ICC Women’s World Cup 2025: इतिहास रचा, फिर भी उठे सवाल, Harmanpreet के एक कदम ने छेड़ दी बड़ी बहस

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ICC Women’s World Cup 2025: इतिहास रचा, फिर भी उठे सवाल, Harmanpreet के एक कदम ने छेड़ दी बड़ी बहस

Navi Mumbai: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रचते हुए पहली बार वर्ल्ड कप 2025 का खिताब अपने नाम किया। नवी मुंबई के DY Patil Stadium में दक्षिण अफ्रीका को हराकर भारत ने सुनहरी जीत दर्ज की। लेकिन इसी ऐतिहासिक क्षण के बीच कप्तान हरमनप्रीत कौर का एक छोटा-सा इशारा चर्चा का विषय बन गया।

ट्रॉफी लेते वक्त ICC Chairman Jay Shah के पैर छूने की कोशिश का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसने लोगों को दो राय में बांट दिया- कुछ इसे भारतीय संस्कृति का सम्मान बता रहे हैं, तो कुछ ने इसे अनुचित बताया है।

 

महिला क्रिकेट के 52 साल के इतिहास में भारत ने पहली बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम की। टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 7 विकेट पर 298 रन बनाए। शेफाली वर्मा ने 87 रनों की तूफानी पारी खेली, जबकि दीप्ति शर्मा ने 58 रनों का महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 45.3 ओवर में 246 रन पर सिमट गई। भारत की ओर से दीप्ति शर्मा ने 5 और शेफाली ने 3 विकेट झटके। शेफाली वर्मा को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ और दीप्ति शर्मा को ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ का पुरस्कार मिला।

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जीत के बाद जब कप्तान हरमनप्रीत कौर ट्रॉफी लेने मंच पर पहुंचीं, तो उन्होंने जय शाह के पैर छूने का प्रयास किया। शाह ने उन्हें रोकते हुए ट्रॉफी सौंप दी, लेकिन यह क्षण कैमरे में कैद हो गया और कुछ ही देर में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

इसके बाद यूजर्स के बीच बहस छिड़ गई। एक पक्ष का कहना है कि “खेल के मंच पर इस तरह की परंपरा दिखाना उचित नहीं”, वहीं दूसरा पक्ष इसे “भारतीय संस्कृति और शालीनता की मिसाल” मान रहा है। एक यूजर ने लिखा, “हरमनप्रीत ने देश की परंपरा का सम्मान किया, इसमें गलत क्या है?” जबकि कुछ ने टिप्पणी की, “खेल का मंच समानता का होता है, यहां झुकना नहीं चाहिए।”

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गौरतलब है कि भारत इससे पहले 2005 और 2017 में वर्ल्ड कप फाइनल तक पहुंचा था, लेकिन दोनों बार हार झेलनी पड़ी। इस बार हरमनप्रीत की कप्तानी में टीम ने न केवल खिताब जीता बल्कि महिला क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया।

हरमनप्रीत कौर और उनकी टीम की यह ऐतिहासिक जीत भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम पलों में दर्ज हो चुकी है। मगर ट्रॉफी से जुड़ा यह क्षण मैदान के बाहर एक नई बहस का केंद्र बन गया है।

चाहे इसे संस्कार कहा जाए या विवाद, इतना तय है कि इस जीत ने भारत के महिला क्रिकेट को नई ऊंचाई और नई पहचान दी है।