Huge Cash Recovered from Judge’s House : हाईकोर्ट जज के घर से भारी केश मिला, जज को पेरेंट कोर्ट भेजा गया, पर जांच की घोषणा नहीं!

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Huge Cash Recovered from Judge’s House : हाईकोर्ट जज के घर से भारी केश मिला, जज को पेरेंट कोर्ट भेजा गया, पर जांच की घोषणा नहीं!

आग से नोट के कई बंडल जले, नकदी जब्ती मामले से हाई कोर्ट के वकील नाराज!

New Delhi : दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में आग लगी, तब वे शहर में नहीं थे। उनके परिवार के सदस्यों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को बुलाया। आग बुझाने के बाद दमकल कर्मियों ने बंगले के कमरों के अंदर भारी मात्रा में नकदी रखी पाई। अनुमान है कि यह राशि करीब 15 करोड़ रुपए है। आग बुझाने के दौरान कई करोड़ की नकदी मिली और कई करोड़ के नोट के बंडल जलकर खाक हो गए! यह भी कहा जा रहा है कि घर में संभवत: तीन गुना अधिक नकदी थी। बंगले से मिली मोटी रकम का मुद्दा शुक्रवार को हाईकोर्ट में भी उठा।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा मूल रूप से इलाहाबाद उच्च न्यायालय से संबंधित थे और वर्ष 2021 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। शुक्रवार सुबह वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय के समक्ष न्यायमूर्ति वर्मा से संबंधित मुद्दे का उल्लेख किया। कहा गया कि इस घटना से हर कोई स्तब्ध है। इस घटना से कई लोग दुखी हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि प्रशासनिक स्तर पर कुछ कदम उठाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और न्याय व्यवस्था की सत्यनिष्ठा बनी रहे। उन्होंने कहा कि हम स्तब्ध और हताश हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि हर कोई स्तब्ध है और कोर्ट इस बात से अवगत है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा शुक्रवार को कोर्ट में नहीं बैठे। उनके स्टाफ ने उनके अवकाश पर होने की कोर्ट में सूचना दी।

यह नकदी तब मिली जब आवास में आग लगने पर फायर ब्रिगेड आग बुझाने के लिए न्यायाधीश के आवास पर पहुंची। हालांकि, न्यायमूर्ति वर्मा उस समय अपने आवास पर नहीं थे। जब अग्निशमन कर्मियों को नकदी का ढेर मिला, तो उन्होंने इसकी तस्वीरें और वीडियो बनाए और अपने वरिष्ठों को सूचित किया। अंततः, मामले की सूचना सरकार के उच्च अधिकारियों को दी गई, जिन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश को सूचित किया।

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दिल्ली हाई कोर्ट के जज के घर से नकदी बरामद होने पर कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि अगर यह सच है तो यह बहुत गंभीर मुद्दा है और मैं कॉलेजियम से पूछना चाहूंगा कि आगे क्या होगा? आज हम राज्यसभा में भारत के उपराष्ट्रपति से भी मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि हम और तथ्यों का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि, हमें नहीं पता कि यह रकम कितनी थी, क्या यह जब्त की गई थी? इसके अलावा, हम यह भी चाहेंगे कि भारत के कानून मंत्री संसद में आकर इस बारे में बयान दें।
इस कारण सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की एक असाधारण बैठक बुलाई थी। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का फैसला किया।

प्राप्त जानकारी अनुसार केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना तक इस सूचना को पहुंचाया और फिर गुरुवार शाम को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम का एक्शन सामने आया, जिसने जस्टिस वर्मा को उनके पेरेंट कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।

औपचारिक जांच की घोषणा नहीं

अभी तक कोई औपचारिक जांच की घोषणा नहीं की गई, और यह स्पष्ट नहीं है कि कोई जांच होगी या नहीं। सुप्रीम कोर्ट की 1999 की आंतरिक प्रक्रिया सीजेआई को न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगने और यदि आवश्यक हो, तो आंतरिक जांच करने के लिए वरिष्ठ न्यायाधीशों का एक पैनल नियुक्त करने की अनुमति देती है।

कौन है जस्टिस यशवंत वर्मा

जानकारी के अनुसार जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी, 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीकॉम ऑनर्स की डिग्री ली थी, इसके बाद रीवा विश्वविद्यालय से उन्होंने लॉ में ही अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। 8 अगस्त, 1992 को वे एक एडवोकेट के रूप में नामांकित हुए थे, कहा जा सकता है कि कानून की दुनिया में उनका डेब्यू हुआ था। यशवंत वर्मा के करियर को अगर समझा जाए तो उन्होंने सबसे ज्यादा संवैधानिक, इंडस्ट्रियल विवाद, कॉर्पोरेट, टैक्सेशन, पर्यावरण जैसे केस लड़े हैं। लंबे समय तक वे इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील के रूप में भी काम कर चुके हैं।

2012 से 2013 तक यशवंत ने यूपी के मुख्य स्थायी वकील के रूप में भी काम किया, फिर वे एक सीनियर एडवोकेट के रूम में नामित हो गए। उन्हें अगला बड़ा प्रमोशन 13 अक्टूबर 2014 को तब मिला जब वे एडिशनल जज बन गए। इसके बाद 1 फरवरी 2016 को उन्हें परमानेंट जज के रूप में काम करने का मौका मिला, उन्होंने शपथ ली। साल 2021 में उनका दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया। बतौर जज कई मामलों की सुनवाई यशवंत वर्मा कर चुके हैं, अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर भी उनकी एक अहम टिप्पणी रही है।