IAS K Senthil Kumar: निलंबन, ED की चार्जशीट और संपत्ति कुर्की के बावजूद ACS बने 1996 बैच के IAS, प्रमोशन और पदस्थापना पर उठे सवाल

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IAS K Senthil Kumar: निलंबन, ED की चार्जशीट और संपत्ति कुर्की के बावजूद ACS बने 1996 बैच के IAS, प्रमोशन और पदस्थापना पर उठे सवाल

पटना: बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना ने एक बार फिर प्रशासनिक हलकों में बहस छेड दी है। योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव के. सेंथिल कुमार को अब बिहार राज्य अनुसूचित जाति सहकारिता विकास निगम के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। खास बात यह है कि करीब 14 दिन पहले ही उन्हें अपर मुख्य सचिव के पद पर प्रोन्नति दी गई थी। यह प्रमोशन और नई जिम्मेदारी ऐसे समय में मिली है, जब उनका नाम लंबे समय से भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर मामलों से जुडा रहा है।

 

*लगातार प्रमोशन, विवाद साथ-साथ*

▫️के. सेंथिल कुमार 1996 बैच के IAS अधिकारी हैं। मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले सेंथिल कुमार बिहार कैडर के अधिकारी हैं। वर्ष 2021 में बिहार सरकार ने 1987 बैच के चर्चित IAS अधिकारी और UPSC टॉपर आमिर सुबहानी को गृह सचिव पद से हटाकर सेंथिल कुमार को राज्य का नया गृह सचिव नियुक्त किया था। यह फैसला उस समय भी खासा विवादों में रहा, क्योंकि सेंथिल कुमार पहले ही भ्रष्टाचार के मामलों में निलंबन झेल चुके थे।

 

*सचिव पद पर रहते दाखिल हुई ED की चार्जशीट*

▫️अगस्त 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने के. सेंथिल कुमार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। उस समय वे स्वास्थ्य विभाग में सचिव के पद पर तैनात थे। आरोप था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति में बडे पैमाने पर गडबडी की गई। 143 कर्मचारियों की बहाली के नाम पर करोडों रुपये की अवैध वसूली का आरोप सामने आया था। इससे पहले 2018 में ईडी ने उनसे जुडी करीब 2.5 करोड रुपये की संपत्ति कुर्क की थी, जब वे श्रम संसाधन विभाग में अपर सचिव थे।

▪️ *पटना नगर निगम में रहते घोटालों के आरोप*

▫️सेंथिल कुमार जून 2011 से मार्च 2014 तक भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते निलंबित भी रह चुके हैं। आरोप था कि पटना नगर निगम के आयुक्त रहते हुए उन्होंने सफाई मशीनों की खरीद, होर्डिंग एलॉटमेंट और नक्शा पास करने में करोडों रुपये का घोटाला किया। उन्होंने निलंबन के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे वर्ष 2012 में कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

▪️ *जांच के दौरान फरार होने का मामला*

▫️24 फरवरी 2010 को जब राज्य विजिलेंस ब्यूरो की टीम पटना नगर निगम में जांच के लिए पहुंची, तब सेंथिल कुमार आयुक्त के पद पर थे। जांच अधिकारियों को उन्होंने एक अलग कमरे में बैठने को कहा और जरूरी फाइल लाने का बहाना बनाया। इसी दौरान वे कार्यालय के पिछले दरवाजे से निकलकर फरार हो गए। इसके बाद उन्हें लापता मानकर तलाश शुरू की गई। नोटिस जारी होने के बावजूद वे निगरानी विभाग के सामने पेश नहीं हुए।

 

▪️ *8.76 करोड रुपये की गडबडी का आरोप*

▫️राज्य सतर्कता जांच ब्यूरो ने सेंथिल कुमार, तत्कालीन अतिरिक्त नगर आयुक्त बैद्यनाथ दास और अन्य के खिलाफ 8 करोड 76 लाख रुपये की गडबडी का आरोप पत्र दाखिल किया। आरोप था कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित की गई और निगम से जुडे कार्यों में भारी वित्तीय अनियमितताएं हुईं।

▪️ *ED का मनी लॉन्ड्रिंग केस और संपत्ति कुर्की*

▫️राज्य सतर्कता जांच के आधार पर ईडी ने 2012 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। धन शोधन अधिनियम के तहत जांच के बाद 2022 में सेंथिल कुमार सहित चार लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। इसमें उनके भाई के. अयप्पन, सेवानिवृत्त IAS बैद्यनाथ दास और ठेकेदार विमल कुमार के नाम शामिल हैं। मार्च 2018 में ईडी ने पटना और चेन्नई स्थित करीब 2.5 करोड रुपये की संपत्ति कुर्क की थी, जिसमें नागेश्वर कॉलोनी का एक अपार्टमेंट, ट्रस्ट के नाम पर जमीन और प्लॉट शामिल थे।

▪️ *सरकार के फैसले पर सवाल*

▫️भ्रष्टाचार, निलंबन, फरारी और ईडी की चार्जशीट जैसे गंभीर मामलों के बावजूद के. सेंथिल कुमार को लगातार प्रमोशन और अहम जिम्मेदारियां मिलना प्रशासनिक व्यवस्था और राजनीतिक इच्छाशक्ति पर कई सवाल खडे करता है। विपक्ष और प्रशासनिक जानकार इसे जवाबदेही और नैतिकता से जोडकर देख रहे हैं।