New Delhi : कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पहनने को लेकर अपने फैसले में कहा था कि यूनिफॉर्म पहनने से स्टूडेंट इनकार नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने मुस्लिम लड़कियों की याचिका खारिज करते हुए कहा ‘हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है!’ कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने हिजाब पर पाबंदी बरकरार रखी है।
हाईकोर्ट के इस फैसले को मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर पाबंदी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंच गया। इसमें हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे की मांग की गई है। एक मुस्लिम छात्रा निबा नाज की तरफ से यह याचिका दाखिल की गई। लेकिन, ये छात्रा उन 6 याचिकाकर्ताओं में नहीं है, जिन्होंने हाईकोर्ट में हिजाब को लेकर याचिका दाखिल की थी। हिन्दू सेना (Hindu Sena) भी हिजाब के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उसने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की। उसका कहना है कि शीर्ष अदालत द्वारा कोई भी आदेश पारित करने से पहले उनकी दलील सुनी जाए।
निबा नाज की याचिका में कहा गया है कि हिजाब पहनने का अधिकार मौलिक अधिकारों के तहत आता है। हिजाब पहनने का अधिकार धर्म की स्वतंत्रता, निजता के अधिकार, जीने के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत सुरक्षित है। इस्लाम के अभ्यास के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है। भारतीय कानूनी प्रणाली स्पष्ट रूप से धार्मिक प्रतीकों को पहनने या ले जाने को मान्यता देती है। सिखों को भी तो पगड़ी पहनने पर हेलमेट पहनने से छूट और हवाई जहाज में ले कृपाण जाने की अनुमति दी गई है।