
Illegal Colony on Government Land : पट्टे की 150 करोड़ की 75 बीघा सरकारी जमीन पर अवैध कॉलोनी बस रही!
Indore : ग्राम रंगवासा की शासकीय भूमि पर पिछले एक साल से भू-माफियाओं द्वारा अवैध कॉलोनी बसाई जा रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह भूमि संभाग आयुक्त दीपक सिंह के आदेश से पिछले साल ही शासकीय घोषित की जा चुकी है। इसके बावजूद इस पर खुलेआम कब्जा, प्लॉटिंग और बिक्री की जा रही है। गंभीर बात यह है कि एसडीएम, तहसीलदार से लेकर राजस्व विभाग तक के किसी अधिकारी ने अभी तक इस कॉलोनी को अवैध घोषित नहीं किया और न कोई कार्रवाई की। जबकि, जिलेभर में अवैध कॉलोनियों के खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है।

जानकारी के मुताबिक, यह भूमि सर्वे नंबर 1/2/7, 4/12, 4/16, 4/31, 4/35, 4/49 सहित अन्य सर्वे नंबरों में दर्ज है। यह वर्ष 1925 से लेकर 1979 तक शासकीय भूमि के रूप में रिकार्ड में रही। वर्ष 1974-75 के दौरान कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से खसरा कॉलम नंबर 12 में फर्जी कब्जा दर्ज कर ‘श्री गणेश सामूहिक कृषि संस्था’ के नाम पर जमीन दर्ज कर दी गई।
वर्ष 2003 में एक और गंभीर अनियमितता हुई, जब तत्कालीन तहसीलदार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उक्त भूमि का फर्जी बंटवारा कर उसे व्यक्तिगत खातों में दर्ज करवा दिया था। यह बंटवारा अब तक निरस्त नहीं हुआ। जबकि, संभाग आयुक्त ने अपने आदेश में इसका भी उल्लेख किया है। इस आधार पर भू-माफियाओं ने करीब 150 करोड़ रुपए की भूमि को अवैध रूप से बेच दिया। बताया जा रहा है कि भूमाफिया ने डायरी पर प्लॉट काटकर बेच दिए। मौके पर बाउंड्रीवाल, कच्ची सड़कें और प्लॉटिंग एक साल पहले से ही शुरू हो चुकी थी।

संभाग आयुक्त ने इसे शासकीय भूमि घोषित किया
संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने 7 अक्टूबर 2024 को ही रंगवासा की इस बेशकीमती शासकीय भूमि को शासन हित में वापस लिए जाने के आदेश दिए थे। उन्होंने भूमि को वापस लिए जाने के संबंध में भू-राजस्व संहिता की धारा 181 एवं 182 के तहत जांच कर आवश्यक कार्यवाही करने के भी आदेश दिए थे। बताया गया कि यह जमीन ‘श्री गणेश सामूहिक कृषि सहकारी भूमिहीन संस्था मर्यादित रंगवासा’ के 18 सदस्यों को बंटवारा कर नामांतरित कर दी गई थी।
संभाग आयुक्त ने अपीलार्थियों की अपील सारहीन एवं आधारहीन होने से निरस्त कर दी। उन्होंने कलेक्टर न्यायालय द्वारा 4 दिसंबर 2023 को पारित आदेश को स्थिर रखा। उन्होंने प्रश्नाधीन रंगवासा की खसरा क्रमांक-1 एवं खसरा क्रमांक-4 की कुल 19.470 हेक्टेयर भूमि को शासन हित में वापस लिए जाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने माना है कि वर्ष 2003-2004 में श्री गणेश सामूहिक कृषि सहकारी भूमिहीन संस्था मर्यादित रंगवासा के नाम से खसरा क्रमांक 1 क्षेत्रफल 4.047 हेक्टेयर एवं खसरा क्रमांक 4 क्षेत्रफल 15.423 हेक्टेयर, कुल क्षेत्रफल 19.470 हेक्टेयर थी।
यह भू-राजस्व संहिता की धारा 165 (7 ख) एवं रजिस्ट्रीकरण एक्ट के उपबंधों के उल्लंघन में संस्था के 18 सदस्यों के नाम से बंटवारा (बटांक, नक्शा सहित) स्वीकृत नामांतरित कर गंभीर त्रुटि की है। संस्था पंजीकृत रही थी, ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। संस्था किस उद्देश्य से पंजीकृत हुई थी, यह भी स्पष्ट नहीं था। संस्था के बायलॉज भी प्रस्तुत नहीं किए गए थे।
ईओडब्ल्यू को भी शिकायत
इस संबंध में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) व कलेक्टर को एडवोकेट जितेंद्र पटेल ने एक साल पहले व अभी एक बार फिर शिकायत की गई। शिकायत में बताया गया कि उक्त सरकारी पट्टे की भूमि पर अवैध कॉलोनी काटकर शासन को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया। लेकिन, अभी तक इस मामले में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई। शिकायतकर्ता ने नामांतरण प्रकरण क्रमांक 3093/अ-6/2024-25 और 3094/अ-6/2024-25 पर आपत्तियां दर्ज की और मांग की है कि इस भूमि को पुनः शासकीय घोषित किया जाए,फर्जी बंटवारा निरस्त हो और दोषियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाए।
टीएनसीपी ने भी विकास अनुमति निरस्त की
जानकारी के अनुसार टीएनसीपी विभाग ने इस अवैध कॉलोनी की विकास अनुमति पहले ही निरस्त कर दी है। इसके बावजूद अवैध कॉलोनी के प्लॉट बेचने की गतिविधि बंद नहीं हुई। रंगवासा की लगभग 75 बीघा शासकीय भूमि पर बस रहीं इस कॉलोनी पर कोई कार्रवाई न होना आश्चर्यजनक है। इस भूमि पर कब्जा करने वाला भू-माफिया लगातार शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगाकर अधिकारियों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है। उसकी यहां भी फिर अवैध कॉलोनी बसाने की योजना है।





