पुरातत्व और इतिहास बचायेंगे तो संस्कृति संरक्षित रहेगी – शिक्षाविद श्री व्यास

जनपरिषद ने पद्मश्री डॉ वाकणकर जन्मजयंती पर संगोष्ठी आयोजित की

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पुरातत्व और इतिहास बचायेंगे तो संस्कृति संरक्षित रहेगी – शिक्षाविद श्री व्यास

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । आज भीमबेटका शैलचित्रों की पहचान विश्व में है और यूनेस्को से मान्यता प्राप्त है इसके मूल में मालव अंचल के इतिहास और पुरावेत्ता डॉ वाकणकर का योगदान है ।

आज हम इतिहास और पुरातात्विक धरोहरों को बचायेंगे तभी भारतीय संस्कृति संरक्षित रहेगी यह कहा नरसिंहगढ़ के साहित्यकार एवं पूर्व संचालक लोक शिक्षण श्री सत्यप्रकाश व्यास ने ।

आप रविवार को प्रमुख सामाजिक संस्था जनपरिषद मंदसौर चैप्टर द्वारा आयोजित पद्मश्री डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर जन्मजयंती संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे ।

हेमू कालानी चौराहे स्थित पांडेय सभागार में सम्पन्न संगोष्ठी की अध्यक्षता शिक्षाविद एवं इतिहासकार

श्री गिरिजाशंकर रुनवाल ने की ।

श्री रुनवाल ने डीकेन जावद मंदसौर अफजलपुर भानपुरा आदि क्षेत्रों में पुरातत्व और ऐतिहासिक स्थलों पर कार्यों की जानकारी दी ।

दशपुर प्राच्य शोध संस्थान निदेशक एवं राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक श्री कैलाशचंद्र पांडेय ने कहा कि अविभाजित मंदसौर – नीमच जिले में पुरातात्विक महत्व के अनेक स्थान हैं । 1975 में पद्मश्री डॉ वाकणकर के साथ अंचल में उत्खनन करते हुए अनेक दुर्लभ और प्राचीन प्रतिमाओं को संग्रहित किया और जिला पुरातत्व संग्रहालय को समर्पित की है

इन्हें बचाना और ज्ञान के साथ नई युवा पीढ़ी को अवगत कराना महत्वपूर्ण है ।

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श्री पांडेय ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार को पुरातात्विक महत्व के स्थानों को संरक्षित करते हुए जनसाधारण व स्कूली बच्चों को जानकारी के साथ अवलोकन कराना चाहिए तभी इनकी उपादेयता होगी इस दिशा में सरकारें गंभीर नहीं है ।

सैंकड़ों स्थानों पर केयर टेकर और गाइड ही नहीं हैं ।

भारतीय शिक्षण मंडल जिला प्रमुख श्री श्याम सुंदर देशमुख एवं

शिक्षाविद श्री रमेशचंद्र चंद्रे ने पुरजोर शब्दों में कहा कि पुरातत्व को संग्रहित करें और प्राथमिक व माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को अवगत कराएं इसे पाठ्यक्रम से जोड़ें

आपने कहा कि मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के माध्यम से पहल करेंगे ।

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अभिभाषक संघ पूर्व सचिव श्री अजय सिखवाल ने कहा कि जिले और प्रदेश में पुरातात्विक महत्व की असीम संपदा है इसके प्रति जिलों में गठित समितियां निर्जीव हैं इसके दुष्परिणाम भोगने पड़ रहे हैं । प्राचीन दुर्लभ सामग्रियों , प्रतिमाओं पर तस्करों की नजरें हैं और कई चोरी होगई है ।

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हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रांतीय प्रतिनिधि श्री ब्रजेश जोशी दशपुर जागृति संगठन अध्यक्ष डॉ देवेंद्र पुराणिक , नटनागर शोध संस्थान सीतामऊ प्रतिनिधि डॉ सहदेव सिंह चौहान , अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिलाध्यक्ष श्री नरेंद्र भावसार , वाल्मीकि समाज राष्ट्रीय मंत्री श्री राजाराम तंवर , स्पिक मैके समन्वयक श्री अजय डांगी , पेंशनर महासंघ सचिव श्री नंदकिशोर राठौर ,

डॉ दिनेश तिवारी , श्री सत्येंद्र सिंह सोम आदि ने संगोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए सहभागिता की ।

वक्ताओं ने पद्मश्री डॉ वाकणकर के व्यक्तित्व और कृतित्व को श्रद्धा और आदर से स्मरण करते हुए अतुलनीय योगदान की सराहना की ।

इसके पूर्व अतिथियों ने पद्मश्री डॉ वाकणकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की ।

जनपरिषद प्रांतीय सह सचिव वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल , श्री ब्रजेश जोशी , डॉ देवेंद्र पुराणिक , श्री कैलाश चंद्र पांडेय , श्री नरेन्द्र भावसार श्री नंदकिशोर राठौर आदि ने अतिथियों श्री व्यास एवं श्री रुनवाल का स्वागत सम्मान किया । पुष्प मालाओं के साथ शॉल ओढ़ाई ।

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संगोष्ठी में विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ गोपाल बैरागी ,राजेंद्र सिंह चौहान , अमरसिंह कुशवाहा , अजय तिवारी , महेश शर्मा , अरविंद जोशी , प्रदीप शर्मा शम्भूसेन राठौर , मनीष रुनवाल , मंगल राठौड़ , हिमांशु पांडे , सिद्धार्थ तंवर आदि उपस्थित थे ।

संगोष्ठी संचालन जन परिषद के डॉ घनश्याम बटवाल ने किया ।आभार माना शिक्षाविद अजिजुल्लाह ख़ालिद ने ।