
Highest Infant Mortality Rate : प्रदेश के एक हजार में से 40 बच्चे पहला जन्मदिन नहीं मना पाते!
सरकार ने भी माना कि शिशु मृत्यु के आंकड़े चिंताजनक, देश में यह सबसे ज्यादा!
Bhopal : मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों में सुधार करने के लिए भारी भरकम बजट के बाद भी हालात बहुत खराब हैं। विधानसभा सत्र में सरकार ने स्वीकार किया है कि प्रदेश में जन्म लेने वाले एक हजार बच्चों में 40 बच्चों की मौत हो जाती है। यानी 40 बच्चे पहला पहला जन्मदिन मनाने के पहले ही दुनिया से विदा ले लेते हैं।
यह आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने विधानसभा में कांग्रेस विधायक के सवाल के जवाब में यह लिखित जानकारी दी है। कांग्रेस ने इन आंकड़ों को प्रदेश के लिए शर्मनाक बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है। मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में सुधार लाने के सरकार द्वारा पिछले कई सालों से दावे करती आ रही है। अब सरकार ने भी स्वीकार किया है कि शिशु मृत्यु दर के मामले में प्रदेश की हालत देश में सबसे खराब है।
उप मुख्यमंत्री डॉ राजेन्द्र शुक्ल ने विधानसभा में जानकारी दी एसआरएस 2020 के अनुसार अभी मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर 1000 जन्म लेने वाले बच्चों में 40 बच्चों की है। जन्म लेने के बाद बच्चों की मौत का यह आंकड़ा तुलनात्मक रूप से बाकी राज्यों के आंकड़ों से अधिक है। सरकार ने शिशु मृत्यु दर के कारण भी बताए राज्य सरकार ने बताया कि जन्म लेने के बाद बच्चों की सबसे ज्यादा मौत, समय से पहले जन्म लेने वाले यानी प्री मेच्योर बच्चों की होती है।
ऐसे बच्चे 21% हैं, जो प्रीमेच्योर होते हैं, लेकिन बाद में इन्हें बचाया नहीं जा सका। 18% बच्चे निमोनिया से दम तोड़ देते हैं और 14% बच्चों की संक्रमण की वजह से मौत हो जाती है। 14% बच्चों का सामान्य बच्चों की अपेक्षा वजन बेहद कम होता है। 11% बच्चे एस्फिक्सिया और 9% बच्चे डायरिया की वजह से दम तोड़ देते हैं।
कांग्रेस का सरकार पर हमला
ये आंकड़े जमीनी हकीकत की खोल रहे पोल उधर, कांग्रेस ने इन आंकड़ों को प्रदेश के माथे पर कलंक बताया है। कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी कहती हैं कि ये आंकड़े बताते हैं कि जमीनी स्तर पर सरकार की तमाम योजनाएं दम तोड़ रही हैं। यदि 14 फीसदी बच्चे कम वजन के पैदा हो रहे हैं तो साफ है कि आंगनबाड़ियों से गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार नहीं मिल पा रहा और न ही मांओं की ट्रेकिंग हो रही है। यदि पोषण आहार मिलता तो बच्चे कुपोषित पैदा नहीं हो रहे होते। निमोनिया और संक्रमण की वजह से मौत बताती है कि निचले स्तर पर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। नवजात बच्चों के इलाज की व्यवस्था नहीं है।
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