Illegal Colonies Legalized : अवैध कॉलोनियां को वैध करने की घोषणा कहीं चुनावी हथकंडा तो नहीं! 

20 साल में 8 बार ऐसी घोषणा हुई, पर उलझन में फंसी, समय सीमा तय क्यों नहीं! 

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Illegal Colonies Legalized : अवैध कॉलोनियां को वैध करने की घोषणा कहीं चुनावी हथकंडा तो नहीं! 

Indore : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की अवैध कॉलोनियां वैध करने की घोषणा की। उन्होंने मंदसौर में ‘गौरव दिवस’ के अवसर पर कहा कि प्रदेश के सभी 413 शहरों में जितनी भी पुरानी अवैध कॉलोनियां हैं, उन्हें नाममात्र का शुल्क चुकाकर वैध कराया जा सकेगा। प्रक्रिया को सरलीकरण करते हुए नाममात्र की राशि पर सभी 413 शहरों की पुरानी अवैध कॉलोनियों को वैध करने का फैसला किया जा रहा है। अवैध कॉलोनियों को वैध करने की यह प्रक्रिया 20 साल में यह 8वीं बार फिर शुरू की गई।

ये पहली बार नहीं है, जब अवैध कॉलोनियों को वैध करने की बात कही गई। इसी साल 17 मई को मुख्यमंत्री ने कहा था कि प्रदेश में सभी अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। अब नई अवैध कॉलोनी नहीं बनने दी जाएगी, लेकिन अब तक जो बन चुकी हैं, उन्हें सरकार बिजली का वैध कनेक्शन देगी। मुख्यमंत्री ने भोपाल में ‘मिशन नगरोदय’ कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा की थी। लेकिन, कभी भी इसके लिए समय सीमा निर्धारित नहीं की गई। यही कारण है कि अवैध कॉलोनियों में रहने वाले सरकार के झांसे में आ जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर शहरों के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच मंत्र भी बताए और कहा था कि उनकी सरकार प्रधानमंत्री के मंत्र के अनुसार ही नगरों को बेहतर बना रही है। शहरों को ऐसे विकसित किया जा रहा है, जिससे गरीब को भी आगे बढ़ने का मौका मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने 21,000 एकड़ जमीन गुंडे-माफियाओं से छुड़ाई है। प्रदेश में ‘बुलडोजर अभियान’ अभी भी चल रहा है। इसमें से जो भी जमीन आवास के लायक होगी, उन्हें गरीबों को घर के लिए आवंटित कर दिया जाएगा।

अवैध कॉलोनियों के बारे में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि सरकार अवैध कॉलोनियों के मामले में सख्ती दिखाने जा रही है। प्रदेश में 7000 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों की सूची तैयार है। इन कॉलोनाइजरों के खिलाफ एफआईआर की तैयारी है। इसके लिए सभी जिलों में फाइनल सर्वे कर सीधे एफआईआर कराने के लिए मौखिक आदेश दे दिए गए हैं। उज्जैन, रतलाम और गुना में तो कुल 300 से ज्यादा अवैध कॉलोनाइजरों की सूची पुलिस को भेज एफआईआर के लिए कहा गया है।

 

2002 से चल रही यही कवायद

अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कवायद 2002 से चल रही है। 2013 में चुनाव से पहले 2012 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वैध करने की घोषणा की थी। चुनाव के बाद मामला ठंडा पड़ गया। इसके बाद 2018 में चुनाव आए, तब कहा गया कि 2017 तक की कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। 2019 में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सरकार के फैसले को पलटते हुए धारा 15-ए को शून्य कर दिया। इस कारण फिर से प्रक्रिया रुक गई। 2021 में सरकार ने कॉलोनियों को वैध करने का नया अध्यादेश बनाया है। इसे फरवरी 2022 में लागू किया गया। इसके बाद नगर निगम चुनाव आ गए, जिसके चलते प्रक्रिया रुक गई। अब एक बार फिर से प्रक्रिया शुरू हुई है। इसमें देखने वाली बात यह है कि यह पूरी हो पाती है कि नहीं।

 

15 लाख वोट का सवाल

यह सारा मामला इन कॉलोनियों में रह रहे 7 लाख से ज्यादा परिवारों से जुड़ा है। इतने परिवारों का मतलब है 15 लाख से ज्यादा वोट। ये सभी लोग सबसे ज्यादा इन कॉलोनाइजरों के सताए हैं। पिछली बार यानी 2018 में जब इन कॉलोनियों को वैध करने की तैयारी थी, तब भी लोग नाराज थे कि अफसरों ने अवैध कॉलोनाइजरों को सीधे बचा लिया है।

इस बार सरकार विधानसभा चुनाव से पहले इन कॉलोनियों को फिर वैध करने की कोशिश में है, ताकि चुनावी फायदा मिल सके। लेकिन, इससे पहले सभी कॉलोनाइजरों पर केस दर्ज किए जा रहे हैं, ताकि लोगों का गुस्सा भी शांत रह सके। गुना और रतलाम में जब पुलिस तक मामले पहुंचने लगे तो जांच-पड़ताल शुरू की। तब सामने आया कि पूरे प्रदेश में व्यापक रूप से सर्वे के लिए कहा गया है।

 

6500 अवैध कॉलोनियां चिन्हित

प्रदेश में साल 2015 तक 6500 अवैध कॉलोनियां चिन्हित की गई थी, इन्हें वैध करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी और 5500 अवैध कॉलोनियों को वैध कर दिया था लेकिन कुछ लोग हाईकोर्ट चले गए थे। इसके बाद 2020 में प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार बन गई। इसके बाद सुझावों के आधार पर नगरीय निकाय अधिनियम में संशोधन कर अनधिकृत कॉलोनियों को नियमितीकरण का प्रावधान शामिल किया। अवैध कॉलोनियों के निर्माण को रोकने के लिए अवैध कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजर के खिलाफ एफआईआर करने का प्रावधान इसी का हिस्सा है। फिर सभी जिले में अवैध कॉलोनियों का सर्वे हुआ और प्रदेश में अवैध कॉलोनियों की संख्या 7000 तक पहुंच गई।

 

जो वैध की गई वो भी अवैध हो गई

इंदौर सहित प्रदेशभर की हजारों अवैध कॉलोनियों को वैध किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए नियमों का सरलीकरण भी किया गया। नजूल एनओसी को लेकर भी शासन ने स्पष्ट आदेश जारी कर दिए। मगर इंदौर नगर निगम के कॉलोनी सेल को वैध की जा सकने वाली 207 अवैध कॉलोनियों को नजूल एनओसी का अभी भी इंतजार है। निगम ने अपने स्तर पर ले-आउट तैयार करने के साथ-साथ प्राधिकरण, टीएनसीपी की एनओसी भी हासिल कर ली है। इनमें 196 तो वे कॉलोनियां शामिल हैं जिन्हें कुछ साल पहले भी वैध कर दिया था। मगर फिर मप्र हाईकोर्ट के आदेश के चलते ये फिर से अवैध घोषित हो गई।

उसके बाद शासन ने नियमों में संशोधन किए और हाईकोर्ट द्वारा जिन बिंदुओं पर कॉलोनियों के नियमितिकरण की प्रक्रिया को अवैध ठहराया था उसे ठीक भी किया गया। नतीजतन इंदौर निगम ने फिर प्रक्रिया शुरू की और 196 पुरानी के साथ-साथ 11 अन्य अवैध कॉलोनियों के प्रकरण भी मिले हैं। मगर इंदौर की इन 207 कॉलोनियों के लिए अभी नजूल एनओसी का इंतजार चल रहा है।

 

20 साल में 8वीं बार प्रक्रिया फिर शुरू

नगर निगम ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया 20 साल में यह 8वीं बार फिर शुरू की है। चुनाव के पहले निगम ने 194 अवैध कॉलोनियों की सूची प्रकाशित की थी। दावे-आपत्ति भी बुलाए थे। चुनाव के कारण तब प्रक्रिया टल गई थी। अब नजूल व आईडीए की एनओसी मिलने के बाद निगम अधिकारियों ने इन्हें वैध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इंदौर नगर निगम कमिश्नर ने कॉलोनी सेल के अफसरों को निर्देश दिए हैं कि जिन कॉलोनियों को वैध किया जाएगा, उन्हें निगम की वेबसाइट पर अपलोड करें। कॉलोनी सेल ने शहर के साथ निगम सीमा में आए 29 गांवों की अवैध कॉलोनियों का सर्वे करवा लिया है। 85 वार्डों में 950 कॉलोनियां अवैध निकली। टीएंडसीपी, आईडीए, नजूल और सीलिंग की अनापत्ति के बाद 596 कॉलोनियों को वैध किया जा सकता है। हालांकि अभी 194 की ही सूची प्रकाशित की गई है।