
हिमाचल प्रदेश: मंडी में दो सगे भाइयों ने एक ही लड़की से रचाई शादी, गिरीपार की सदियों पुरानी बहुपति परंपरा फिर चर्चा में
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से एक बार फिर बहुपति (पॉलीएंड्री) की अनूठी परंपरा सुर्खियों में आ गई है। जिले के गिरीपार क्षेत्र में दो सगे भाइयों द्वारा एक ही लड़की से विवाह रचाने की खबर सामने आई है, जिसे पूरी तरह स्थानीय रीति-रिवाज और समाज की सहमति के साथ संपन्न किया गया। यह मामला चर्चा का केंद्र बना है, क्योंकि दुल्हन ने भी स्पष्ट कहा है कि फैसले में कोई दबाव नहीं, बल्कि उनकी परंपरा का हिस्सा है। हिमाचल और उत्तराखंड के कुछ खास पहाड़ी क्षेत्रों में बहुपति और बहुपत्नी प्रथाएं आज भी जीवित हैं, जो देशभर में जिज्ञासा और बहस का मुद्दा हैं।
मंडी जिले के गिरीपार इलाके के इस गांव में हाल ही में दो सगे भाइयों (नाम परिवर्तित) संजय और विजय ने परंपरागत ढंग से एक ही युवती के साथ शादी रचाई। दोनों भाइयों के परिवार और समाज के लोगों की उपस्थिति में यह विवाह संपन्न हुआ। दोनों भाइयों में से एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत है और दूसरा विदेश में नौकरी करता है, जबकि दुल्हन ने शादी के बाद मीडिया को बताया कि वह पूरी तरह अपनी इच्छा से, बिना किसी सामाजिक, पारिवारिक या आर्थिक दबाव के यह शादी कर रही है। गांव के अन्य लोग और पंचायत भी इस परंपरा को सहजता से स्वीकार करते हैं।
गिरीपार, किन्नौर (हिमाचल) और जौनसार बावर (उत्तराखंड) जैसे इलाकों में सदियों से बहुपति प्रथा प्रचलित रही है। इस परंपरा के पीछे तर्क था कि भाइयों में एकता बनी रहे, पैतृक संपत्ति का बंटवारा न हो, और परिवार का आकार सीमित रहे। स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं- एक महिला जब दो या तीन भाइयों की पत्नी बनती है, तो उनकी संतान भी खुद को सगा मानती है, जिससे समाज संबंधों में मजबूती बनी रहती है। यहां के लोग खुद को पांडवों से जोड़ते हैं, पौराणिक महाभारत में पांच पांडव भाइयों की भी एक ही पत्नी थी।
सिर्फ बहुपति ही नहीं, गिरीपार क्षेत्र में बहुपत्नी प्रथा भी दशकों तक रही है, पति ने पत्नी की सगी बहनों से शादी की, खासकर जब संतान न हो तो। लेकिन समय के साथ ये परंपराएं सुस्त हुई हैं, फिर भी कुछ उदाहरण सामने आते हैं।
वर्तमान मंडी के मामले में न तो परिवारों को, न पंचायत को और न ही समाज को इस पर ऐतराज है। गांव के बड़े-बुजुर्ग इसे अपनी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानते हैं। दुल्हन खुद फैसले पर खुश है- उसने भी मीडिया और स्थानीय प्रशासन से कहा कि यह फैसला सामूहिक सहमति, रिश्तों की मजबूती और प्रेम पर आधारित है। प्रशासन ने भी स्पष्ट किया कि इस मामले में कोई जबरन नहीं, न ही कोई एफआईआर या आपत्ति आई है।
*खबर एक नजर में-*
– मंडी (गिरीपार) में दो सगे भाइयों का एक युवती से परंपरागत विवाह।
– दुल्हन ने कहा- पूर्ण स्वेच्छा से शादी, कोई दबाव नहीं।
– एक भाई सरकारी नौकरी में, दूसरा विदेश में कार्यरत।
– बहुपति प्रथा आज भी गिरीपार, किन्नौर (हिमाचल) और जौनसार बावर (उत्तराखंड) क्षेत्रों में सीमित स्तर पर कायम।
– परंपरा के पीछे भाईचारा, संपत्ति का बंटवारा रोकना और परिवार में एकता की सोच।
– प्रशासन या पंचायत को कोई आपत्ति या शिकायत नहीं।
– सोशल मीडिया व समाज में बहस- कुछ आलोचना तो कुछ इसे परंपरा और निजी स्वतंत्रता मान रहे हैं।
मंडी जिले का यह ताजा मामला बहुपति की उन अद्भुत भारतीय परंपराओं की याद दिलाता है, जो समय के साथ मिटती जा रही हैं, लेकिन आज भी अपनी सांस्कृतिक ज़मीन पर जीवित हैं। गांव, परिवार और युवती की स्पष्ट स्वीकृति ने शादी को सामान्य बना दिया है, वहीँ बाहरी दुनिया के लिए यह मामला आज भी कौतूहल, बहस और जिज्ञासा का विषय है। इस शादी ने एक बार फिर यह सवाल बढ़ा दिया है कि परंपरा, बदलाव और व्यक्तिगत स्वतंत्रता- तीनों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए?





