Ex Prime Minister Nehru पर लिखी फेसबुक पोस्ट पर IAS officer Under fire

पर शोकॉज नोटिस मिला मोदी की पोस्ट पर

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Prime Minister Nehru

Ex Prime Minister Nehru

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू(Prime Minister Nehru) पर एक #IAS अधिकारी की फेसबुक पोस्ट पर बवाल मच गया था और उस अधिकारी को अपनी कलेक्टरी से हाथ धोना पड़ा था। इस मामले में आश्चर्यजनक बात यह है कि इस #IAS अधिकारी को सरकार ने नेहरू की पोस्ट के बजाय #PMModi पर लिखी एक पुरानी पोस्ट पर शोकाज नोटिस जारी किया गया था।
हम यहां बात कर रहे हैं 2004 बैच के #IAS अधिकारी अजय गंगवार की।गंगवार 2016 में बड़वानी के कलेक्टर थे। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Prime Minister Nehru) की तारीफ की थी। गंगवार ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि ‘जरा गलतियां बता तो दीजिए जो नेहरू को नहीं करनी चाहिए थी। अगर उन्होंने 1947 में आपको हिंदू तालिबानी राष्ट्र बनने से रोका तो यह उनकी गलती थी। उन्होंने #IIT, #ISRO,# IISB, #IIM, भेल स्टील प्लांट, बांध, थर्मल पावर लाए थे,यह उनकी गलती थी। उन्होंने यहां तक कह दिया कि आसाराम और रामदेव जैसे #intellectuals की जगह साराभाई और होमी जहांगीर को सम्मान और काम करने का मौका दिया, यह उनकी गलती थी। उन्होंने देश में गौशाला और मंदिर की जगह #University खोली, यह भी उनकी घोर गलती थी।’

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इस फेसबुक पोस्ट आने के बाद सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं आईं और सरकार ने उन्हें तत्काल कलेक्टर पद से रुखसत कर दिया था।
इतना ही नहीं एक सप्ताह बाद उन्हें शोकॉज नोटिस भी देकर सफाई मांगी गई। उन पर यह भी आरोप था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी (Modi) की आलोचना वाली एक पोस्ट को लाइक किया था। सरकार ने गंगवार के इस कृत्य को अभिव्यक्ति की आजादी का गंभीर अतिक्रमण माना था।

What was in the notice about Ex Prime Minister Nehru?

राज्य सरकार के नोटिस में खास बात यह थी कि शोकाज नोटिस अजय गंगवार को नेहरु(Prime Minister Nehru) की तारीफ पर नहीं बल्कि मोदी की आलोचना करने वाली एक पोस्ट को कथित तौर पर लाइक करने पर दिया गया था।

उस समय गंगवार का यह मानना था कि अगर 23 जनवरी, 2015 को फेसबुक पर कुछ पोस्ट किया है या किसी पोस्ट को लाइक किया है तो कारण बताओ नोटिस जारी करने में इतना समय क्यों लिया गया। उन्होंने सरकार को जवाब दिया था कि फेसबुक पर मेरी टाइमलाइन पर मैंने मोदी (Modi) के खिलाफ कोई पोस्ट नहीं की है और ना ही ऐसी किसी पोस्ट को मेरे द्वारा लाइक किया गया है।
बताया गया है कि इस #IAS अधिकारी पर यह आरोप था कि जनसत्ता में प्रकाशित एक लेख ‘मोदी (Modi) के खिलाफ जन क्रांति होनी चाहिए’ को फेसबुक पोस्ट पर उनके द्वारा कथित तौर पर लाइक किया था। यह भी उल्लेखनीय है कि 23 जनवरी 2015 की इस पोस्ट के 6 माह बाद उन्हें बड़वानी जिले की कलेक्टर की कमान सौंपी गई थी। अगर यह पोस्ट आपत्तिजनक थी और कंडक्ट रूल्स के खिलाफ थी, तो उन्हें बजाए कलेक्टर बनाने के उसी वक्त सजा क्यों नहीं दी गई? कोई डेढ़ साल बाद सरकार उनसे सात दिनों में जवाब मांग रही थी। जाहिर है उन्हें नेहरु की तारीफ की पोस्ट की तोड़ के बदले यह नोटिस दिया गया था। गंगवार के जवाब देने के बाद भी कोई 6 माह बाद उन्हें फिर सरकार ने इसी मामले को लेकर एक शोकाज नोटिस दिया जिसका उत्तर उन्होंने पुनः वही दिया। खैर बाद में सरकार ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

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मामला जो भी हो, यहां पर प्रश्न गंगवार का नहीं है, प्रश्न यह है कि अगर किसी अखबार या मीडिया में कुछ आता है तो क्या एक सामान्य नागरिक के नाते कोई अधिकारी उसे पढ़ नहीं सकता, उस पर लिख नहीं सकता, उस पर कमेंट नहीं कर सकता, क्या यह नागरिक अभिव्यक्ति का हनन नहीं है जो उसे संविधान ने नाते प्रदत्त है और जिसका उपयोग करने के लिए संविधान ने उसको अधिकार दे रखा है। सवाल यह भी उठता है कि संविधान बड़ा या कंडक्ट रूल्स। सरकार से उम्मीद की जानी चाहिए कि जिस तरह सोशल मीडिया की बाढ़ आई हुई है, गंगवार के मामले को उदाहरण के रूप में सामने रखते हुए ऐसे नियम फ्रेम करें जिससे संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन भी ना हो और कंडक्ट रूल्स पर भी आंच न आए।

हम यहां यह जरूर बताना चाहेंगे कि गंगवार 1989 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और उन्हें IAS अवार्ड होने के बाद मध्य प्रदेश केडर में 2004 बैच आबंटित हुआ था। वे तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के उप सचिव रहे और बाद में पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत में भी वे उनके #OSD रहे।
दिसंबर 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तब कोई 6 माह बाद उन्हें नीमच जैसे छोटे जिले का कलेक्टर बनाया गया। कांग्रेस सरकार ने उनके साथ न्याय इस माने में नहीं किया क्योंकि वे काफी सीनियर थे और किसी बड़े जिले के कलेक्टर बनने के हकदार थे। हां, इतना जरूर है कि जब वे सुपर टाइम स्केल में पदोन्नत हुए तो उन्हें सीधा कमिश्नर सागर बनाया गया। सरकार में ऐसा कम ही होता है। हालांकि वे लंबे समय तक इस पद पर नहीं रह सके और बीजेपी सरकार बनने के तुरंत बाद उन्हें वहां से हटा दिया गया। मार्च 2020 में उन्हें सचिव नगरीय प्रशासन बनाया गया जहां से वे मार्च 2021 में रिटायर हो गए।