

आयु, विजय, आरोग्य, मेधा , श्रीसंपन्नता हेतु नव वर्ष , गुड़ी पड़वा
Hindu New Year: “धर्मो रक्षति रक्षितः”–धर्म की रक्षा करें, धर्म आपकी रक्षा करेगा। गुड़ी पड़वा का विशेष महत्व है !
डॉ. तेज प्रकाश व्यास
भाग 1
वर्ष प्रतिपदा (सनातन नववर्ष) पर सूर्य अर्घ्य देने की विधि और लाभ
वर्ष प्रतिपदा पर सूर्य अर्घ्य का विशेष महत्व
सनातन नववर्ष (विक्रमी संवत) का प्रथम दिन ऊर्जा, प्रकाश और नव-संकल्पों का प्रतीक है। इस दिन प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे व्यक्ति को आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं।
सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना मानव के प्रतिदिन के पूजा प्रकाश में सम्मिलित होना चाहिए।
सूर्य अर्घ्य की विधि (Step-by-Step)
स्नान एवं शुद्धिकरण
ब्रह्म मुहूर्त में उठें और शुद्ध जल से स्नान करें।
गंगाजल से आचमन कर संकल्प लें –
“ॐ विष्णुर्मुखोऽहं स्नानं करिष्ये।”
संकल्प और आसन ग्रहण
पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश, वस्त्र या आसन बिछाकर बैठें।
संकल्प करें –
“मम सकल पापक्षयार्थं श्रीसूर्य अर्घ्यदानं करिष्ये।”
तांबे के जल पात्र (अर्घ्य पात्र) की तैयारी
ताम्र (तांबे) के पात्र में जल लें।
उसमें लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत (साबुत चावल), दुर्वा, गुड़ और गंगाजल मिलाएं।
सूर्य मंत्रों के साथ अर्घ्य प्रदान
जल को अंजलि में लेकर सूर्य को अर्घ्य देते हुए निम्न मंत्रों का उच्चारण करें –
(1) मूल सूर्य मंत्र)
“ॐ सूर्याय नमः।”
(2) गायत्री मंत्र)
“ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि। तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।”
(3) आदित्य हृदय स्तोत्र मंत्र)
“ॐ जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥”
(4) एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते । अनुकम्पय मां भक्त्या
गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।। अर्थात-सूर्य देव जी ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि के साथ-साथ सभी आकांक्षाओं को पूरा करते है।
दोनों हाथ जोड़कर जल धीरे-धीरे अर्घ्य रूप में सूर्य की ओर चढ़ाएं।
तर्पण और ध्यान
सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 3 बार परिक्रमा करें।
दोनों हाथ जोड़कर नेत्र बंद करें और ध्यान करें –
“ॐ ह्रीं सूर्याय नमः।”
सूर्य अर्घ्य के लाभ
आध्यात्मिक और मानसिक लाभ
सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
शारीरिक स्वास्थ्य लाभ
अर्घ्य से नेत्र, त्वचा और हड्डियों को विशेष लाभ मिलता है।
विटामिन D का प्राकृतिक स्रोत सूर्य है, जो हड्डियों और इम्यूनिटी के लिए आवश्यक है।
रक्त संचार (Blood Circulation) सुधरता है और शरीर ऊर्जावान रहता है।
कर्म और भाग्य पर प्रभाव
सूर्य नवग्रहों में प्रधान ग्रह हैं, इनकी कृपा से भाग्योन्नति होती है।
सरकारी सेवा, प्रशासन, नेतृत्व और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
व्यक्ति के कर्म और यश में वृद्धि होती है।
पापों का नाश और शुभ फल
“सूर्य अर्घ्य देने से संचित पापों का क्षय होता है।”
घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
वास्तु दोष समाप्त होते हैं।
वर्ष प्रतिपदा पर सूर्य अर्घ्य का विशेष पुण्य
वर्ष प्रतिपदा से नए वर्ष का आरंभ होता है, अतः इस दिन सूर्य को अर्घ्य देना अति शुभ होता है। यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, यश, और सफलता प्रदान करता है।
“ॐ घृणिः सूर्याय नमः।”
“सूर्योदय के समय दिया गया अर्घ्य जीवन में उजाला लाता है।”
भाग 2
कलश स्थापना विधि एवं शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का शुभ समय
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, विक्रमी संवत् 2082 (30 मार्च 2025, रविवार)
शुभ मुहूर्त: सूर्योदय से प्रातः 11:30 बजे तक (स्थानीय पंचांग अनुसार समय देखें)
कलश स्थापना विधि
स्वच्छता और शुद्धिकरण:
पूजा स्थान को गंगाजल या गौमूत्र से शुद्ध करें।
स्वयं स्नान कर पीले/भगवा वस्त्र धारण करें।
कलश की स्थापना:
तांबे या मिट्टी के कलश में गंगाजल, दूर्वा, सुपारी, सिक्का, हल्दी की गाँठ डालें।
आम के पत्ते और नारियल (लाल वस्त्र में लपेटकर) कलश पर रखें।
कलश को अक्षत (चावल) और पुष्पों से सजाएँ।
मंत्रोच्चार एवं पूजन:
दीप प्रज्वलित करें और निम्न मंत्र से जल का आह्वान करें:
|| ॐ गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ||
कलश पर फूल और अक्षत अर्पित करें और नववर्ष के मंगलमय होने की प्रार्थना करें।
भाग 3
गुड़ी बांधने की विधि एवं महत्व
गुड़ी पड़वा का विशेष महत्व
गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र और भारत के कई हिस्सों में नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। यह श्रीराम के अयोध्या आगमन और विक्रम संवत् के आरंभ का उत्सव भी है।
गुड़ी बांधने की विधि
गुड़ी तैयार करना:
एक लंबा बाँस लें और उसके शीर्ष पर पीला/भगवा रेशमी वस्त्र बाँधें।
इस पर आम के पत्ते, फूलों की माला और नारियल रखें।
इसके ऊपर एक ताम्र/पीतल/चाँदी का कलश स्थापित करें।
गुड़ी को उचित स्थान पर बाँधें:
इसे घर की छत, दरवाजे या आँगन में ऊँचाई पर लगाएँ।
यह सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है।
गुड़ी पूजन मंत्र:
|| ॐ ब्रह्मणे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ महेश्वराय नमः,
ॐ श्रीरामचन्द्राय नमः, ॐ जय जय नववर्षाय नमः ||
आरती एवं पूजन:
गुड़ी के समक्ष दीप जलाएँ और श्रीराम स्तुति करें।
परिवार के सभी सदस्य मिलकर “श्रीराम जय राम जय जय राम” का कीर्तन करें।
गुड़ी बांधने के लाभ
घर में सुख-समृद्धि और वैभव बढ़ता है।
परिवार में एकता, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
यह बुरी शक्तियों को दूर कर, नववर्ष को मंगलमय बनाता है।
भाग 4
सनातन नववर्ष का दिव्य आह्वान
“धर्मो रक्षति रक्षितः” – धर्म की रक्षा करें, धर्म आपकी रक्षा करेगा!
महाशक्तिशाली लाभकारी जप मंत्र
|| ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं आयुर्विजयारोग्यं मेधा श्रीसंपन्नं मम परिवाराय भवतु स्वाहा ||
अधिक वैदिक और प्रभावशाली स्वरूप:
|| ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं आयुर्विजयारोग्यं मेधा श्रीसंपन्नं मम परिवाराय भवतु प्रचोदयात् ||
दोनों मंत्र महाशक्तिशाली
_ लाभकारी मंत्रों के रचयिता ब्रह्मलीन वेदाचार्य पण्डित पूर्णानन्द श्याम लाल जी व्यास
(मंत्र जाप मंगलता के लिए प्रतिदिन करें। )
मंत्र का अर्थ और भावार्थ
मंत्र का अर्थ:
ॐ – ब्रह्मांडीय ऊर्जा, परमात्मा का मूल स्वरूप।
श्रीं – धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी का बीज मंत्र।
ह्रीं – आध्यात्मिक शक्ति, ऊर्जा और चेतना का बीज मंत्र (माँ दुर्गा और महाशक्ति का प्रतीक)।
क्लीं – आकर्षण, विजय और सफलता का बीज मंत्र (श्रीकृष्ण और माँ काली से जुड़ा)।
आयुर्विजयारोग्यं – दीर्घायु (दीर्घ जीवन), विजय (सफलता), और आरोग्य (स्वस्थ शरीर और मन)।
मेधा – बुद्धिवान, मेधावान
श्रीसंपन्नं – आर्थिक, आध्यात्मिक और मानसिक समृद्धि।
मम परिवाराय भवतु – मेरे परिवार के लिए यह सब प्राप्त हो।
प्रचोदयात् – प्रेरणा प्रदान करे, उत्तम दिशा में अग्रसर करे।
स्वाहा – समर्पण और पुष्टि करने वाला शब्द, जो मंत्र की शक्ति को पूर्ण करता है।
मंत्र का भावार्थ
यह मंत्र एक संपूर्ण आध्यात्मिक और सांसारिक उन्नति का मंत्र है। इसमें चार मुख्य तत्वों को जागृत किया गया है:
आयुष्य (दीर्घ जीवन) – व्यक्ति और परिवार के सभी सदस्यों के लिए स्वस्थ, निरोग और दीर्घायु जीवन की प्रार्थना।
2 .विजय (सफलता और पराक्रम) – जीवन में हर क्षेत्र में विजय, चाहे वह आध्यात्मिक हो, भौतिक हो या सामाजिक।
आरोग्य (शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य) – बिना आरोग्य के कोई भी सुख नहीं टिकता, इसलिए यह स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है।
3 संपन्नता (धन-वैभव और समृद्धि) – जीवन में आर्थिक, मानसिक और आध्यात्मिक समृद्धि का आशीर्वाद।
इस मंत्र का प्रभाव:
इस मंत्र का प्रतिदिन नियमित जाप करने से मन और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
यह संपूर्ण परिवार के स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि और सफलता के लिए एक शक्तिशाली मंत्र है।
नवरात्रि, दीपावली, और नववर्ष जैसे शुभ अवसरों पर इसका जाप करने से विशेष फल मिलता है।
कैसे जपें?
प्रातः सूर्योदय के समय या संध्या को 108 बार जप करें।
रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला से जप करना अधिक प्रभावी होगा।
मानसिक या उच्चारण रूप में जप करने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होगी।
“धर्मो रक्षति रक्षितः” – धर्म की रक्षा करने से ही धर्म हमारी रक्षा करता है!
सनातन धर्म की जय हो!
विक्रमी संवत् 2082 के शुभारंभ 30 मार्च पर हम सभी सनातनी गर्व से अपने वैदिक और सांस्कृतिक मूल्यों का पालन करें। यह केवल नववर्ष का उत्सव नहीं, बल्कि अपने धर्म, संस्कृति, और राष्ट्र के उत्थान का संकल्प लेने का शुभ अवसर है।
भाग 5
इस पावन दिवस पर अवश्य करें ये 12 श्रेष्ठ कार्य
सूर्य को अर्घ्य देवें। मंगल कलश स्थापित करें। धर्म व आत्मबल जागरण – गुड़ी:भगवा ध्वज अपने भवन पर लहराएँ, पीले या भगवा वस्त्र धारण करें और माथे पर चन्दन तिलक लगाएँ। यह हमारी सनातन संस्कृति का प्रतीक है।
मंगलमय आराधना – घर में श्रीराम, श्रीकृष्ण, भगवती दुर्गा या कुलदेवता का पूजन करें और नववर्ष की शुभ मंगलकामना करें।
गृह वातावरण को पवित्र करें – घर को साफ-सुथरा रखें, गोबर या गंगाजल से शुद्ध करें, फूलों के तोरण और रंगोली से सजाएँ।
दीप प्रज्वलन – संध्या समय घर के बाहर व मंदिर में दीप जलाकर धर्म की अखंड ज्योति प्रज्वलित करें।
मधुर संबंधों का संकल्प – अपने परिवार, मित्रों और परिचितों को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें और उन्हें भी सनातन धर्म पालन हेतु प्रेरित करें।
संतान और समाज को धर्म शिक्षा दें – बच्चों को रामायण, महाभारत, भगवद गीता, और उपनिषदों के प्रेरणादायक प्रसंग सुनाएँ।
स्वदेशी और सात्त्विक आहार अपनाएँ – घर परये शुद्ध सात्त्विक भोजन एवं मिष्ठान्न बनाएँ और परिजनों के साथ प्रसाद रूप में ग्रहण करें। सात्विक शाकाहार भोजन हमारे दैनदिनी का अविभाज्य अंग है।
आत्मरक्षा संकल्प – आत्मरक्षा और परिवार की सुरक्षा के लिए एक आवश्यक साधन (जैसे परशु, तलवार, या धनुष-बाण) लाकर उसकी पूजा करें।
धर्म और राष्ट्र की रक्षा का संकल्प लें – राष्ट्र और धर्म विरोधी शक्तियों का उचित सामाजिक बहिष्कार करें एवं अपने संस्कारों को मजबूती दें।
सेवा और दान – गरीब, असहाय या गौशाला में अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें, जिससे पुण्य अर्जन हो।
गौ-रक्षण और सनातन संस्कृति संवर्धन – गौ माता की सेवा करें, मंदिरों और धार्मिक स्थलों की स्वच्छता में योगदान दें।
योग, ध्यान और मंत्र जाप करें –
प्रारंभ में दिए मंत्र का विधि विधान अनुरूप जाप करें।
“ॐ नमः शिवाय”,
“श्रीराम जय राम जय जय राम”,
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः”,
“ॐ विष्णवे नमः”.
श्री हनुमान चालीसा, आदित्य हृदय स्तोत्र या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का व्रत लें और हिंदू समाज को एकजुट करें।
विश्व को शांति, प्रेम और धर्म की ज्योति से प्रकाशित करें।
भारत माता की जय! सनातन धर्म की जय! जय श्रीराम!
“धर्मो रक्षति रक्षितः” – धर्म की रक्षा करें, धर्म आपकी रक्षा करेगा!
“धर्मो रक्षति रक्षितः” – धर्म की रक्षा करें, धर्म आपकी रक्षा करेगा!
डॉ. तेज प्रकाश व्यास
संस्कृत, संस्कृति और सनातन धर्म के प्रखर विद्वान वक्ता एवं लेखक,
ग्लोबल एंटी एजिंग साइंटिस्ट,
पूर्व प्राचार्य, शासकीय राजा भोज स्नातकोत्तर महाविद्यालय, धार, मध्य प्रदेश.
बी 12, विस्तारा टाउनशिप, ईवा वर्ल्ड स्कूल के पास ,
इन्दौर,452010
91 7987713115
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