शासकीय तालाब से पानी लेने को लेकर 2 पक्षों में हुई फ्री-फाइट मामले में 1 पक्ष के 3 लोगों को आजीवन कारावास व दूसरे पक्ष के भी 3 लोगों को 5-5 वर्ष की सजा!

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शासकीय तालाब से पानी लेने को लेकर 2 पक्षों में हुई फ्री-फाइट मामले में 1 पक्ष के 3 लोगों को आजीवन कारावास व दूसरे पक्ष के भी 3 लोगों को 5-5 वर्ष की सजा!

 

Ratlam : जिले के ग्राम चितावद के शासकीय तालाब से पानी निकालने के लिए वर्ष 2017 में 2 पक्षों में विवाद हुआ था। प्रकरण में दोनों पक्षों को जिला न्यायालय सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश राजेश नामदेव ने फैसला सुनाते हुए आरोपी दिलीप सिंह पिता शंभुसिंह, योगेंद्र सिंह पिता दिलीप सिंह व जितेंद्र सिंह उर्फ भोमसिंह पिता महिपाल सिंह राठौड़ तीनों निवासी गांव चितावत को भारतीय दंड सहिता की धारा 302 में आजीवन कारावास व 10-10 हजार रुपए का जुर्माना, धारा 307 में 7 वर्ष का कारावास व 2-2 हजार रुपए का जुर्माना व धारा 323 में 6 माह का कारावास व 5-5 सो रूपए के जुर्माने से दंडित किया!

 

प्रकरण में पैरवीकर्ता अपर लोक अभियोजक एवं शासकीय अधिवक्ता समरथ पाटीदार ने बताया कि 11 फरवरी 2017 को फरियादी असलम खां निवासी चितावत द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि रात करीब 9:15 बजे चितावद तालाब पर ताज मोहम्मद व दिलीप सिंह की पानी की मोटरें चल रही थी। दिलीप सिंह ने ताज मोहम्मद से मोटर बंद करने को कहा था जिस पर ताजमोहम्मद के मना करने पर महिपाल सिंह, भीम सिंह, लोकेंद्र सिंह व तेज बहादुर सिंह ने एकमत होकर ताजमोहम्मद पर लोहे की रॉड से जान से खत्म करने की नीयत से हमला कर दिया था। जब वह, व शहादत खा, ताज मोहम्मद को छुड़ाने लगे थे तब भीम सिंह व लोकेंद्र सिंह ने उसके सिर पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया था जिससे उसे भी चोट आई थी। इन पांचो ने मिलकर ताज मोहम्मद की हत्या कर डाली थी। फरियादी असलम खां की सूचना के आधार पर थाना बिलपांक पर अभियुक्तों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 147, 148, 149, 323 की रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

 

विशेषज्ञ डॉक्टर की रिपोर्ट को भी न्यायालय ने महत्वपूर्ण माना! तत्कालीन थाना प्रभारी वरुण तिवारी ने इस प्रकरण में जांच के दौरान मृतक ताजमोहम्मद का पोस्टमार्टम कराया था व घटना स्थल का नक्शा-मोका बनाया था, गवाहों के बयान लिए थे व 25 फरवरी 2017 को अभियुक्तगणों को गिरफ्तार किया था व उनसे पूछताछ कर उनसे घटना में प्रयुक्त लोहे की रॉड पाइपनुमा, लोहे का पेंचकस जप्त किए गए थे उसके बाद इनकी मेडिकल ऑफिसर से क्वेरी करवाई थी, मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर मुकेश डाबर और डॉक्टर भरत निनामा द्वारा अभीमत दिया गया था कि मृतक ताजमोहम्मद को सीने पर कारीत चोट उपरोक्त पेंचकस से एवं जप्त लोहे की पाइप से आना संभव होकर मृत्यु होना संभव हैं।

 

प्रकरण के शासकीय अधिवक्ता समरथ पाटीदार ने बताया कि सजा के लिए वैज्ञानिक रिपोर्ट भी आधार बनी, मृतक ताजमोहम्मद के खून लगे हुए कपड़े, घटनास्थल से खून आलुदा मिट्टी भी जप्त की गई थी, इन्हें जप्तशुदा लोहे की रॉड व लोहे के पेंचकस के साथ जांच हेतु प्रयोगशाला भेजा गया था। प्रयोगशाला से प्राप्त रिपोर्ट अनुसार मिट्टी, लोहे की रॉड, पेंचकस, बनियान, शर्ट, और पहने हुए कपड़ों में मानव रक्त पाया गया था, उपरोक्त मानव रक्त बी समूह का था।

 

दोनों पक्षों के बीच हुई थी फ्री-फ्राइट!

इसी प्रकरण में दिलीप सिंह द्वारा भी दूसरे पक्ष के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि तालाब से मोटर चालू करने व मोटर जला देने की बात को लेकर शहादत हुसैन, असलम नूर व शरीफ खान द्वारा लोहे के धारिए, लोहे की दातरी व लोहे की कटार से योगेंद्र सिंह, हितेंद्र सिंह पर प्राणघातक हमला किया गया था! दिलीप सिंह की रिपोर्ट पर से शहादत हुसैन, असलम नूर व शरीफ खान के विरुद्ध भी बिलपांक थाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 34 का प्रकरण दर्ज किया गया था।

 

फ्री-फाइट में 1 पक्ष से 1 की हत्या व 2 व्यक्ति घायल हुए थे, दूसरे पक्ष से 3 लोग घायल हुए थे, दोनों क्रास प्रकरण होने से दोनों प्रकरणों का विचारण सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश राजेश नामदेव की न्यायालय में साथ में चलें, न्यायालय ने सुनवाई के दौरान इस प्रकरण में भी आरोपी शहादत हुसैन, असलम नूर व शरीफ खान तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 326 में 5 वर्ष का सश्रम कारावास व 2-2 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया गया। आजीवन कारावास वाले प्रकरण की पैरवी अपर लोक अभियोजक समरथ पाटीदार तथा 5 वर्ष सजा वाले प्रकरण की पैरवी संजीव सिंह चौहान ने की गई!