Humble Tribute: आनंद मोहन माथुर के साथ मीडियावाला के अद्भुत अनुभव

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Humble Tribute: आनंद मोहन माथुर के साथ मीडियावाला के अद्भुत अनुभव

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

इंदौर ही नहीं मध्य प्रदेश और देश के ख्यात विधि विशेषज्ञ आनंद मोहन माथुर का मीडियावाला पर ख़ास स्नेह रहा है।  वे  कई मामलों में  एन्सायक्लोपीडिया की तरह थे।  यह अद्भुत संयोग रहा कि उनका और मेरा जन्मदिन एक ही दिनांक को पड़ता है – 23 जुलाई।  यही जन्मदिन चंद्रशेखर आज़ाद और लोकमान्य तिलक का भी है। उनके क्रांतिकारी  विचारों और कार्यों से प्रेरित होकर मीडियावाला के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी और मैंने उनके जीवन पर किताब लिखने की योजना बनाई।  उनकी मंजूरी ली और उनकी बिटिया और दामाद की भी मंजूरी ली।

वह किताब ‘आनंद मोहन माथुर : जोश, जूनून और जज़्बे का दूसरा नाम’ शीर्षक से छपी थी।  उनके जन्मदिन पर 23 जुलाई 2017 का उसका विमोचन भगत सिंह  मंच के झंडे तले इंदौर के आनद मोहन माथुर सभागृह में हुआ था।  जिसमें माथुर साहब के साथ मंच पर मीडियावाला के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी और मैं भी बैठे थे। साथ में सरोज कुमार, सुभाष खंडेलवाल, इंदौर के शहर काजी डॉ. इशरत अली, जयप्रकाश चौकसे  भी थे।

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इस पुस्तक को आकार देने के लिए सुरेश तिवारी और मैं महीनों तक उनके घर और दफ्तर में  बैठे।  हम उनकी बातें सुनते, नोट्स बनाते, उनके साथ चाय पीते, हंसी मजाक करते और उनके जीवन के अनुभवों का सार ग्रहण करते। क्या ही अद्भुत अनुभव थे उनके साथ।  90 के पड़ाव में भी वे बांग्ला भाषा सीख रहे थे।  संगीत सीख रहे थे।  कमजोर वर्ग के लिए लड़ रहे थे। इंदौर के लिए नए नए प्रोजेक्ट तैयार करके उन्हें अमली जामा पहना रहे थे।

आनंद मोहन माथुर इंदौर के एक प्रख्यात वरिष्ठ अधिवक्ता, समाजसेवी और मध्य प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता थे। उनका जन्म 1927 में हुआ था और 97 वर्ष की आयु में, 21 मार्च 2025 को उनका निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। उनका जीवन सामाजिक न्याय, जनसेवा और इंदौर शहर के विकास के लिए समर्पित रहा। एक वकील, लेखक, नाटककार और समाजसेवी के रूप में उन्होंने बहुआयामी योगदान दिया।

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आनंद मोहन माथुर ने इंदौर को कई महत्वपूर्ण सौगातें दीं, जिनमें से अधिकांश उन्होंने अपने निजी खर्चे से बनवाकर शहर को समर्पित कीं। उनके प्रमुख योगदानों में शामिल हैं- आनंद मोहन माथुर झूला पुल,  इंदौर का पहला झूला पुल है  जो शहरवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा बना। आनंद मोहन माथुर  सभागृह सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए एक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ। अपनी पत्नी कुंती माथुर की स्मृति में बनवाया गया यह सभागृह भी इंदौर के लिए उनकी देन है।

माथुर साहब ने कान्ह नदी के प्रदूषण के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। वे हर रविवार को सुबह 9 बजे नदी की सफाई के लिए खुद झाड़ू लेकर पहुंचते थे और लोगों को प्रेरित करते थे। इस आंदोलन ने शहर में पर्यावरण जागरूकता बढ़ाने में मदद की।

उन्होंने आनंद मोहन माथुर सेंटर फॉर एडवांस सर्जरी (एमवायएच), एड्स पीड़ितों के लिए मानवीय ट्रस्ट, आनंद मोहन माथुर शासकीय माध्यमिक शाला भवन, जयकुंवर बाई माथुर ओपीडी, लक्ष्मीनारायण माथुर आईसीयू, और आनंद मोहन माथुर उद्यान जैसी परियोजनाएं भी शहर को दीं। ये सभी उनके व्यक्तिगत प्रयासों और धन से संभव हुईं। माथुर को मराठी, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषाओं का गहरा ज्ञान था। उन्होंने महाराष्ट्र साहित्य सभा से जुड़कर मराठी भाषा को बढ़ावा दिया और दस लाख रुपये देकर मराठी एकेडमी की स्थापना करवाई। उनका मानना था कि शहर की समस्याओं का समाधान सरकार के साथ-साथ नागरिकों को भी करना चाहिए। वे हमेशा सामाजिक मुद्दों पर सड़कों पर उतरने और कोर्ट में लड़ाई लड़ने को तैयार रहते थे।

आनंद मोहन माथुर ने इंदौर की मिलों में काम करने वाले मजदूरों के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उनका बचपन आर्थिक तंगी में बीता था और उन्होंने खुद मालवा मिल में मजदूरी की थी। इस अनुभव ने उन्हें गरीब और मजदूर वर्ग की समस्याओं से गहराई से जोड़ा। वे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए शासन से लड़ते रहे और मजदूरों के हक में कई आंदोलन किए। उन्होंने मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और कोर्ट में उनकी पैरवी की। उनकी कोशिशों से मजदूरों को कुछ हद तक राहत मिली, परंतु यह कहना मुश्किल है कि वे पूर्ण रूप से सफल रहे, क्योंकि मजदूरों की समस्याएं उस समय जटिल और व्यापक थीं। फिर भी, उनकी निष्ठा और प्रयासों ने मजदूरों में जागरूकता पैदा की और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।

आनंद मोहन माथुर एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपने जीवन को इंदौर और इसके नागरिकों के लिए समर्पित कर दिया। उनकी समाज सेवा, कानूनी लड़ाइयाँ और शहर को दी गई सौगातें उन्हें अमर बनाती हैं। मिल मजदूरों के लिए उनकी लड़ाई उनकी संवेदनशीलता और जमीनी जुड़ाव को दर्शाती है, भले ही उसमें पूर्ण सफलता न मिली हो।

मीडियावाला परिवार की तरफ से आनंद मोहन माथुर साहब को हार्दिक श्रद्धांजलि !