Imprisonment for Misdemeanor : स्कूल बस में बच्चियों से दुष्कृत्य के आरोप में तिहरा आजीवन कारावास
रमेश सोनी की रिपोर्ट
Bhopal : भोपाल का बहुचर्चित मामला जिसमें 3 माह पूर्व स्कूल बस में बस के ड्राइवर ने एक बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था। आरोपी का सहयोग स्कूल बस केयर ट्रेकर उर्मिला साहू ने किया था। इस मामले में शनिवार को भोपाल जिला न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया था। फैसला सुरक्षित रखते हुए सोमवार को सजा सुनाने का आदेश दिया।
आज न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी हनुमत जाटव को तिहरा आजीवन कारावास और सहआरोपी उर्मिला साहू को 20 वर्ष की कड़ी सजा सुनाते हुए दोनों पर जुर्माना भी लगाया। साथ ही न्यायालय ने बच्चों के माता-पिता को सजग एवं जागरूक रहने की अपील की।
न्यायालय के जनसम्पर्क अधिकारी मनोज त्रिपाठी ने बताया कि विशेष न्यायालय पॉक्सो शैलजा गुप्ता ने बहुचर्चित बिलाबोंग स्कूल बस में बच्चियों के साथ दुष्कृत्य करने वाले आरोपी हनुमंत जाटव पिता सुरेश जाटव को धारा 376 (एबी), 376 (2) एन भादवि व 5 एफएलएम/6 पॉक्सो एक्ट में मृत्यु पर्यंत तक तिहरा आजीवन कारावास सुनाया है। 9 एफएलएम/10 पाक्सो एक्ट में 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 354 भादवि में 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 32 हजार रुपए का जुर्माना किया।
उसके इस कृत्य में सहयोगी रही उर्मिला साहू पति रमेश साहू का दोष सिद्ध करते हुए धारा 354 सहपठित धारा 109 भादवि 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 5 एफ, एल,एम/6 पॉक्सो एक्ट सहपठित 16/17 पाक्सो एक्ट 20-20 वर्ष का सश्रम कारावास 9 एफएलएम/10 पाक्सो एक्ट में सहपठित धारा 16/17 में 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास और 32 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
दोनों आरोपियों पर जुर्माने की राशि में प्रत्येक पीड़ित बच्ची को 16-16 हजार रुपए प्रतिकर की राशि दिए जाने के निर्देश दिए। न्यायालय ने कहा कि विद्यालय जैसे पवित्र मंदिर की अबोध बालिकाओं के साथ आरोपियों द्वारा जो घिनौना कृत्य किया हैं। ये आरोपी नरम रुख अख्तियार नहीं करने के काबिल हैं। विशेष लोक अभियोजक मनीषा पटेल ने इस प्रकरण में 14 दिनों में 32 साक्षियों के कथन पूर्ण कराए तथा सशक्त तर्क, परिस्थितिजन्य साक्ष्य प्रस्तुत किया। जिससे सहमत होते हुए विशेष न्यायालय ने आरोपियों का दोष सिद्ध किया।
क्या था घटनाक्रम
पीड़िता के माता-पिता ने थाना महिला थाना भोपाल में रिपोर्ट दर्ज कराई कि 8 सितंबर को दोपहर 1:30 से 1:45 बजे को जब उनकी 3 वर्ष 6 माह की बच्ची स्कूल से घर वापस आई तब उसका स्कूल यूनिफार्म बदला हुआ था। बच्ची की मां ने जब उससे पूछा कि आपका ड्रेस किसने बदला तो बच्ची ने बताया कि उसका स्कूल यूनिफार्म बस वाले अंकल ने बदला हैं। बच्ची की मां ने उसका स्कूल यूनिफार्म जब बैग में चेक किया तो यूनिफार्म न गंदा था न गीला था। बच्ची का स्कूल यूनिफार्म बिना किसी कारण बस स्कूल डाइवर द्वारा बदले जाने की शंका पर बच्ची के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से बात की और प्रशासन को घटना के बारे में बताया।
और शाम को जब बच्ची के पिताजी ने अपनी बेटी से प्यार से पूछा तो बच्ची ने बस वाले की हरकत बताई। उसे दर्द होता था तब बस आंटी उर्मिला दीदी उसे गोद में उठा लेती थी, और उसे चुप करा देती थी और बस अंकल उसे टॉफी भी देते थे और उसका गला पकड़कर एवं बाल खींचकर उसे डराते हुए कहते थे कि यह बात किसी को बताई तो तुम्हें मारूंगा। इसके बाद माता-पिता ने बच्ची को स्कूल भेजने से इंकार कर दिया तथा पुलिस कमिश्नर ऑफिस में जाकर घटना की जानकारी दी थी। पुलिस कमिश्नर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी गठित की। एसआईटी टीम के प्रमुख ऋतु कीर्ति के निर्देश पर एसीपी निधि सक्सेना एवं महिला थाना प्रभारी अंजना धुर्वे 20 दिनों के अंदर मामले में विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।