वैशाख मास का महत्व: बिना मुहूर्त के भी होती है शादियां!

 माधव अर्थात विष्णु भगवान को समर्पित होने के कारण सुंदर माधव मास भी कहते हैं     

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वैशाख मास का महत्व: बिना मुहूर्त के भी होती है शादियां!

ऊषा सक्सैना की विशेष रिपोर्ट 

वैशाखे शुक्लपक्षे तु तृतीयायां तथैव च।

गंगातोये नर स्नात्वा मुच्यते सर्वकिल्विषे ।।

 

विशाखा नक्षत्र से इस मास का विशेष संबंध होने के कारण इस माह का नाम वैशाख पड़ा । मधु-माधव, मधुमास चित्रा नक्षत्र में पूर्णिमा के दिन चैत्र मास के समाप्त होते ही वैशाख मास का प्रारम्भ हो जाता है। इसे माधव अर्थात विष्णु भगवान को समर्पित होने के कारण सुंदर माधव मास भी कहते हैं । इस महीने सूर्य देव भी अपने पूर्ण यौवन की ओर बढ़कर वृष राशि में प्रवेश कर ज्येष्ठता की ओर कदम रखते हैं । खेत खलिहान से फसलें उठकर घर आ जाती हैं। आनंद मंगल के दिन शुभ मुहूर्त्त और युवक युवतियों के विवाह के सुंदर अवसर ।जिनके विवाह का कोई शुभ मुहूर्त नहीं निकलता उनके लिये भी प्रावधान है। वैशाख मास शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया का अबूझ मुहूर्त । इस दिन के किये दानपुण्य का अपना विशेष महत्व होता है ।जल भरने के लिये मिटृटी के घड़े में जल भर कर उसके ऊपर भुने चने की दाल का सत्तू ,कच्चे आम और गुड़ की ढेली रखकर मंदिर में ब्राह्मणों को दिया जाता है एकादशी पर खरबूजे का फल।

दान पुण्य के लिये पावन पुनीत महीना ।इस माह में ग्रीष्म का प्रारम्भ होजाने से प्यासों की प्यास बुझाने के लिये जलदान का विशेष महत्व ।लोग जगह जगह पर पयासों की प्यास बुझाने के लिये प्याऊ खोलते । इस प्रकार से अपने आप में सबसे महत्वपूर्ण माधव मास। देवताओं में श्रेष्ठ विश्वात्मा विष्णु की तरह । खेती के लिये कृषक का पहला हिरायता भी इसी मास में अक्षय तृतीया से प्रारम्भ हो जाता है, जब किसान खेत को पुन:खरीफ की फसल के लिये तैयार करने के लिये फिर से खेतों में हल चला कर खेत की मिट्टी को पलटता है ।वह शुभ मुहूर्त अक्षय तृतीया का भी इसी मास में होता है । गुड्डा गुड़ियों का विवाह रचा कर सभी मंगल कामना करते हैं । माता सीता का जन्म भी वैशाख मास विशाखा नक्षत्र धरती से ही राजा जनक के द्वारा हल जोतते समय वैशाख मास की नवमी को होता है ।

इस प्रकार से हिन्दू धर्म में वैशाख मास को माधव कहते हुये भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है । इस माहमें फसलें घर आ जाने सेघर धनधान्य से भरपूर होता है जिसके कारण लोगों में उम़ग और उत्साह होता है ऊर्जा का माह ।

वैशाख मास में गंगा स्नान का भी अपना महत्व है। शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी भी कहते हैं क्यों कि उस दिन गंगा जी का अवतरण भगीरथ की तपस्या के पश्चात धरती पर हुआ था।

जै माधव ।