हिंदुत्व का हाथ थाम मोहन पर मार…

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हिंदुत्व का हाथ थाम मोहन पर मार…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े हत्या वाले बयान पर एफआईआर और गिरफ्तारी के मामले में भाजपा सरकार ने जितनी त्वरित कार्यवाही की है, अब उसी तेजी में एनएसयूआई ने मंत्री मोहन यादव के बयान को तूल दे दिया है। एनएसयूआई ने हिंदुत्व का हाथ थाम उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव पर तीखी मार की है। एनएसयूआई ने राजधानी में थाने का घेराव कर माता सीता के अपमान पर मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और गिरफ्तारी की मांग की है। हालांकि एनएसयूआई नेताओं को भी मालूम है कि एफआईआर नहीं होगी और गिरफ्तारी का तो सवाल ही नहीं उठता। लेकिन मौके की नजाकत देखते हुए नहले पर दहला मारना आता है, एनएसयूआई ने यह साबित कर दिया है।

 

युवक कांग्रेस ने एमपी नगर थाने पहुंच कर कैबिनेट मंत्री मोहन यादव के खिलाफ एफआईआर करने और माता सीता के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी करने के मामले में गिरफ्तार करने की मांग की है। और नारेबाजी भी की है कि माता सीता का अपमान, नहीं सहेगा ये हिन्दुस्तान। वैसे मध्यप्रदेश में धर्म को लेकर राजनीति का माहौल हमेशा गर्म रहता है और इस बार मुद्दा एनएसयूआई ने कैच किया है। मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने विवेक त्रिपाठी के नेतृत्व में एमपी नगर थाने का घेराव कर डीजीपी के नाम ज्ञापन सौंपते हुए थाने के बाहर जमकर नारेबाजी करते हुए मोहन यादव की फोटो जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। युवा कांग्रेस नेता विवेक त्रिपाठी ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री मोहन यादव द्वारा माता सीता और प्रभु श्री राम जी को लेकर अशोभनीय टिप्पणी की गई है, जो कि हिंदू धर्म की भावनाओं को आहत करती है। कैबिनेट मंत्री मोहन यादव ने उज्जैन के नागदा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान “माता सीता की तुलना आज की तलाकशुदा पत्नी के जीवन से की, उन्होंने कहा कि सीता का भूमि में समा जाना आज के दौर का सुसाइड जैसा मामला है”। त्रिपाठी ने मोहन यादव की गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा कि हर एक हिंदू के मन में प्रभु श्रीराम एवं माता सीता के प्रति अखंड श्रद्धा का भाव होता है। ऐसे में यादव द्वारा की गई टिप्पणी हम सभी हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाली है।

 

तो छात्र राजनीति करने वाले विवेक त्रिपाठी ने एक तीर से कई निशाने लगा दिए हैं। पहले तो हिन्दुत्व की पैरवी कर कांग्रेसी हिंदू नेतृत्व का चेहरा बन गए। वहीं आइना दिखा दिया है कि प्रभु श्रीराम एवं माता सीता की ऐसी व्याख्या करना क्या किसी भाजपा नेता को शोभा देता है। यह भी जता दिया कि भाजपा की सोच कुछ भी हो, लेकिन कांग्रेस और कांग्रेस के युवाओं को यह कतई स्वीकार्य नहीं है। और विवेक त्रिपाठी विश्वविद्यालय छात्र नेता के बतौर सीधे उच्च शिक्षा मंत्री से मुखातिब भी हो गए। तो राजनीति में वही सफलता की उम्मीद लगा सकता है, जिसमें चौके-छक्के मारने का माद्दा हो। मोहन पर मार कर विवेक त्रिपाठी ने साबित किया है कि हुनर के वह धनी हैं, बस मौके की तलाश में समय गुजरा जा रहा है। 2023 में मौका मिला तो कांग्रेस के दूसरे युवा विधायकों नीलांशु चतुर्वेदी, कुणाल चौधरी और विपिन वानखेड़े की तर्ज पर अपना खाता खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।