

IAS Transfer List : MP के 2 कलेक्टर को लापरवाही की सजा तो 3 को सजगता का इनाम!
सुरेश तिवारी की खास प्रशासनिक रिपोर्ट
Bhopal : राज्य शासन ने रविवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा के 9 अधिकारियों की नई पदस्थापना सूची जारी की। जिन अधिकारियों के तबादले और नई पदस्थापना की गई, वे सामान्य नहीं है। सूची का विश्लेषण किया जाए, तो पाएंगे कि कुछ अधिकारियों को उनकी कार्यप्रणाली की सजा दी गई, तो कुछ को इनाम भी दिया।
उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह का हटना पिछले कई दिनों से तय माना जा रहा था। बताया जा रहा कि जब शिप्रा के कार्यों का अवलोकन करने के लिए मुख्यमंत्री गए थे तो उन्होंने नदी में गंदगी देखी थी और मुख्यमंत्री इसे लेकर काफी नाराज हुए थे। यही गंदगी कलेक्टर नीरज सिंह को भारी पड़ गई। तभी तय हो गया था, कि वे अब उज्जैन में नहीं रहेंगे।
इसी प्रकार अशोकनगर के कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी के तबादले की इबारत उसी दिन लिख दी गई थी, जिस दिन मुख्यमंत्री का अशोकनगर दौरा हुआ था। एक कार्यक्रम के दौरान वे मंच से उतरते समय सीढ़ियों से फिसल गए थे। अब इन दोनों अधिकारियों को लूपलाइन में भोपाल में पदस्थ किया गया है। इन दोनों की पदस्थापना को आप देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोई महत्वपूर्ण पद इन्हें नहीं दिए गए। माना जा सकता है कि इन दोनों अधिकारियों को एक तरह से सजा दी गई।
अब जिन अधिकारियों को इनाम दिया गया, उनकी बात करें तो सबसे महत्वपूर्ण दायित्व, मुख्यमंत्री का प्रतिष्ठा प्रसंग है सिंहस्थ 2028 है। नई सूची में इसकी पूरी जवाबदारी इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के कंधे पर आ गई है। इंदौर कलेक्टर के साथ ही वे उन्हें उज्जैन का मेला अधिकारी पद दिया गया है। सीएम यादव ने यह संदेश दिया कि अब यूपी के पैटर्न पर मेले की प्रशासनिक व्यवस्था होगी। यूपी के प्रयागराज महाकुंभ का मेला अधिकारी IAS अधिकारी विजय किरण आनंद को बनाया गया था, जो पूरी व्यवस्था के जिम्मेदार थे। वहां 2014 बैच के IAS अधिकारी कलेक्टर थे लेकिन सारी जवाबदारी और दायित्व मेला अधिकारी के पास थे।
ऐसा लगता है कि जो भूमिका प्रयागराज में विजय किरण आनंद की थी वहीं अब आशीष सिंह को दी गई। आशीष सिंह 2010 बैच के IAS अधिकारी और 2015 बैच के रोशन कुमार सिंह को कलेक्टर उज्जैन बनाया गया हैं।
माना जा सकता है कि अब आशीष सिंह इंदौर और उज्जैन के बीच में ही रहेंगे और सिंहस्थ 2028 की सारी जवाबदारी उनके कंधों पर आ गई। इसका उजला पक्ष यह है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आशीष सिंह के कार्य प्रणाली पर पूरा भरोसा जताया है। सीएम को इस बात का विश्वास है कि आशीष सिंह ही मध्य प्रदेश में वे अधिकारी हैं जो राज्य सरकार के विशेषकर CM के व्यक्तिगत प्रतिष्ठा प्रसंग को बेहतर तरीके से सफलतापूर्वक अंजाम दे सकते हैं।
रोशन कुमार सिंह को कलेक्टर विदिशा से कलेक्टर उज्जैन बनाकर यह संदेश दिया है कि वे मुख्यमंत्री के विश्वसनीय अधिकारियों में अग्रणी है।
दूसरी बार ऐसा हो रहा, जब संचालक जनसंपर्क को कलेक्टर बनाया गया है । पहले रोशन कुमार सिंह को कलेक्टर विदिशा बनाया गया था। रोशन कुमार सिंह को तो कुछ ही महीनों में विदिशा से उज्जैन कलेक्टर बनाया जाना यह बताता है कि वे वाया विदिशा उज्जैन ही आने वाले थे। यह बात केवल मोहन यादव ही जानते थे।
अब अंशुल गुप्ता संचालक जनसंपर्क को कलेक्टर विदिशा बनाया गया है। अंशुल गुप्ता भी उज्जैन में पदस्थ रहे हैं और मुख्यमंत्री के विश्वस्त अधिकारियों में जाने जाते हैं। इसीलिए उन्हें शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले विदिशा में पदस्थ किया गया। इसके पीछे एक प्रशासनिक एंगल यह भी है कि मुख्यमंत्री विदिशा की कमान पर अंकुश लगाना चाहते हैं।