गजकेसरी, केदार व वरिष्ठ योगों में मनेगी होली, भद्रा का रहेगा साया- आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक

 

चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा में होगा भद्रा समाप्ति पर रात्रि 1.13 बजे के बाद दहन,पूजन हेतु प्रदोषकाल शुभ                   धर्मशास्त्रीय मतानुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित प्रदोष काल मे होलिका दहन किया जाता है ।

इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 18 मार्च शुक्रवार को दोपहर 12. 47 बजे तक है।

प्रदोष काल मे पूर्णिमा तिथि का अभाव है। अतः 17 मार्च गुरुवार को चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा में होगा होलिका दहन।

17 मार्च को चतुर्दशी तिथि दोपहर 1 बजकर 37 मिनिट तक रहेगी बाद में पूर्णिमा तिथि आरम्भ होगी जो दूसरे दिन 18 मार्च शुक्रवार को दोपहर 12.47 बजे तक रहेगी।

अतः होलिका दहन 17 मार्च शुक्रवार को भद्रा रहित समय में होगा । 17 मार्च को दोपहर 1.30 बजे से भद्रा प्रारम्भ हो जायेगी । भद्रा रात्रि 1 बजकर 13 मिनिट तक रहेगी।

भद्रा काल में होलिका दहन का निषेध है। *भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा*,अर्थात भद्रा में रक्षा बंधन व होलिका दहन नही करना चाहिए। भद्रा में होलिका दहन से प्रजा का अनिष्ट होता है ।

*दहन व पूजन का शुभ समय,,* होलिका दहन का मुख्य समय *प्रदोष काल* है। 17 मार्च को पृथ्वी लोक की भद्रा अशुभ है।

शास्त्रों का मत है कि भद्रा यदि अर्ध रात्रि के बाद तक रहे तो भद्रा का *मुख* त्याग कर दहन करें।।

भद्रा निशीथ (अर्धरात्रि) काल के बाद तक रात्रि 1.13 बजे तक है। अतःभद्रा समाप्त होने पर रात्रि 1बजकर 13 मिनिट के बाद दहन करना शास्त्र सम्मत रहेगा। होलिका पूजन हेतु प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद 2 घण्टे 24 मिनिट अर्थात शाम 6 से 8.24 तक का समय श्रेष्ठ रहेग।

आचार्य पण्डित शर्मा वैदिक ने बताया कि *भद्रा का मुख छोड़कर पुच्छ काल मे *रात्रि 9.6 से 10.16 तक भी दहन कर सकते है*। किंतु भद्रा समाप्ति काल के बाद रात्रि 1.13 बजे के बाद ही होलिका ज्यादा उचित रहेगा। आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कि पञ्चाङ्ग में सातवें करण का नाम विष्टि है यही *भद्रा* के नाम से जानी जाती है। भद्रा शनि देव की बहन व सूर्य की पुत्री है,इनका स्वभाव अत्यंत ही क्रोधी है।

*पृथ्वी लोक* की भद्रा अत्यंत ही अशुभ व त्याज्य मानी गयी है। 18 मार्च शुक्रवार को घुलेंडी व 22 मार्च मंगलवार को रंगपंचमी का पर्व मनेंगा। 24 मार्च को शीतला सप्तमी व 27 मार्च रविवार को दशामाता व्रत रहेगा।

2 अप्रैल शनिवार से भारतीय नववर्ष विक्रम 2079 प्रारम्भ होगा। राजा न्याय के देवता शनि होंगे।