IAS संतोष वर्मा का विवादित बयान: एक सप्ताह बाद भी पुलिस ने नहीं लिया एक्शन, शिकायत दर्ज होने के बाद भी कार्यवाही नहीं

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IAS संतोष वर्मा का विवादित बयान: एक सप्ताह बाद भी पुलिस ने नहीं लिया एक्शन, शिकायत दर्ज होने के बाद भी कार्यवाही नहीं

भोपाल: राजधानी में करीब 11 दिन पहले अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (अजाक्स) के नवनिर्वाचित प्रांताध्यक्ष आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा प्रांतीय अधिवेशन में सवर्णों की बेटियों को लेकर दिए बयान के मामले में भोपाल पुलिस अब तक गंभीरता नहीं दिखा रही है। इतने संवेदनशील मामले में पुलिस ने अब तक आईएएस संतोष वर्मा को नोटिस तक जारी नहीं किया है और न ही इस मामले में शिकायत करने वाले किसी व्यक्ति से बयान दर्ज किए हैं। ऐसे में अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। करीब एक सप्ताह पहले कई सामाजिक और ब्राह्मण संगठनों ने एमपी नगर और टीटी नगर थाने में बयान के विरोध में लिखित शिकायत की थी।

 *लगातार धरना, प्रदर्शन और आंदोलन जारी* 

राजधानी में आईएएस संतोष वर्मा द्वारा दिए गए विवादित बयान पर विवाद पर बीते एक सप्ताह से भोपाल सहित प्रदेश के अनेक जिलों और देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं, आईएएस वर्मा के समर्थन में भी अजाक्स संगठन सहित कुछ सामाजिक संगठनों ने रैलियां निकाल कर ज्ञापन सौंपा था। आईएएस वर्मा के इस कृत्य पर एफआईआर कराने, उन्हें नौकरी से हटाने और उन पर सख्त एक्शन के लिए शहर के अनेक स्थानों पर धरना-प्रदर्शन, पुतला दहन सहित अन्य आंदोलन किए गए।

आठ दिन में जवाब देने के लिए सरकार ने सौंपा नोटिस

आईएएस संतोष वर्मा के बयान के बाद लगातार विवाद होने पर 26 नवंबर को कृषि विभाग के उप सचिव आईएएस वर्मा को सरकार ने नोटिस जारी कर सात दिन के अंदर जवाब देने को कहा है। शासन ने इसे सामाजिक समरसत्ता को ठेस पहुंचाने और अखिल भारतीय सेवा आचारण नियमों का उल्लंघन माना है। समय पर जवाब न मिलने पर एकतरफा कार्रवाई होने की बात कह

यह दिया था आईएएस संतोष वर्मा ने बयान

अजाक्स के प्रांताध्यक्ष संतोष वर्मा सवर्णों की बेटियों पर दिए बयान से विवादों में हैं। उन्होंने आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर कहा था कि यह तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए, जब तक कि मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं कर दे या उससे संबंध नहीं बना दे। इस बयान की कर्मचारी और सामाजिक संगठनों ने निंदा करते हुए कार्रवाई की मांग की। कर्मचारी संगठनों ने इस बयान की निंदा की है, इसे आपत्तिजनक और सवर्ण समुदाय का अपमान बताया है। ब्राह्मण सभा ने भी कार्रवाई की मांग की है।