शहीद शंकर-रघुनाथ के सम्मान में नतमस्तक शिव-नाथ…

370
राजनीति और सत्ता संघर्ष अपनी जगह चलता रहे, लेकिन स्वतंत्रता संघर्ष के शहीदों का सम्मान सबके दिल में बसा रहे। यही भाव शहीदों की शहादत के प्रति कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण का बोध कराता है। अमर शहीद शंकर शाह और रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर मध्यप्रदेश में जिस तरह उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा सहित भाजपा के मंत्री-नेता और पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रभारी जेपी अग्रवाल सहित कांग्रेस नेता नतमस्तक हुए…यह दृश्य निश्चित तौर पर सराहनीय है। इन आदिवासी नेताओं की तरह ही हर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का सम्मान इसी भाव और भव्यता के साथ होना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के लिए बलिदान करने वाले पूर्वजों को अपने दिलों में बसाकर रख सकें। वैसे आदर्श स्थिति तो यह है कि शहीदों के सम्मान में राजनीतिक समीकरणों को न साधा जाए, पर व्यावहारिक स्थिति में शायद यह असंभव नहीं तो मुमकिन भी नजर नहीं आता। फिर भी सभी दल के नेता जब सम्मान में नतमस्तक हों, तब भी संदेश की स्वीकार्यता का विस्तार सभी नागरिकों तक हो ही जाता है। यह स्थिति भी स्वीकार्य है, पर यह सभी शहीदों के प्रति समभाव के साथ बनी रहे।
शहीद शंकर-रघुनाथ के सम्मान में नतमस्तक शिव-नाथ...
18 सितंबर का दृश्य मध्यप्रदेश में सभी के मन को भाने वाला है। एक दिन पहले जहां कूनो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीतों की सौगात देते अपना जन्मदिन मना रहे थे। तो एक दिन बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मध्यप्रदेश की धरती पर शहीदों के सम्मान में हाजिर हो गए। धनखड़ ने कहा कि अमर शहीद राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की बलिदान भूमि जबलपुर में स्वयं को पाकर गर्व की अनुभूति हो रही है। राजा शंकर शाह – कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस को वे कभी नहीं भूलेंगे। देश की आजादी में जनजातीय वर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री के जनजातीय वर्ग के प्रति प्रेम और तड़प की मुक्त कंठ से सराहना की। धनखड़ ने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में तोप के मुँह पर भी राजा शंकर शाह – कुंवर रघुनाथ शाह का राष्ट्र-प्रेम के साथ बलिदान उच्च प्रतिमान स्थापित करता हैं। वहीं जनजातीय वर्ग की वीरांगना रानी दुर्गावती का देश-प्रेम और लोक-कल्याणकारी शासन प्रणाली प्रेरणादायी है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि जनजातीय वर्ग की युवा पीढ़ी को पूर्वजों के शौर्य, साहस और पराक्रम से अवगत कराना होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बलिदानी शाह पिता-पुत्र के शौर्य को नमन किया, तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी शहीदों के संघर्ष को अनुकरणीय बताया।
वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में महाराज शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और मप्र कांग्रेस के प्रभारी जेपी अग्रवाल ने दोनों वीर बलिदानियों के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किये, उनके जीवन पर प्रकाश डाला। कमलनाथ ने कहा कि मप्र के इन दोनों महान बलिदानियों, जिनको अंग्रेजी हुकूमत ने तोप से बांधकर उड़ा दिया था, देश का प्रत्येक आदिवासी वर्ग इन पर गर्व करता है। मप्र के प्रभारी जेपी अग्रवाल ने कहा कि राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ ने आदिवासी वर्ग के उत्थान और उनके हितों के लिए निरंतर संघर्ष किया। जब इतिहास लिखा गया तो इन दो महान बलिदानी पिता-पुत्र का नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा गया, जिन्होंने देश के लिए अपनी कुर्बानी दी।
सभी राजनीतिक दलों को शंकर शाह-रघुनाथ शाह से यह सीख जरूर लेना चाहिए कि 1857 में जब भारत भूमि के नागरिकों के दिलों में देशभक्ति और आजादी की अलख जगी थी, तब राजनैतिक दलों का अस्तित्व नहीं था। और देशभक्ति के भाव को दलों में नहीं बांटा जा सकता। देश की युवा पीढ़ी के मन में यही भाव पैदा होना चाहिए और हर शहीद के प्रति श्रद्धावनत होने की ललक जिंदा रहनी चाहिए। शहीदों और सेनानियों की कुर्बानियां दलों के चश्मे में कैद नहीं की जा सकतीं। यह संयोग ही है कि तब शंकरशाह और रघुनाथ शाह ने शहादत दी थी, तो आज मध्यप्रदेश में इन्हें नमन करते हुए शिव-नाथ सत्ता संघर्ष में आमने-सामने हैं…।