IAS Trapped in Fake Gun License Case : फर्जी गन लाइसेंस मामले में IAS राजीव रंजन के 7 ठिकानों पर CBI रेड!

उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के मामले भी दर्ज!

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IAS Trapped in Fake Gun License Case : फर्जी गन लाइसेंस मामले में IAS राजीव रंजन के 7 ठिकानों पर CBI रेड!

Jammu : वरिष्ठ IAS अधिकारी राजीव रंजन के खिलाफ सीबीआई ने आय के ज्ञात स्रोत से कहीं अधिक की संपत्ति अर्जित करने और भ्रष्टाचार का मामला भी दर्ज कर लिया। उनके खिलाफ फर्जी गन लाइसेंस मामला भी दर्ज है। सीबीआई ने बुधवार को गुरुग्राम, दिल्ली और श्रीनगर के सात ठिकानों की तलाशी ली। श्रीनगर सचिवालय में स्थित उनके कार्यालय की भी जांच की गई है। यह छापेमारी फर्जी गन लाइसेंस मामले में भूमिका निभाने को लेकर की गई।

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने राजीव रंजन के खिलाफ चार दिन पहले 17 फरवरी को भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज की है। इसके अलावा उनके खिलाफ जम्मू कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत भी एक मामला चल रहा है। यह दोनों मामले फर्जी गन लाइसेंस मामले में उनकी भूमिका के उजागर होने के बाद दर्ज किए गए। वे 2020 में भी गिरफ्तार किए गए थे फिर उन्हें फरवरी 2021 में बहाल कर दिया गया था।

फिलहाल वे जम्मू कश्मीर के श्रम एवं रोजगार विभाग में सचिव के पद पर पदस्थ हैं।सीबीआई ने उन्हें जब फर्जी गन लाइसेंस मामले की जांच के सिलसिले में मार्च 2020 को गिरफ्तार किया था। उस समय वे मेट्रोपॉलिटन रेग्युलेटरी अथॉरिटी के सीईओ और जम्मू विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पद पर थे। उनकी गिरफ्तारी का संज्ञान लेते हुए प्रदेश प्रशासन ने उन्हें निलंबित किया था। अदालत में जमानत मिलने के बाद फरवरी 2021 में उन्हें पुन:बहाल किया गया। केंद्र सरकार ने नवंबर 2024 में राजीव रंजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी।

आय से अधिक संपत्ति पर ब्योरा नहीं दे सके

अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2010 बैच के आईएएस राजीव रंजन ने अपनी आय के ज्ञात स्रोत से कहीं अधिक की संपत्ति अर्जित की है। वे अपनी संपत्ति के स्रोतों का कोई संतोषजनक ब्योरा नहीं दे पाए। समझा जा रहा है कि फर्जी गन लाइसेंस जारी करने के एवज में उन्होंने बड़े पैमाने पर पैसा कमाया। श्रीनगर स्थित उनके सचिवालय से सीबीआई के अधिकारियों ने उनके लेन-देन और गन लाइसेंस मामले से संबंधित कुछ दस्तावेज अपने कब्जे में लिए। इसका आकलन किया जा रहा है।

बिचौलियों के साथ मिलीभगत से लाइसेंस जारी किए

वर्ष 2012-16 के दौरान जम्मू कश्मीर के विभिन्न जिलों में लगभग पौने 3 लाख लोगों को बंदूकों के लाइसेंस जारी किए गए। इनमें से अधिकांश लाइसेंस जम्मू कश्मीर के बाहर अन्य राज्यों के उन नागरिकों के नाम पर थे, जो सेना, सीआरपीएफ या फिर किसी अन्य सुरक्षा एजेंसी में कार्यरत थे। लेकिन, उन्होंने कभी जम्मू कश्मीर में ड्यूटी नहीं दी। इस मामले का खुलासा सबसे पहले राजस्थान एटीएस ने किया और शुरुआत में ही वर्ष 2010 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव रंजन का नाम सामने आया था।

सीबीआई ने वर्ष 2018 में इस मामले की जांच संभाली और जांच में पाया कि जम्मू कश्मीर मे तैनात 9 आईएएस अधिकारियों के अलावा कुछ जेकेएएस अधिकारियों ने बंदूक विक्रेताओं और बिचौलियों के साथ मिलीभगत और नियमों की अवहेलना कर लाइसेंस जारी किए। इस पूरे मामले में में बड़े पैमाने पर पैसों का लेनदेन हुआ था। सीबीआई ने इस मामले में आरोपी बनाए गए 9 आईएएस अधिकारियों में सिर्फ एक ही अधिकारी राजीव रंजन के खिलाफ केंद्र सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति दी। अन्य के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई की अनुमति विचाराधीन है।