IAS Officers Suspended: सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करने वाले 2 IAS अधिकारी सस्पेंड
सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करके विवाद खड़ा करने वाले दो IAS अधिकारियों – भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2013 बैच के अधिकारी उद्योग विभाग के निदेशक के गोपालकृष्णन और 2007 बैच के अधिकारी विशेष सचिव (कृषि) एन प्रशांत को केरल सरकार ने सेवा से निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
राज्य के मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में दोनों अधिकारियों द्वारा अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम, 1968 के संभावित उल्लंघन को उजागर किया गया, जिसके कारण राज्य सरकार ने इन अधिकारियों को निलंबित करने और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का निर्णय लिया है।
गोपालकृष्णन को दिवाली पर मल्लू हिंदू अधिकारी और मल्लू मुस्लिम अधिकारी नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के लिए निलंबित कर दिया गया था। इस ग्रुप में कई हिंदू और मुस्लिम IAS अधिकारियों को जोड़ा गया था और बाद में दावा किया गया था कि इन समूहों को बनाने के लिए उनका फोन हैक किया गया था। बाद में उन्होंने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने उनके फोन को कब्जे में ले लिया, जो बाद में फ़ैक्टरी रीसेट किए गए थे और डेटा डिलीट किए गए थे। इसके बाद फोन को फोरेंसिक लैब में भेज दिया गया था।
दिलचस्प बात यह है कि व्हाट्सएप अधिकारियों और राज्य पुलिस की फोरेंसिक विंग दोनों ने रिपोर्ट दी है कि गोपालकृष्णन के फोन हैक होने का कोई सबूत नहीं मिला है। फोरेंसिक विंग ने यह भी कहा कि चूंकि IAS अधिकारी ने खुद ही फोन को फैक्ट्री सेटिंग पर रीसेट कर दिया था, इसलिए हैकिंग का कोई सबूत नहीं मिल सका। पुलिस ने यह भी दावा किया कि इंटरनेट सेवा प्रदाता की रिपोर्ट भी गोपालकृष्णन के दावों का खंडन करती है।
लेकिन गोपालकृष्णन के खिलाफ निलंबन आदेश इसलिए जारी किया गया क्योंकि सरकार को लगा कि उन्होंने
राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडरों के बीच विभाजन और असहमति पैदा करने के उद्देश्य से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था।
प्रशांत के खिलाफ कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक (IAS:1991) पर हमला किया था।
मुख्य सचिव की रिपोर्ट में जयतिलक और प्रशांत के बीच चल रहे विवाद को भी उजागर किया गया है। कहा जाता है कि जयतिलक ने किसान की गलतियों के बारे में रिपोर्ट की थी और प्रशांत ने जयतिलक के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपनी भड़ास निकाली थी। उन्होंने जयतिलक पर अपने अधीनस्थों के करियर को बर्बाद करने का आरोप लगाया था।
सरकार ने प्रशांत के इस बयान को गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से राज्य के IAS अधिकारियों के बीच असंतोष पैदा होने की संभावना है, जिसका असर जनता की सेवा पर भी पड़ सकता है। अब अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियमों के आधार पर इन दोनों मामलों की जांच के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।