर्देश भी कि पिछले 45 सालों से लंबित इस मामले में ब्याज सहित किराए का भी भुगतान किया जाए। इसके अलावा नई भूमि स्वामी अधिग्रहण अधिनियम के तहत उचित मुआवजा भी देने का आदेश दिया। अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया कि पूरी प्रक्रिया एक महीनें के अंदर पूरी की जाए।

मामला 1979 का है जब रेलवे ने लोको शेड के निर्माण के लिए कटनी के रहने वाले याचिकाकर्ता केशव कुमार निगम की 0.45 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। रेलवे ने 17 फरवरी 1979 को इस भूमि का कब्जा प्राप्त किया था। लेकिन, अगले 20 सालों तक मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया। 2002 में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें पिछले 22 सालों में राज्य शासन की ओर से कोई उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अजय रायजादा ने कोर्ट में पक्ष रखा। हालांकि याचिका लंबित रहने के दौरान केशव कुमार निगम का निधन हो गया। इसके बाद उनके वारिसों शशि निगम, राकेश निगम, अनुराधा श्रीवास्तव और रजनी मेंदेकर को इस मामले में शामिल किया गया।

कोर्ट ने ये आदेश भी दिया 

रेलवे ने अपने उत्तर में कहा कि अवार्ड पारित कर दिया गया है और 37 हजार रुपये की राशि ब्याज सहित जमा कर दी गई। लेकिन, अधिवक्ता रायजादा ने इसे गलत ठहराते हुए बताया कि अब तक कोई अवार्ड पारित नहीं हुआ है। कोर्ट ने कई अवसर देने और सख्त रुख अपनाने के बाद रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया, जिससे स्पष्ट हुआ कि अवार्ड वास्तव में पारित नहीं हुआ था।