
बजट से कम राशि का ठेका मंजूर तो शेष राशि से नये काम नहीं करा सकेंगे सरकारी विभाग
भोपाल: प्रदेश के सरकारी महकमों खासकर निर्माण विभागों में पूंजीगत कार्यो में यदि प्रशासकीय स्वीकृति की राशि से कम राशि की निविदा स्वीकृत होती है और विभाग तथा क्रियान्वयन एजेंसी को राशि की बचत होती है तो शेष राशि से विभाग नये अतिरिक्त कार्य नहीं करा सकेंगे।
वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव मनीष रस्तोगी ने इस संबंध में सभी प्रमुख विभागों के अपर मुख्य सचिव, PS और सचिवों को निर्देश जारी किए है। इसमें कहा गया है कि पूंजीगत व्यय संबंधी समस्त कार्यो की स्वीकृति सक्षम वित्तीय समिति से प्राप्त की जाए और उसके मुताबिक ही प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जाए।
वित्त विभाग को कई विभागों के प्रकरणों में यह संज्ञान में आया है कि पूंजीगत कार्यो की प्रशासकीय स्वीकृति की राशि से कम राशि की निविदा स्वीकृत हुई है जिससे विभाग और क्रियान्वयन एजेंसी के पास राशि की बचत हुई है। ऐसी स्थिति में निविदा स्वीकृति राशि के आधार पर ही निर्माण कार्य करने के निर्देश वित्त विभाग ने दिए है। प्रशासकीय स्वीकृति के विरुद्ध निविदा राशि कम होने पर शेष राशि को बचत मानकर अन्य अतिरिक्त कार्य नहीं कराए जा सकेंगे।
उदाहरण के लिए किसी विभाग द्वारा पूंजीगत कार्य हेतु पचास करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई एवं इस कार्य के लिए निर्माण एजेंसी भी नियत की गई है। इस पूंजीगत कार्य की निविदा में निर्माण एजेंसी द्वारा केवल पैतालिस करोड़ रुपए का निविदा अनुबंध किया गया है तो ऐसी स्थिति में पैतालिस करोड़ के लागत के कार्य कराये जाना चाहिए। शेष प्रशासकीय स्वीकृति से निविदा राशि कम प्राप्त होने पर इस मामले में पांच करोड़ रुपए से संबंधित विभाग या निर्माण एजेंसी नवीन कार्य कराने में सक्षम नही है इसलिए विभाग, निर्माण एजेंसी को बचत राशि राज्य की संचित निधि में वापस जमा करना होगा।
*बजट से एकमुश्त राशि निकासी पर भी रोक-*
ऐसे विभाग जहां कार्य निर्माण एजेंसी पीआईयू हाउसिंग बोर्ड, भवन विकास निगम, मार्कफेड, लघु उद्योग निगम या पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के माध्यम से काम कराए जाते है तो निर्माण कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति की राशि को प्रथम किश्त के रुप में 66 प्रतिशत एवं इस प्रदत्त राशि के 75 प्रतिशत उपयोग होने पर शेष 34 प्रतिशत द्वितीय किश्त के रुप में बजट आवंटन के अधीन निर्माण एजेंसी को उपलब्ध कराया जाए। बजट राशि को एकमुश्त निकालकर जारी नहीं किया जाए क्योंकि काम लंबी अवधि में होने है इसलिए राशि का भुगतान भी किश्तों में ही किया जाए।
अपर मुख्य सचिव वित्त ने कहा है कि यदि इन निर्देशो के अनुसार कार्यवाही नहीं की जाती है तो इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता मानते हुए सिविल सेवा आचरण नियमों के तहत उत्तरदायित्व का निर्धारण कर शासकीय सेवक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।





