मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा…
मध्यप्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? यह सवाल मध्यप्रदेश की साढ़े नौ करोड़ जनता के जेहन में है। इस बीच शिवराज सिंह चौहान का एक वाक्य “मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा…” बहुत सारे संकेत दे रहा है। भले ही यह बात उन्होंने दिल्ली जाने के सहज सवाल पर कही हो। पर इससे सीधा संदेश यही मिल रहा है कि मुख्यमंत्री के रूप में वह पांचवी बार शपथ लेकर मध्यप्रदेश की साढ़े नौ करोड़ जनता की सेवा को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं। खास तौर से ऐसे समय में जब मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अगले मुख्यमंत्री के नामों को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की बैठकों का दौर चल रहा हो। और खास तौर से तब भी जब कैलाश विजयवर्गीय सहित मध्यप्रदेश के दिग्गज नेता यह बात मानने को कतई तैयार न हों कि 2023 की जीत में लाड़ली बहना योजना की भूमिका अहम रही है। और शायद एक ही दिन में शिवराज सिंह चौहान ने वह सारे संकेत अपनी सहज, सरल और विनम्र शैली में दे दिए हैं, जो कि वह दे सकते थे। 5 दिसंबर को ही शिवराज ने लाड़ली बहनों के बीच पहुंचकर यह जता दिया है कि मध्यप्रदेश में बड़ी जीत का आधार उनकी लाड़ली बहना योजना ही है, इस बात को कतई नकारा नहीं जा सकता। भले ही मध्यप्रदेश के बड़े नेता इसको लेकर कुछ भी वक्तव्य देकर नकारने की कोशिश करते रहें। और शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते अपनी आगामी संकल्प और प्राथमिकताएं भी तय कर उन पर अमल करना भी शुरू कर दिया है। इसकी ही एक झलक है शिवराज का 6 दिसंबर का छिंदवाड़ा का दौरा। जैसा कि खुद शिवराज ने 5 दिसंबर को कहा कि ” मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा। कल मैं जा रहा हूं छिंदवाड़ा, वहां हम सातों विधानसभाओं की सीटें नहीं जीत पाए।मेरा एक संकल्प है 29 की 29 सीटें मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी जीते और श्रीमान नरेंद्र मोदी जी हमारे प्रधानमंत्री जी, जो हमारे नेता हैं उनके गले में 29 कमल की माला डालकर संपूर्ण बहुमत यहां पर भारतीय जनता पार्टी की मिले और वह फिर से भारत के प्रधानमंत्री बनें।”
तो यह भी देखते हैं कि 5 दिसंबर को शिवराज ने विस्तार से क्या-क्या कहा। लाड़ली बहनों के बीच पहुंचकर कहा कि “मेरी लाड़ली बहनाओं, आपने जो आशीर्वाद, स्नेह और प्रेम दिया वो अद्भुत है। अभूतपूर्व समर्थन आपने दिया है, बहनों मैं आभारी हूं। आपके भाई की सदैव ये कोशिश रहेगी कि आपकी जिंदगी में कोई कठिनाई न रहे, कोई काटा ना रहे।महिला सशक्तिकरण के लिए जब तक मेरी सांस रहेगी, मैं काम करता रहूंगा। मेरी बहनों फिर से 10 तारीख आ रही है।लाड़ली बहन की राशि अब आपके खाते में फिर डाली जाएगी। जो कहा है कि क्रमशः बढ़ाते-बढ़ाते इसको 3000 तक ले जाएंगे, यह संकल्प पूरा करेंगे। आपकी जिंदगी खुशियों से भरी रहे, यही भाई की इच्छा है।”
यानि कि एक बात साफ है कि मध्यप्रदेश के संदर्भ में यही नरेटिव सही है कि लाड़ली बहनों ने भाजपा सरकार बनाकर भैया शिवराज को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए आशीर्वाद दिया है। और इसकी तुलना राजस्थान और छत्तीसगढ़ से कर यह नरेटिव कतई सेट नहीं किया जा सकता कि लाड़ली बहना योजना की मध्यप्रदेश की जीत में कोई भूमिका नहीं है। तो मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज ने काम की शुरुआत भी करते हुए राजगढ़ जिले के पिपलिया रसोड़ा गांव के बोरवेल में गिरी बच्ची का संज्ञान लिया। मुख्यमंत्री ने एसडीआरएफ-एनडीआरएफ की टीम को रवाना होने के निर्देश दिए।
तो कैलाश विजयवर्गीय और नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल ने केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर ली है। एक और वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात करने दिल्ली रवाना हो गए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात की है। और सबसे बड़ी खबर यह चर्चा में है कि प्रधानमंत्री निवास पर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अहम बैठक हुई और सूत्रों के अनुसार तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री चयन खास मुद्दा है। तीन राज्यों में नियुक्त होने वाले पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों के नाम भी अहम बैठक का हिस्सा रहा। ऐसे में मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता बहुत कुछ साफ संकेत दे रही है…।