How to Escape From Hanging : ‘निठारी’ के सजायाफ्ता को फंदा लगने ही वाला था कि बच गया!

जानिए, जल्लाद पवन की क्या थी तैयारी, क्यों रुक गई फांसी!

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How to Escape From Hanging : ‘निठारी’ के सजायाफ्ता को फंदा लगने ही वाला था कि बच गया!

Meeruth : इलाहाबाद हाईकोर्ट के निठारी कांड के मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी करने के आदेश पर जल्लाद पवन कुमार को आश्चर्य हुआ। पवन जल्लाद को 2015 में सुरेंद्र कोली को मेरठ जेल में फांसी पर लटकाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उनका कहना है कि ये सजायाफ्ता अपराधी है, जिसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने भी खारिज कर दी। फिर क्यों उसे छोड़ दिया गया, ये सही नहीं है।
अपनी तैयारियों को याद करते हुए पवन ने दिल्ली के एक अखबार को बताया कि मैंने फांसी तंत्र को व्यवस्थित रखने के लिए 10 दिनों तक काम किया था। क्योंकि, 70 के दशक के मध्य से मेरठ जेल में कोई फांसी नहीं हुई। वे कहते हैं कि मुझे याद है कोली की फांसी बस होने ही वाली थी। मैं फंदा खींचने ही वाला था कि एक घंटे पहले हाईकोर्ट का आदेश आ गया, जिसमें उसकी फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया।
पवन ने कहा कि एक दोषी को रिहा होते देखना दुखद है। मुझे याद है, उसे फांसी देने में केवल एक घंटा बचा था। मैं सितंबर 2015 में लीवर खींचने वाला था, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के कारण वह मेरे फंदे से बचने में कामयाब रहा। हाईकोर्ट ने उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

कौन हैं पवन जल्लाद?
पवन चौथी पीढ़ी के जल्लाद हैं। उन्होंने ही 2020 में निर्भया मामले के चार दोषियों को फांसी दी थी। पवन के परदादा लक्ष्मण राम अंग्रेजों के लिए काम करते थे। उन्होंने ही भगत सिंह को फांसी दी थी। उनके दादा कल्लू ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के हत्यारों को सजा दी थी। उनके पिता मम्मू 19 मई, 2011 को अपनी मौत के 47 साल तक राज्य के जल्लाद थे। पवन 2013 में यूपी जेल निदेशालय के अनुचर के रूप में शामिल हुए।

शबनम भी फांसी से बची
इससे पहले पवन जल्लाद ने 2021 में भारत में पहली बार एक महिला शबनम अली (38) को फांसी देने की तैयारी की थी। शबनम को अपने प्रेमी और साथी सलीम की मदद से अपने परिवार के 7 सदस्यों की गला काटकर हत्या करने का दोषी ठहराया गया था। क्योंकि, उसके रिश्तेदारों को उनका रिश्ता मंजूर नहीं था। वह याद करते हुए कहते हैं कि मुझे मथुरा जेल में शबनम और सलीम को फांसी देने की व्यवस्था करने के लिए कहा गया। लेकिन, डेथ वारंट कभी नहीं आया। मुझे बताया गया कि उसने मृत्युदंड से बचने के लिए अभी तक अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया है।