IAS Remembered After 32 Years : एक IAS अधिकारी को 32 साल पहले के उस केसर पेड़े की याद आई!
Mumbai : महाराष्ट्र की एक आईएएस अधिकारी ने ‘जय श्री राम’ के नारे के साथ रविवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली। उन्होंने इस पोस्ट में प्रशिक्षण के दौरान मसूरी में उनके कई सहयोगियों के साथ 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस का जश्न मनाए जाने का जिक्र किया है। महाराष्ट्र सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव (लोक निर्माण विभाग) मनीषा पाटणकर म्हैसकर (1992 बैच) ने अयोध्या में ढहाई गई मस्जिद की जगह राम मंदिर के उद्घाटन का संदर्भ देते हुए अपने प्रशिक्षण के समय को याद किया। भाजपा के रवींद्र चव्हाण PWD मंत्री हैं।
फेसबुक पर उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा ‘छह दिसंबर 1992 को मसूरी में एक बहुत ठंडा दिन था। 1992 बैच के आईएएस अपने फाउंडेशन कोर्स में थे। धीरे-धीरे अयोध्या में राम जन्मभूमि से संबंधित घटनाक्रम की खबरें आ रही थीं। तुरंत एक बैठक आयोजित की गई थी। बेहद सावधानी से इसका आयोजन करने के साथ केवल निमंत्रण के जरिए इसमें शामिल होने के लिए बुलाया गया।’
पोस्ट में कहा ‘नागपुर से जुड़ाव के कारण मुझे भी आमंत्रित किया गया। बैठक स्थल पर कुछ प्रशिक्षु अधिकारी जय श्री राम का नारा लगा रहे थे। मुझे याद है कि मैंने एक पूरा केसर पेड़ा खाया था। 6 दिसंबर 1992 की बेहद ठंडी रात में, मुझे यह पता था अयोध्या में जो कुछ हुआ, वह बहुत सकारात्मक, बहुत जोरदार और बहुत शुभ चीज की शुरुआत थी।’
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय है। विदर्भ के सबसे बड़े इस शहर का हिंदुत्व से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख स्थान है। आईएएस अधिकारी ने कहा कि उनके जश्न की खबर हालांकि लीक हो गई और बैठक में शामिल होने वालों को नोटिस जारी किया गया। पाटणकर म्हैसकर ने लिखा ‘1992 के बैच को निराशाजनक करार दिया गया था, जिसमें मुख्य रूप से सहज ही उग्र होने वाले छोटे शहरों के युवा थे। लुटियंस के पॉश, स्मार्ट, विशेषाधिकार प्राप्त बच्चों और उनके जैसे लोगों के साथ क्या हुआ था? धर्मनिरपेक्षता के साथ क्या हो रहा है?’
उन्होंने कहा ‘जीवन अपने सभी उतार-चढ़ावों के साथ जारी रहा, लेकिन विश्वास कायम रहा कि 6 दिसंबर 1992 की घटनाएं कुछ जोरदार, कुछ सकारात्मक, कुछ शुभ की शुरुआत थीं।’ इस आईएएस अधिकारी ने पोस्ट को यह कहते हुए समाप्त किया कि ‘और कल, 22 जनवरी 2024 का दिन उदय होगा अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और सभी को उत्सव में शामिल होने में सक्षम बनाने के लिए राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा के साथ। आज, पूर्व संध्या पर, जब मैंने एक और केसर पेड़ा खाया, तो मुझे 6 दिसंबर का वह क्षण और वह बहुत ही सकारात्मक, शुभ शक्तिशाली भावना याद आ गई, जो इससे उत्पन्न हुई थी।’
म्हैसकर ने बताया कि उन्होंने यह पोस्ट लिखने का फैसला क्यों किया। रविवार की सुबह प्रियदर्शनी पार्क में जय श्री राम के नारों के बीच मुझे दिए गए केसर पेड़ से शुरू हुआ। इसने मुझे उस दिन से तुलना करने के लिए प्रेरित किया कि पिछले 32 वर्षों में देश कैसे बदल गया है। लोगों की हमेशा यह भावना थी कि अयोध्या में राम मंदिर होना चाहिए और इसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी मान्य किया। इस भावना का बाबरी विध्वंस से कोई लेना-देना नहीं था, बल्कि केवल राम (लला) के प्रति प्रेम था।