Hukumchand Mill Case : हुकुमचंद मिल का केस लड़ने वाले दो वकीलों को 6.54 करोड़ फीस मिली!
Indore : हुकुमचंद मिल मजदूरों ने 32 साल तक अपने अधिकार की लड़ाई लड़ी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। न्याय की दुनिया में ये एक अनोखा मामला कहा जाएगा। नतीजा ये हुआ कि मजदूरों को 217.86 करोड़, डिस्काम के 31.22 करोड़, पीएफ और ईएसआई के 12.14 करोड़ रूपए मिले। अब हुकुमचंद मिल की जमीन पर नगर निगम और हाउसिंग बोर्ड साझा प्रोजेक्ट बनाएगा।
इस मामले की सबसे ख़ास बात यह कि 23 साल तक हुकमचंद मिल मजदूरों की लड़ाई लड़ने वाले शहर के दो वकीलों को लीगल खर्च के रूप में 6.54 करोड़ रुपए दिए गए। हाउसिंग बोर्ड ने दोनों वकीलों के खातों में 3.27-3.27 करोड़ रूपए जमा कराए। शहर के न्यायिक इतिहास में यह सबसे बड़ी लीगल फीस है। देश में अब तक रिकॉर्ड के मुताबिक सबसे बड़ी लीगल फीस दिल्ली के शराब घोटाले व जेल में बंद सत्येंद्र जैन का केस लड़ने वाले वकीलों को दिल्ली सरकार ने 28.10 करोड़ रुपए फीस दी। जस्टिस लोया केस में 11 सुनवाई के लिए मुकुल रोहतगी ने 1.25 करोड़ फीस ली थी।
हाउसिंग बोर्ड ने राशि वरिष्ठ वकील गिरीश पटवर्धन व धीरजसिंह पंवार के खाते में दो दिन पहले ये राशि जमा की गई। गुरुवार को बोर्ड का भुगतान संबंधी पत्र भी वायरल हुआ। अफसरों को भी सफाई देना पड़ा कि पूरी राशि फीस की नहीं, बल्कि इसमें कानूनी और प्रशासनिक खर्च भी शामिल है। दोनों वकीलों ने 23 साल तक मजदूरों की फीस लिए मजदूरों का केस लड़ा। इन वकीलों ने कानूनी और प्रशासनिक खर्च भी अपनी जेब से लगाया।
मजदूर नेता हरनाम सिंह धालीवाल का कहना है कि 23 साल पहले हमारा केस लड़ने के लिए कोई वकील तैयार नहीं था। तब मजदूरों की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे फीस दे सकें। उनको 500 रुपए भी ब्याज से लेना पड़ते थे। उस समय जो वकील आते वे क्लेम के 10% राशि तक मांगते थे। उस समय दोनों वकील 3%-3% पर केस लड़ने को तैयार हुए। फीस की जानकारी कोर्ट में सुनवाई के वक्त ही दे दी गई थी। मजदूरों के भुगतान के बाद वकीलों को फीस चुकाए जाने को लेकर हाउसिंग बोर्ड को लिखा था।
किसको कितना भुगतान किया
हुकमचंद मिल मामले में मजदूरों को 217.86 करोड़, डिस्काम के 31.22 करोड़, पीएफ, ईएसआई 12.14 करोड़ मिले हैं। इसके अलावा स्टेट बैंक इंडिया को 112.52 करोड़, आईडीबीआई को 17.40 करोड़, आईएफसीआई को 8.26 करोड़, कोटक महिंद्रा को 14.96 करोड़, एलआईसी को 6.54 करोड़ और अन्य को 1 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
32 साल में 1600 सुनवाई
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद मोहन यादव ने सबसे पहले हुकुमचंद मिल मजदूरों की बकाया राशि का फैसला लिया। मुख्यमंत्री ने 464 करोड़ की राशि मजदूरों को देने की मंजूरी दी, जो मजदूरों को हित में प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला माना गया। इंदौर हाईकोर्ट ने हुकुमचंद मिल मजदूरों को 32 साल और 1600 सुनवाई के बाद न्याय दिया है। नगर निगम की तरफ से वकील ने अपना पक्ष रखकर 15 जनवरी 2024 तक हुकुमचंद मिल मजदूरों के खाते में पैसा ट्रांसफर करवाने की बात कही। इसके बाद हाईकोर्ट ने नगर निगम को पैसा ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए हैं।