10 th की फर्जी अंकसूची बनाने वाले तथा बनवाने वाले विद्यार्थियों को 07-07 वर्ष का कारावास

दो आरोपी फरार

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10 th की फर्जी अंकसूची बनाने वाले तथा बनवाने वाले विद्यार्थियों को 07-07 वर्ष का कारावास

रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट

न्यायालय मयंक मोदी,मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा फैसला सुनाते हुए अभियुक्त गण
1.शोभाराम पिता लालु सिंगाड उम्र 44 वर्ष नि. ग्राम शिवगढ जिला रतलाम
2.बद्रीलाल पिता बालाजी उम्र 43 वर्ष निवासी बालारूण्डी़ शिवगढ़ जिला रतलाम
3.समरथ पिता गणपत उम्र 47 वर्ष निवासी ग्राम सरवड़़, बिलपांक जिला रतलाम
4.गौरीशंकर पिता रामलाल निवासी ग्राम जुलवानिया जिला रतलाम
5.शारदा पिता बालुराम खदेडा उम्र 40 वर्ष निवासी ग्राम उमरथाना थाना बिलपांक जिला रतलाम
6.रामकन्या पिता भगवानसिंह उम्र 46 वर्ष ग्राम कुण्डाल थाना बिलपांक जिला रतलाम
7.बसीला पिता बाबुखां उम्र 41 वर्ष निवासी रेलवे काॅलोनी सैलाना यार्ड जिला रतलाम को धारा 467 भादवि में 7-7 वर्ष का कारावास,धारा 468 में 3-3 वर्ष का कारावास एवं 471 में एक-एक वर्ष का कारावास तथा एक-एक हजार रूपए अर्थदंड की सजा सुनाई।

आरोपीगण भागचन्द पिता कार्तिकराम वैध निवासी ढोंगरगढ राजनंदगांव जिला छत्तीसगढ़,

दशरथ पिता नारायण कटारिया उम्र 48 वर्ष निवासी ग्राम बालोदा जिला उज्जैन,ममता पिता गौतम खराडी उम्र 46 वर्ष निवासी ग्राम लांबी थाना बाजना जिला रतलाम को फरार घोषित किया गया।

प्रकरण में पैरवी कर्ता एडीपीओ सुशील शर्मा ने बताया कि घटना 08.अक्टूबर.1996 को दैनिक भास्कर समाचार पत्र,दैनिक स्वतंत्र ऐलान,नवभारत समाचार पत्र आदि में सूचना प्रकाशित हुई थी कि नकली अंक सुची बनाने का कारोबार जोरो पर चल रहा हैं।

इसी संबंध में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रतलाम को शिकायत प्राप्त हुई जिसकी जांच के लिए नगर पुलिस अधीक्षक को अधिकृत किया गया था जिनके द्वारा समाचार पत्रों में बताए गए तथ्यों के आधार पर जांच प्रारंभ की गई जांच के दौरान नव ज्योति स्कूल के संचालक राधेश्याम के कथन लिए गए जिनके द्वारा यह प्रकट किया गया कि आरोपी गण छात्र-छात्राओं ने दसवीं बोर्ड की उत्तीर्ण मार्कशीट की छायाप्रति के साथ प्रवेश पत्र भरकर विधालय में अस्थाई प्रवेश लिया था। आरोपी गण छात्र छात्राओं से असल मार्कशीट तथा एस.एल.सी मार्कशीट मांगी गई तो आरोपीगण छात्र छात्राओं ने प्रस्तुत नहीं की। इस कारण से उनका प्रवेश निरस्त कर दिया था।

जांच में समरथ भील से पुछताछ किए जाने पर उसने बताया कि आरोपी गण छात्र छात्राए दसवीं फेल थे।

ज्ञानसिंह तथा माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल में तैनात बाबु दशरथ के सहयोग से भागचन्द ने फेल अंकसूचियों के अंको व शब्दों में फेरबदल कर रूपए लेकर उत्तीर्ण की अंक सूचियां बनाई थी जिस पर से अपराध क्रमांक 506/1996 धारा 420,467,468,471,34 भादवि का कायम कर विवेचना में लिया गया।प्राप्त दस्तावेजों व अनुसंधान में आरोपीयों के विरूद्व अपराध सिद्व पाया गया।

मामले में न्यायालय मयंक मोदी,मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपीगण को सात-सात वर्ष के कारावास व एक-एक हजार रूपए के अर्थ दण्ड़ से दण्डित किया गया।
प्रकरण में शासन की और से पैरवी सुशील शर्मा,एडीपीओ द्वारा की गई।