

कॉलेज से गायब हुए प्रोफेसर तो नहीं मिलेगा वेतन,अवकाश में होगा समायोजन
भोपाल: बिना बताए कॉलेज से गायब रहना सरकारी और अनुदान प्राप्त निजी कॉलेजों के प्रोफेसरों और गैर शैक्षणिक स्टाफ को अब भारी पड़ेगा। सार्थक एप पर उपस्थिति दर्ज न होंने की स्थिति में उन्हें अवकाश पर माना जाएगा और उनके तय अवकाश में इसका समायोजन होगा, पात्रता से अधिक अवकाश होंने पर वेतन भी कटेगा। लीव मैनेजमेंट सिस्टम में इसे दर्ज किया जाएगा।
प्रदेश के सरकारी और अनुदान प्राप्त निजी कॉलेजों में मोटी तनख्वाह पर पढ़ाने वाले प्रोफेसर अक्सर कॉलेजों से गायब रहते है या एक-दो पीरियड लेकर गायब हो जाते है। लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने अब इस पर कड़ाई कर दी है।
संचालक वित्त उच्च शिक्षा जितेन्द्र सिंह ने नये निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा है। हर माह कॉलेजों से जुड़े स्टाफ का जो वेतन तैयार होगा उसमें दो बिन्दुओं को आधार बनाया जाएगा।उनकी सार्थक एप पर दर्ज की गई उपस्थिति दर्ज होना अनिवार्य होगा साथ ही उन्हें कर दिन छह घंटे काम करना होगा। इसके आधार पर ही उनका मासिक वेतन तय किया जाएगा।
कॉलेज के प्राचार्य शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ की अनुपस्थिति को उनके अवकाश की पात्रता के अनुसार समायोजित कर सकेंगे। इसे ईएचआरएमएस के लीव मैनेजमेंट सिस्टम में भी दर्शाया जाएगा।
उच्च शिक्षा विभाग लीव मैनेजमेंट सिस्टम का मॉडयूल विकसित कर रहा है। क्रियान्वयन के बाद इसमें अवकाश को दर्ज करना आवश्यक होगा और वेतन पत्रक तैयार करते समय इसका ध्यान रखा जाएगा।
मई का वेतन नये मॉडयूल से-अप्रैल माह में कॉलेजों में काम करने वाले सभी स्टॉफ के वेतन की गणना कर मई माह में जो वेतन उन्हें दिया जाएगा इसमें यह मॉडयूल लागू होगा। इसके दायरे में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, लाइब्रेरियन, क्रीड़ा अधिकारी, अतिथि संकाय, जनभागीदारी और गैर शैक्षणिक वर्ग के स्टाफ का वेतन इसी आधार पर लिया जाएगा। पालन न होंने पर संबंधित प्राचार्य और डीडीओ की जिम्मेदारी तय की जाएगी।