Illegal Timber Vehicles Abandoned : सीसीएफ की व्यवस्था से कार्रवाई ठप, माफियाओं की गाड़ियां नियम विरुद्ध छोड़ी जा रही!

वाहन जब्त करने या छोड़ने के अधिकार सीसीएफ के पास होने से लकड़ी माफिया ताकतवर!

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Illegal Timber Vehicles Abandoned : सीसीएफ की व्यवस्था से कार्रवाई ठप, माफियाओं की गाड़ियां नियम विरुद्ध छोड़ी जा रही!

Indore : वन अपराधों के खिलाफ सख्ती के दावे करने वाला वन वृत्त आजकल अपने ही शीर्ष अधिकारियों की नीतियों के जाल में फंसकर सुस्त पड़ गया। सीसीएफ पीएन मिश्रा की नई व्यवस्था ने फील्ड अफसरों के हाथ बांध दिए। वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक अब लकड़ी जब्ती की कार्रवाई में वाहन को राजसात करने का अंतिम अधिकार सीसीएफ के पास है।

ऐसी स्थिति में सीसीएफ चाहे तो अवैध लकड़ी से भरा वाहन राजसात होगा अन्यथा नही! फिर चाहे वह मामला फर्जी टीपी मामले का ही क्यों न हो। वाहन छोड़ने के सीडीएफ के फैसले से लकड़ी माफिया खुश है। सीसीएफ की इस कथित मनमर्जी की कार्रवाई से लकड़ी माफिया पर तत्काल होने वाली कार्रवाई फाइलों में मंजूरी के अभाव में अटकी रह जाती है।

अंदर से मिली जानकारियां बताती है कि इंदौर के बहुचर्चित फर्जी टीपीकांड में कुख्यात माफिया की आरा मशीन सील नहीं की गई और न आईपीसी 420 के तहत प्रकरण दर्ज हुआ। इसके अलावा,जब्त गाड़ी को भी सीसीएफ के आदेश से छोड़ दिया गया। मानपुर में पकड़ी गई अवैध लकड़ी से भरी गाड़ी को भी दूसरी गाड़ी की टीपी दिखाकर छुड़वा लिया गया। बताया जा रहा है कि इसमें भी सीसीएफ की ‘विशेष अनुकंपा’ रही।

पहले अपराधियों पर दबाव बनाने के लिए एसडीओ अवैध लकड़ी के साथ गाड़ी को तुरंत राजसात करते थे। यदि गाड़ी छोड़ी भी जाती थी, तो कोर्ट के आदेश से। लेकिन, अब सीसीएफ की व्यवस्था ने माफियाओं को खुली छूट दे दी। वाहन को जब्त करने या छोड़ने के अधिकार सीसीएफ के पास होने से माफिया भी ताकतवर हो गया। कोई पूछताछ भी नहीं होती कि जब अवैध लकड़ी को जब्त किया गया, तो उसके परिवहन में उपयोग किए जाने वाले वाहन को किस नियम के तहत छोड़ा गया! कई बड़े मामलों में भी आरा मशीन सील न होना गंभीर सवाल खड़े करता है।

कुछ समय पहले तक वृत्त का उड़नदस्ता सक्रिय था। लेकिन, अब सीसीएफ के कथित गलत फैसलों ने विभाग की सक्रियता पर नकेल डाल दी। ऐसी स्थिति में अब जरूरत महसूस की जा रही है कि राज्य स्तरीय उड़नदस्ता बनाया जाए, जो पारदर्शिता से कार्रवाई करे और सफेदपोश वन माफियाओं को सलाखों के पीछे भेजे। अन्यथा, इंदौर के सबसे बड़े फर्जी टीपीकांड की तरह ही आरोपियों को बचाने का खेल जारी रहेगा और माफियाओं के हौसले और बढ़ेंगे।