

प्रशासन चाहे तो AB रोड से 2 बैलगाड़ियों का जोखिम हटाए, 2 बूढ़े बैलों पर पाश्विक अत्याचार बंद हो
दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट
महू से इंदौर के बीच AB रोड पर ट्रांसपोर्ट का एक जरिया बेलगाड़ियां भी रहीं हैं। एक समय में 30 से 40 बेलगाड़ियां इंदौर से महू व्यापारियों के लिए ट्रांसपोर्ट का अहम अंग हुआ करती थी। उस समय महू और इंदौर के बीच में यातायात बेहद कम था। राऊ, राजेंद्र नगर, किशनगंज, पिगडंबर, उमरिया, हरनिया खेड़ी आदि स्थानों पर आबादी का विस्तार नहीं हुआ था। ना ही निजी स्कूल बहुसंख्या में थे।
आज जबकि अब रोड अत्यंत ही व्यस्त आवागमन से लबरेज है वहीं, महू और इंदौर के बीच 21 किलोमीटर के एरिया में आवासीय बसावट सैकड़ों की संख्या में कई स्थानों पर हो चुकी है। राऊ विधानसभा हो गई, उसका बाजार और रहवासी इलाका फल-फूल गया है। किशनगंज से लेकर उमरिया तक भारी आवासीय बसावट हो चुकी है। उमरिया से राजेंद्र नगर के बीच के क्षेत्र में नए नए स्कूल खुल गए हैं। ऐसे में बैलगाड़ी ट्रांसपोर्ट अभी भी कायम है और अब मात्र दो बैलगाड़ियां ही इस रूट पर चल रही हैं।
रोड पर यातायात की भरमार और पाश्विक अत्याचार
मात्र दो बेल गाड़ियां से, दो प्रकार की समस्याएं पैदा हो रही हैं। एक तो एबी रोड पर भारी आवागमन, निजी बसों की अंधाधुंध स्पीड, दुपहिया वाहनों की भरमार के बीच रेंगती बैलगाड़ियां जोखिम पैदा करती हैं। जाम की नौबत भी लाती हैं। दूसरा, बैलगाड़ियों पर अत्याधिक भार लादा जाता है जिनसे 21 किलोमीटर तक दो बूढ़े बेलों की अत्यंत दयनीय दशा पाश्विक अत्याचार का प्रमाण देती है।
इस तरह केवल दो परिवारों की खातिर अनेकों प्रकार की समस्या और जोखिम को जन्म मिलता है।
प्रशासन रोड सेफ्टी के नजरिए से या तो दो बैलगाड़ियों के महू और इंदौर के बीच आवागमन बंद करवाए और उनके परिवारों को कोई रोजगार उपलब्ध कराए। या फिर इनका दोनों समय का आना जाना रात 11 से सुबह 6 बजे तक तय करवाए। अलसुबह इंदौर और देर रात महू आना जाना हो सके। पशु राहत के लिए इनके भार को कम करने की जिम्मेदारी भी क्षेत्रीय पुलिस थानों को दी जानी चाहिए।